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Exclusive: स्‍वरा भास्‍कर ने ‘Flesh’ में अपने किरदार को लेकर खोले दिलचस्‍प राज

exclusive swara bhaskar reveals interesting secrets about his character in series flesh: अभिनेत्री स्वरा भास्कर इनदिनों अपने वेब शो 'फ्लेश' (Flesh) को लेकर सुर्खियों में हैं. फिल्‍म में वह ए‍क कॉप के किरदार में नजर आ रही हैं. ट्रेलर सामने आने के बाद कईयों ने उनकी तारीफ की. वहीं सोशल मीडिया पर लोगों उन्‍हें जमकर ट्रोल भी कर रहे हैं.

अभिनेत्री स्वरा भास्कर इनदिनों अपने वेब शो ‘फ्लेश’ (Flesh) को लेकर सुर्खियों में हैं. फिल्‍म में वह ए‍क कॉप के किरदार में नजर आ रही हैं. ट्रेलर सामने आने के बाद कईयों ने उनकी तारीफ की. वहीं सोशल मीडिया पर लोगों उन्‍हें जमकर ट्रोल भी कर रहे हैं. अब इस किरदार की तैयारियों और ट्रोलिंग पर स्‍वरा भास्‍कर की उर्मिला कोरी से खास बातचीत…

वेब सीरीज फ्लेश में आपको क्या अपील कर गया?

तीन चीज़ें मेरे लिए सबसे अहम थी. सबसे पहले इस वेब सीरीज से जुड़ा मुद्दा।बहुत अहम मुद्दा है हमारे समय का।बहुत घिनौना सच है . अव्वल तो 2020 में इंसानों और बच्चों की खरीद फरोख्त होनी नहीं चाहिए लेकिन हो रही है इसलिए इस विषय पर जितनी कहानियां कहीं जाए उतना अच्छा है क्योंकि फिर इससे जागरूकता आएगी. दूसरा अहम कारण स्क्रिप्ट थी. बहुत ही डिटेल में स्क्रिप्ट पर काम किया गया है. तीसरा था मेरा किरदार पहली बार मैं पुलिस बनी हूं. अगर आप याद करें तो गिनी चुनी अभिनेत्रियों ने पुलिस के किरदार किए हैं. अभी याद करने पर रानी जी औऱ प्रियंका का ही नाम आ रहा है जबकि हीरो में हर हीरो ने अपने कैरियर में एक बार वर्दी ज़रूर पहनी है और वो माइलस्टोन रही है. मैं लकी हूं कि मुझे ये मौका मिला.

किरदार में खुद को ढालने के लिए कितना होमवर्क करना पड़ा सबसे चुनौतीपूर्ण क्या था?

सबसे मुश्किल था गन चलाना.पूरे शूट में उस पर मेरा छीछालेदर हुआ था.मुझे पता नहीं था कि कॉटरेज ब्लेंक होता है लेकिन आवाज़ तो उसमें होती है.हालात खराब हुई शूट करते हुए.मेरी आँखें ही बंद हो जाती थी. मेरे एक्शन को देखकर निर्देशक दानिश मेरा मज़ाक बनाते थे कि सत्तो आपा आ गयी.मैं अपने एक्शन डायरेक्टर्स हबीब और रियाज़ की शुक्रगुज़ार हूं.उन्होंने एक्शन में मेरी बहुत मदद की है.बारीक से बारीक डिटेलिंग पर मुझसे काम करवाया.वीएफएक्स की मैं ज़िन्दगी में इतनी आभारी नहीं हुई जितनी इस फ़िल्म में हुई. इस वेब सीरीज के लिए तो मैंने दौड़ने की भी ट्रेनिंग ली है. दानिश ने कहा कि तुम पुलिस ऑफिसर की तरह नहीं भाग रही हो तो एक एथलीट हैं अभिषेक शर्मा उनसे ट्रेनिंग ली. भागते हुए पंजे पर या एड़ी पर कैसे बैलेंस होना चाहिए.

