22.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Exclusive: सिक्किम की पुलिस ऑफिसर इक्शा केरूंग की ‘लकड़बग्घा’ से बॉलीवुड में शुरुआत..खुद बताया कैसे मिली फिल्म

इक्शा केरूंग ने बताया कि, इस फिल्म के लिए पहले मुझे इंस्टाग्राम पर डीएम आया था, लेकिन मुझे लगा कि यह गलत होगा. फिर मैंने देखा कि अंशुमान ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट से मुझे मैसेज किया कि मुझे अपनी फिल्म के लिए एक ऐसी फीमेल चाहिए, जिसे पता हो कि किस तरह से लड़ना हैं.उन्हें पता था कि मैं बॉक्सर हूं.

सिक्किम की इक्शा केरूंग पुलिस ऑफिसर के साथ -साथ मॉडल, बॉक्सर और बाइकर होने के लिए एक अरसे से सुर्खियां बटोर रही हैं. इन दिनों वह बॉलीवुड में अपने डेब्यू को लेकर चर्चाओं में हैं. उनकी फिल्म लकड़बग्घा ने आज सिनेमाघरों में दस्तक दी हैं. इक्शा कहती हैं कि मैं खुद को यूनिक समझती हूं कि मुझे ये सब बैलेंस करने का मौका मिल रहा हैं. इसे मैं भगवान का आशीर्वाद भी करार दूंगी. उर्मिला कोरी से हुई बातचीत के प्रमुख अंश…

किस तरह से आपको आपकी पहली बॉलीवुड फिल्म लकड़बग्घा मिली?

इस फिल्म के लिए पहले मुझे इंस्टाग्राम पर डीएम आया था, लेकिन मुझे लगा कि यह गलत होगा. फिर मैंने देखा कि अंशुमान ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट से मुझे मैसेज किया कि मुझे अपनी फिल्म के लिए एक ऐसी फीमेल चाहिए, जिसे पता हो कि किस तरह से लड़ना हैं.उन्हें पता था कि मैं बॉक्सर हूं, मैं पुलिस में हूं. मैं बताना चाहूंगी कि इस फिल्म की कहानी के बारे में पता नहीं था, सिर्फ अपने किरदार को सुनकर मैं इतनी ज्यादा उत्साहित हो गयी कि मैंने फिल्म को हां कह दिया क्योंकि फाइटिंग मेरा जॉनर है.मैं इसी बात पर इम्प्रेस हो गयी थी. मुझे नहीं पता था कि ये नेगेटिव किरदार हैं. मुझे बहुत बाद में मालूम पड़ा.

जब आपको मालूम पड़ा कि यह नेगेटिव किरदार हैं, तो क्या हिचक महसूस नहीं हुई?

मैंने अब तक रियलटी शो, एड फिल्म किया है.पहली बार किसी बॉलीवुड फिल्म में काम रही थी. मुझे लगा कि मुझे ये करना चाहिए. सिक्किम से होने की वजह से मुझे कम मौके मिलते थे इसके साथ पुलिस में हूं, तो यह और मेरे पास आनेवाले मौकों को कम कर देता हैं.यही वजह हैं कि जो भी मौके मुझे सही मिलते हैं. मैं उन्हें तुरंत हां कह देती हूं.

पुलिस की ड्यूटी के साथ -साथ एक्टिंग के अपने सपने को पूरा करने के लिए समय कैसे निकालती हैं?

