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Exclusive: फिल्मों में मैसेज से ज़्यादा एंटरटेनमेंट पर अब मेरा फोकस होगा..आयुष्मान खुराना ने ऐसा क्यों कहा

आयुष्मान खुराना इन दिनों अपनी फ़िल्म एन एक्शन हीरो को लेकर सुर्खियों मैं हैं. जो जल्द ही सिनेमाघर में दस्तक देगी.कोरोना काल के बाद फिल्मों के प्रदर्शन को देखते हुए, आयुष्मान ने अपनी फिल्मों से जुडी चॉइसेज में अब काफी बदलाव लाने का फैसला किया है.

रुपहले परदे पर टैबू विषयों की फिल्मों से अपनी एक खास पहचान बनाने वाले अभिनेता आयुष्मान खुराना इन दिनों अपनी फ़िल्म एन एक्शन हीरो को लेकर सुर्खियों मैं हैं. जो जल्द ही सिनेमाघर में दस्तक देगी.कोरोना काल के बाद फिल्मों के प्रदर्शन को देखते हुए, आयुष्मान ने अपनी फिल्मों से जुडी चॉइसेज में अब काफी बदलाव लाने का फैसला किया है. उसकी शुरुआत वह इस फ़िल्म को करार देते हैं. उर्मिला कोरी से हुई बातचीत के प्रमुख अंश…

एक्शन हीरो बनने के लिए आपने कितना लम्बा इंतज़ार किया?

एक दशक बीत गया. लम्बा इंतजार करना पड़ा.सही स्क्रिप्ट क़ा इंतज़ार था और ये वो फ़िल्म थी. जिसने मुझे वो मौका दिया.ये वो स्क्रिप्ट है. जो आज के दौर की है. जो आजकल चल रहा है वो है.

क्या इंतज़ार ज़्यादा लम्बा नहीं हो गया ?

इस बात क़ा बहुत बड़ा प्रेशर है, लेकिन कोशिश ये रहती है कि मेरे हिस्से के जो विषय हैं, वो कर डालूं.बस यही करना पड़ेगा कि अब ज़्यादा से ज़्यादा दर्शकों को जोड़ना पड़ेगा और सिनेमाघरों में रिलीज को भी समझना होगा. दो सालों की सीख यही रही है. ये स्क्रिप्ट पढ़ी थी और एक महीने बाद इसे हां कहा था क्यूंकि यह मेरी पहली फ़िल्म पेंड़ेमिक के बाद की है. जिसे मैंने चुना है.इतना वक़्त लेना ज़रूरी था. इसके अच्छे और बुरे दोनों पहलुओं को समझते हुए इसे कैसे ढाल सकते हैं. यह समझना ज़रूरी था.

क्या पेंडेमिक के बाद फिल्मों को लेकर जो दर्शकों की पसंद बहुत बदली है, उसकी वजह से आपके चुनाव में बदलाव आया है?

मेरी आखिरी तीन फिल्मों की मैं बात करूं, तो समलैंगिक ऐसा मुद्दा है, जिसे आप कितना भी मनोरंजक तरीके से पेश करें. दर्शक उसे देखने के लिए तैयार ही नहीं हैं. मैंने बहुत कोशिश की, लेकिन दर्शक देखने को तैयार ही नहीं हैं.अनेक एक डॉक्यूड्रामा फ़िल्म थी, जिस वजह से एक खास दर्शक वर्ग के लिए यह फ़िल्म बनकर रह गयी. डॉक्टर जी ए सर्टिफिकेट फ़िल्म थी, जिस वजह से दर्शक अपने आप कम हो जाते हैं.इन सब पहलुओं को देखते हुए मैंने तय किया कि अब उन फिल्मों को प्राथमिकता दूंगा. जो पूरा परिवार एक साथ देख सके.एन एक्शन हीरो में कमर्शियल सिनेमा के सभी पहलू हैं.मैसेज नहीं है.

तो आयुष्मान अब कम रिस्क लेंगे?

रिस्क तो हमेशा रहेगा, लेकिन एंटरटेनमेंट, मैसेज से ज़्यादा रहेगा. मैं टैबू विषयों से थोड़ा दूर रहूँगा, लेकिन क्वार्की चीज़ें करता रहूंगा.

एन एक्शन हीरो फ़िल्म कितनी अलग और क्वार्की होगी?

अगर यह फ़िल्म क़ोई एक्शन स्टार करता था, तो वह इसे अलग तरह से करता था.ये अलग इसलिए दिख रही है, क्यूंकि मै एक्शन हीरो नहीं हूं.ज़ब भी मैंने अपने आपको रिइन्वेंट करने की सोची है. स्क्रिप्ट को क्वार्की होने की सबसे ज़्यादा ज़रूरत थी.फ़िल्म में जो मानव क़ा किरदार है, उससे मै काफी अलग हूं.मुझे लगता है कि कास्टिंग की वजह से भी बहुत सारी चीज़ें अलग हो जाती हैं.. मैंने निर्देशक को कहा था कि मुझे अपने अपोजिट जयदीप अहलावत चाहिए. उनके डेट्स के मुताबिक अपने डेट्स मैच कर लूंगा, लेकिन मुझे वही चाहिए

आपने अभी कहा कि आप एक्शन हीरो नहीं हैं, क्या इस फ़िल्म के बाद आप खुद को मानने लगेंगे?

हां, मानने लगूंगा,क्यूंकि मैंने इस फ़िल्म के लिए बहुत मेहनत की है. फ़िल्म की शूटिंग के आठ महीने पहले से मै तैयारी कर रहा था. डॉक्टर जी के शूट के वक़्त भी मैं इस फ़िल्म की ही तैयारी ही कर रहा था.चंडीगढ़ आशिकी की तरह बल्की नहीं बल्कि लीन बॉडी चाहिए थी, तो काफी मेहनत करनी पड़ी.

क्या आप रोहित शेट्टी की एक्शन फिल्मों के लिए तैयार हैं?

मैं तो तैयार हूं, लेकिन क्या वो तैयार हैं.

आपके पसंदीदा एक्शन हीरो कौन रहे हैं?

जैकी चेन मेरे पसंदीदा हीरो हैं.कॉमेडी में उनके जैसा एक्शन क़ोई कर नहीं सकता है .बॉलीवुड में अक्षय कुमार टेक्निक्ली एक्शन स्टार हैं. मेरे कंटेम्पररी में टाइगर श्रॉफ और विद्युत् जामवाल हैं. जिनका एक्शन मैं पसंद करता हूं.

यह चर्चा हो रही है कि फ़िल्म कमाई करें, उसके बाद ही एक्टर्स को उसका मुँह माँगा मेहनताना मिलना चाहिए?

ऐसा होना ही चाहिए, जब प्रोडयूसर कमाए, तो आपको मिलना चाहिए.

क्या फिल्मों की टिकट के पैसे भी कम होने की ज़रूरत है, साउथ में टिकट की प्राइज यहाँ के मुकाबले कम है ?

मैंने ये भी देखा है कि अगर फ़िल्म अच्छी हो तो हाई प्राइस में भी चल जाती है.इस बात पर निर्भर करता है कि हम उसे क्या दे रहे हैं. साउथ में फिल्मों की टिकट के पैसे वैसे भी कम होते हैं क्यूंकि उनकी फ़िल्में बहुत ही जमीन से जुड़े लोगों के लिए है.उनके दर्शक मल्टीप्लेक्स से ज़्यादा सिंगल स्क्रीन दर्शक होते हैं.मल्टीप्लेक्स के भी टिकट वहां कम ही होते हैं.वे अपने दर्शकों को अच्छी तरह से जानते हैं. हमारे दर्शक बंटे हुए हैं.एक इंटेलीजेंट दर्शक है. एक मास वाले.उनको एक साथ लाना बहुत मुश्किल है. ओटीटी ने इस विभाजन को और बढ़ा दिया है. मल्टीप्लेक्स के दर्शक ओटीटी पर जा चुके हैं.वो तब तक बाहर नहीं आएगी, जब तक आपकी फ़िल्म विजुअल ट्रीट या कम्युनिटी व्यूज ना हो. यह हमारे लिए चुनौती होगी कि किस तरह की फ़िल्में हमें किस मीडियम के लिए बनानी हैं. भारतीय दर्शकों को आप सिर्फ थिएटर से एंगेज नहीं कर सकते हैं, ओटीटी भी तो अच्छा कर रहा है,तो सोचकर फैसला करना होगा कि ओटीटी पर क्या करना है और थिएटर में क्या.

क्या एक्टर को इस हिसाब से खुद को बदलना पड़ेगा?

मुझे तो बदलना पड़ेगा क्यूंकि अब तक मेरे दर्शक इंटेलिजेंट ही रहे हैं. अब मुझे इतना इंटेलीजेंट सिनेमा नहीं देना है क़ि मास वाले दर्शकों को समझ ना आए, कंटेंट से ज़्यादा एंटरटेनमेंट पर फोकस करना होगा

ड्रीम गर्ल 2 आपकी अगली रिलीज है, खबरें हैं कि आप क़ोई और फ़िल्म फिलहाल साइन नहीं कर रहे हैं?

वो तो हमेशा ही होता है. मै फिल्मों के चयन में थोड़ा समय लेता हूं. इस बार और ज़्यादा ले रहा हूं, क्यूंकि मै दर्शकों का रिएक्शन अपनी नयी चॉइसेज पर देखना चाहता हूं, उसके बाद फैसला करूँगा.

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