क्या आप रियल ऑफिसर्स से भी मिली,उनके माइंडसेट को समझने की कोशिश की?

हां, पुरूष महिला. आईपीएस. स्टेट लेवल सभी से.मैंने पाया कि उनमें एक सिस्टम को लेकर एक गुस्सा था कि हम जान जोखिम में डालकर मुजरिमों को पकड़ते हैं लेकिन फिर वो कोई सोर्स लगाकर या कानून में कोई लूप होल्स निकालकर बच जाते हैं. मैंने ये भी पाया कि महिला ऑफिसर अपने जेंडर के हिसाब से खुद को जज नहीं करती हैं.वह खुद को ऑफिसर समझती हैं बस.

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‘फ्लेश’ के साथ एक फ़िल्म और दो वेब सीरीज भी रिलीज हुई है, एक साथ इतने सारे प्रोजेक्ट्स देखने को दर्शक क्या तैयार है?

हां, क्योंकि यहां पर पहले वीकेंड में थिएटर की तरह कमाई वाला मामला नहीं है. आप आराम से जब मन हो देखिए. अपनी सुविधानुसार. यही डिजिटल की खासियत है. 21 को मन नहीं 22 को देखिए या फिर 23 को. जब आपके पास समय है.

चूंकि डिजिटल माध्यम में सेंसरशिप नहीं है जिस वजह से विषय के साथ रियलिस्टिक ट्रीटमेंट ज़्यादा होता है?

हां, क्योंकि डिजिटल माध्यम में अब तक आज़ादी मिल रही है. फिल्मों में आपको सेंसरशिप,दो घंटे का फॉरमेट,बॉक्स आफिस का प्रेशर होता है. यू या यू ए सर्टिफिकेट लेना है इसकी भी माथापच्ची रहती है.डिजिटल ये सबसे मुक्त है. वो बस अपनी कहानी को ईमानदार तरीके से दिखाने में यकीन कर रहा है. जिस वजह से अलग अलग कहानियां आ रही हैं. कहानीकार जो है जो अपनी कहानी की सच्चाई बिना किसी प्रेशर के दिखा सकता है.

ट्रोलिंग शब्द आपके नाम के साथ जुड़ गया है क्या आपको लगता है कि इस वेब सीरीज में आपके गालियों को लेकर आपको ट्रोल किया जा सकता है?

सबसे पहली बात ट्विटर या सोशल मीडिया देखकर लोग तय नहीं करते हैं कि हम क्या देखेंगे.वो ट्रेलर देखकर तय करती है कि उसे क्या देखना है.जहां तक मेरे किरदार राधा के गालियां बकने की बात है तो उसकी दुनिया देखिए.वो कैसे लोगों से डील कर रही है ये देखिए.रसभरी में ट्रोल हुई थी लेकिन उसका असर व्यूवर शिप पर नहीं पड़ा था. वेब सीरीज लांच होने के दो तीन हफ्ते तक लगातार टॉप टेन व्यू में बनी हुई थी. ट्रोलिंग का असर व्यूवरशिप पर नहीं पड़ता है ना ही मेरी निजी जिंदगी पर.

आपने इस साल हिंदी सिनेमा में दस साल पूरे कर लिए हैं कैसे देखती हैं इस जर्नी को?

बहुत उतार चढ़ाव रहा. सफलता देखी.असफलता देखी.अवार्ड भी मिली.आलोचना भी हुई.खूब सारी कॉन्ट्रोवर्सी भी हुई. 10 सालों में इतनी कॉन्ट्रोवर्सी झेली है उतना कोई 40 सालों में भी नहीं झेलता है. मुझे लगता है कि मेरे करियर के चालीस साल हो गए.वैसे अब मुझे कॉन्ट्रोवर्सीज से डील करना आ गया है.

आपके आनेवाले प्रोजेक्ट्स?

नेटफ्लिक्स पर वेब सीरीज भाग बेनी भाग जल्द ही आएगी.उसके बाद साल के अंत में एक फ़िल्म है शीर कोरमा वो रिलीज होगी.

Posted By: Budhmani Minj

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