मेरे लिए सबसे मुश्किल छुट्टी लेना होता हैं. मेरे पास निर्धारित छुट्टियां होती हैं. हमारे पास दस सिक लीव होता हैं, वो कबका खत्म हो चुका होता है, क्योंकि मैं सिक्किम के लोकल वीडियोज में भी काम करती हूं. सीएल मिलता हैं सिर्फ 30 दिन, उसमें पूरे साल को मैनेज करना बहुत मुश्किल रहता हैं. हमारे तो रुल बुक लिखा हुआ हैं कि पुलिस को छुट्टी लेने का अधिकार नहीं हैं, लेकिन मैं लकी हूं कि हमारे पुलिस के ऑफिसर्स बहुत सपोर्टिंव हैं.उनमें से कईयों का कहना होता हैं कि उन्होंने भी कुछ सपने देखें थे, लेकिन उनके सपने पूरे नहीं हो पाए, इसलिए वे चाहते हैं कि कम से कम मैं अपने सपनों को अपनी इस ड्यूटी के साथ पूरा कर लूं.

Undefined
Exclusive: सिक्किम की पुलिस ऑफिसर इक्शा केरूंग की 'लकड़बग्घा' से बॉलीवुड में शुरुआत.. खुद बताया कैसे मिली फिल्म 2

इस फिल्म के लिए क्या आपको मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग लेनी पड़ी?

इस फिल्म के लिए कर्व मागा सीखा हैं. पहले मुझे सिर्फ बॉक्सिंग और किक बॉक्सिंग ही आती हैं. इस फिल्म के लिए मार्शल आर्ट सीखा. वैसे एक्टिंग मेरे लिए नया हैं तो मुझे अपने पावर को कण्ट्रोल करना नहीं आता हैं. कई बार मैं सचमुच अंशुमान को घायल कर देती थी. उसको पूरे फोर्स के साथ मार देती थी.

आपके लिए टर्निंग पॉइंट क्या रहा हैं?

जिस रियलिटी से पहचान मिली थी वह एम टीवी का सुपर मॉडल था. उस रियलिटी शो ने ही मुझे पहचान दी थी कि मैं पुलिस में हूं, बॉक्सर हूं, बाइकर भी हूं. आनंद महिंद्रा सर ने मुझे ट्वीट किया था, जिसके बाद मुझे जावा की बाईक मिली. रॉयल एनफील्ड के इवेंट्स में मुझे बुलाया जाता हैं.उस रियलिटी शो के बाद मैं परिचित चेहरा बन गयी हूं.

आपकी इस जर्नी में किस तरह की चुनौतियों से आपको जूझना पड़ा हैं ?

शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक और भावनात्मक तौर पर भी चुनौतियाँ मिली हैं.कई बार मैं बहुत परेशान भी होती हूं. मैं 19 साल की उम्र से काम कर रही हूं. मेरी फैमिली के लिए एकमात्र इनकम का सोर्स मैं ही हूं. मुझे और लाइफ जीना था. कॉलेज जाना था. दोस्तों के साथ क्लासेज बंक करना था. मूवी डेट पर जाना था. मेरे साथ ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. अभी की बात करुं तो पुलिस की ड्यूटी में हम बैठ नहीं सकते हैं. हमें खड़े रहना पड़ता हैं. भले भी हमको पीरियड के दर्द से गुज़रना पड़े. वरना लोग कहेँगे कि पुलिस अपनी ड्यूटी नहीं करती हैं.बैठकर क्या हम ड्यूटी और आसपास के लोगों की निगरानी नहीं कर सकते हैं. कई बार पैसे होते हुए भी हम कुछ खा नहीं पाते हैं, क्योंकि तब भी लोग यही कहते हैं कि ये लोग सिर्फ खाते ही रहते हैं. मेरे माता पिता भी बहुत सख्त और मुंहफट हैं.बेबी टाइप वाली मेरी परवरिश नहीं हुई हैं.उनके सामने मैं रोती हूं, तो वो मुझे डांटते हैं. वे हमेशा मुझे स्ट्रांग बनने के लिए कहते हैं. वैसे मैं भगवान की शुक्रगुज़ार हूं कि उसने मुझे लग्जरी लाइफ नहीं दी, वरना मैं इतनी मेहनत नहीं करती और मेरा टैलेंट बाहर नहीं आ पाता था.

क्या कभी ऐसा भी सोचती हैं कि पूरी तरह से एक्टिंग पर फोकस करुं?

