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लोग बप्पी दा के कपड़ों और गोल्ड ज्वेलरी का मजाक बनाते थे लेकिन उन्हें फर्क नहीं पड़ता था : उषा उथुप

बप्पी दा कमाल के इंसान थे वे एक ट्रेंड सेटर थे. वो हमेशा कुछ अलग करने में यकीन करते थे. यही वजह है कि फ़िल्म भले फ्लॉप हो जाए लेकिन उनके गाने हिट रहते थे.

प्रसिद्ध सिंगर और कम्पोजर बप्पी लाहिरी अब हमारे बीच नहीं रहे. सिंगर उषा उथुप इस क्षति को निजी क्षति करार देती हैं. भावुक होकर वे बताती हैं डिस्को किंग बप्पी दा को वो सम्मान नहीं मिल पाया, जिसके वे सही मायनों में हकदार थे. उर्मिला कोरी से बातचीत के दौरान उषा उथुप ने बप्पी दा से जुड़ी कई यादों को साझा किया, पढ़ें बातचीत के प्रमुख अंश :-

मेरे शोज उनके गानों के बिना नहीं हो सकते

बप्पी दा कमाल के इंसान थे वे एक ट्रेंड सेटर थे. वो हमेशा कुछ अलग करने में यकीन करते थे. यही वजह है कि फ़िल्म भले फ्लॉप हो जाए लेकिन उनके गाने हिट रहते थे. उन्होंने मुझे बहुत सारे हिट्स दिए थे. उनकी मौत की खबर मेरे लिए किसी सदमे से कम नहीं है. मैं इसे निजी क्षति कहूंगी. मुझे नहीं लगता कि मेरा कोई भी शो बिना बप्पी दा के गानों के बिना पूरा हो सकता है फिर चाहे रेस्टोरेंट में हो नाइट क्लब में हो या बड़े मैदान में रम्बा हो और कोई यहां नाचे नाचे ,हरि ओम हरि बिना,नाकाबंदी ये गाने तो होंगे ही. पिछले 40 सालों से मैंने एक भी शो इन गानों के बना नहीं किया है.

नये प्रयोगों को करना था पसंद

उनकी रिकॉर्डिंग का प्रोसेस सिंपल था. पहले हम गानों का रिहर्स करते थे फिर जब वो बोलते तो अगले दिन या कोई और दिन तो हम जाकर रिकॉर्डिंग करते थे. रम्बा हो में हो हो शब्द रिपीट करने का आइडिया उनका ही था. जो बहुत हिट हुआ. नाकाबंदी,हरि ओम हरि को कैसे गाना है वो पूरी डिटेल के साथ बताते थे. वे हमेशा कुछ नया करने की कोशिश करते रहते थे . नए सिंगर्स को उन्होंने बहुत मौका दिया है. साउथ की प्रसिद्ध सिंगर एस जानकी अम्मा से उन्होंने हिंदी गीत दिल में हो तुम और यार बिना चैन कहाँ रे गवाया था. आज यह बात आम है लेकिन 80 के दशक में इस तरह के प्रयोग बॉलीवुड में नहीं होते थे. म्यूजिक में द सिंथेसाइजर ड्रम,बेस गिटार का इस्तेमाल करने का श्रेय भी उनको ही जाता है.

लाहिरी हाउस से सभी के लिए टिफिन आता था

बप्पी दा खाने के बहुत शौकीन थे. रिकॉर्डिंग के बाद जब लंच ब्रेक होता था तो उनके घर से बहुत बड़ा टिफिन आता था . वे हमेशा कहते कि उषाजी आप हमारे साथ आकर बैठिए. मैं शाकाहारी हूं तो मेरे लिए उनके घर से कुछ ना कुछ शाकाहारी खाना भी आता था. कभी टेस्टी लुची आलू तो कभी छोलार दाल और भी ना जाने क्या क्या. बप्पी दा मछली बहुत चाव से खाते थे. बप्पी दा की पत्नी सभी का बहुत ख्याल रखती थी. वही सबकी पसंदीदा चीज़ें बनाकर भेजती थी.

सही मायने में थे रॉकस्टार

वे गोल्ड और अच्छे अच्छे कपड़ों के शौकीन थे .वे खुद अपने अंदाज में स्टाइल आइकॉन थे. लोगों ने उन्हें वो सम्मान नहीं दिया. जो उन्हें मिलना चाहिए था.उनका मजाक बनाते थे लेकिन उन्हें फर्क नहीं पड़ता था. वे अपने कपड़ों और सोने के गहनों को पहनना एन्जॉय करते थे.अपने चमकते जैकेट,काले चश्मे अपनी हेयर स्टाइल के साथ सोने के गहनों को पहनना बहुत पसंद करते थे. अंगूठियां,जैकेट और ब्रेसलेट वो बहुत खरीदते थे तो मैं जब भी उनसे मिलती तो उनसे पूछती कि बप्पी दा ये नया वाला है तो वो बहुत खुशी से बताते थे कि कब उन्होंने खरीदा. वो रॉकस्टार बनना चाहते थे और वे सही मायनों में रॉकस्टार ही थे.

जोड़ी नंबर वन कहते थे

वो मेरे साथ दुर्गा पूजा के लिए गाने बनाने की तैयारी में थे लेकिन वो हो नहीं पाया. छह महीने पहले उन्होंने मुझे कॉल किया था. बोला था दो तीन गाने आपके लिए हैं. मैंने बोला बप्पी दा किसी और को मेरा गाना मत दे दीजिएगा तो उन्होंने कहा था कि बिल्कुल भी नहीं. हमारी जोड़ी नंबर वन है. वे हमारी जुगलबंदी को जोड़ी नंबर वन कहते थे.

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