ये बहुत ही सेल्फिश फैसला होगा. मुझे सेल्फिश नहीं बनना हैं.हंसते हुए भले ही मैं इस फिल्म में नेगटिव हूं, लेकिन असल जिंदगी में मैं बिल्कुल भी नेगटिव नहीं हूं. मेरा परिवार मुझ पर निर्भर हैं और पुलिस की ड्यूटी से काफी मदद मिली है.एक्टिंग में कुछ भी फिक्स नहीं हैं, लेकिन हां मैं सोच रही हूं कि पुलिस से एक साल की छुट्टी लेकर फिल्मों पर पूरी तरह से फोकस करुँगी. अगर कुछ अच्छा हुआ तो उसके बाद दो से तीन साल तक लीव ले लुंगी. रुलबुक में भी हैं कि तीन साल तक लीव ले सकते हैं.उस दौरान एक्टिंग क्लासेज भी ज्वाइन करुँगी. मैं अपने सपने पूरे करुँगी. अब तक मैं सिर्फ अपने माता -पिता के सपने पूरी कर रही थी. मेरे माता पिता भी मुझे सपोर्ट कर रहे हैं. (हँसते हुए )मैं उन्हें जल्द ही उन्हें उनका खुद का घर गिफ्ट कर रही हूं. जिससे वे बहुत खुश हैं. इसके साथ ही जब उन्हें मालूम पड़ा कि एक्टिंग में अच्छे पैसे हैं तो वो भी राज़ी हो गए कि मुझे इसमें कोशिश करनी चाहिए

आपकी पसंदीदा बॉलीवुड की फ़िल्में कौन सी रही हैं?

मेरी पसंदीदा फ़िल्में दिल का रिश्ता और धड़कन रही हैं.मैं अभी भी ऐश्वर्या राय के ब्लू लहंगे वाले सांग को गुनगुनाती रहती हूं . एक और फिल्म हैं धड़कन, उस फिल्म को सोचकर अभी भी मेरा दिल दुखता है कि उस फिल्म में कैसे शिल्पा शेट्टी ने सुनील शेट्टी का दिल तोड़ दिया था. पार्ट टू आकर सबकुछ ठीक हो जाए. ये मेरी खवाइश हैं. इसके अलावा मुझे फिल्म हम दिल दे चुके सनम बहुत पसंद हैं.

नार्थ ईस्ट के लोगों को अक्सर भेदभाव से गुज़रना पड़ता हैं क्या आपने भी ऐसा कुछ झेला हैं?

मुझे लगता हैं कि नार्थ ईस्ट का हर इंसान इस तरह के भेदभाव से गुज़रता हैं. मुझे याद हैं कि मैं सुपरमॉडल के लिए दिल्ली गयी हुई थी. मैं और मेरी बहन कुछ खरीदकर वापस आ रहे थे. सड़क पर कुछ आदमी थे. हमें देखकर वे कोविड को फैलाने को लेकर गलत -गलत बात कहने लगे. हम चायनीज फेश हैं, तो इसमें हमारी गलती क्या हैं. मैं अपनी तरह से बहुत खूबसूरत हूं. मैं उनसे ज्यादा दयालु हूं क्योंकि मैं उनसे ज्यादा स्ट्रांग हूं. मैं उन्हें मार सकती हूं,लेकिन नहीं मारती, क्योंकि मैंने अपनी ड्यूटी के वक़्त ये शपथ ली थी चाहे जहां भी जाए,अपने देश की यूनिटी और क़ानून को बरकरार रखेंगे. जब हमने ये शपथ ली थी, तो अपने तिरंगे के सामने ली थी, तो हम उसे धोखा नहीं दे सकते हैं.मुझे पता हैं कि आपको ये फ़िल्मी लग सकती हैं, लेकिन ये मेरी ही नहीं डिफेन्स में रहने वाले हर इंसान की भावना हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें