‘जाने कहां मेरा जिगर गया जी’, ‘बाबू जी धीरे चलना’, ‘पिया ऐसो जिया में समाय गयो रे’, और ‘ये लो मैं हारी पिया’ जैसे गाने आज भी लोग गुनगुनाते हैं और अपने प्रियजन को डेडिकेट करते हैं. ऐसे में क्या आप जानते हैं कि इन एवरग्रीन गानों को और किसी ने नहीं बल्कि हिंदी सिनेमा की दिग्गज गायिका गीता दत्त ने अपनी आवाज दी थी. अभिनेत्री ने अपने करियर में 1417 गाने गाए हैं. स्वर कोकिला लता मंगेशकर उनकी बहुत बड़ी फैन रह चुकी हैं. हालांकि गीता दत्त ने 20 जुलाई, 1972 को अंतिम सांस ली. उन्होंने महज 41 वर्ष की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह दिया. आज उनकी पुण्यतिथी है.
गीता दत्त की फैन रह चुकी हैं लता मंगेशकर
गीता दत्त हमेशा फिल्मों में गाने को लेकर चयनात्मक रही थीं. जब उन्होंने गाना गाया, तो एसडी बर्मन, हेमंत कुमार, मदन मोहन और ओपी नैय्यर जैसे संगीत निर्देशकों की रचनाओं में जान फूंक दी. उनका प्रदर्शन अद्भुत था, एक पल में वह ‘तदबीर कहते बड़े हुए तकदीर बना ले’ गाकर चुलबुली गीता बाली की आवाज बन सकती थीं, और अगले ही पल, ‘आज सजन मोहे अंग लगा लो’ गाकर प्यारी वहीदा रहमान की आवाज बन जाती थीं. उनके गानों की लता मंगेशकर भी मुरीद हुआ करती थीं. एक दौर था, जब यहीं दोनों गायिका इंडस्ट्री की टॉप 2 सिंगर की लिस्ट में शुमार थी.
गीता दत्त ने 16 साल की उम्र में गाया पहला गाना
गीता दत्त का जन्म 23 नवंबर 1930 में गीता घोष रॉय चौधरी के रूप में हुआ था. वह एक भारतीय प्लेबैक गायिका और प्रसिद्ध हिंदी और बंगाली शास्त्रीय कलाकार थीं. उन्हें हिंदी सिनेमा में गायिका के रूप में विशेष प्रसिद्धि मिली. दिग्गज अभिनेत्री का आज ही के दिन 51 साल पहले निधन हुआ. आज उनकी 51वीं पुण्यतिथि है. गीता दत्त सिर्फ 16 साल की थीं, जब संगीतकार हनुमान प्रसाद की नजर उन पर पड़ी और उन्होंने उन्हें अपनी पौराणिक फिल्म ‘भक्त प्रह्लाद’ (1946) में कुछ पंक्तियां दीं. वहीं एस.डी. बर्मन, भी उनकी सिंगिंग से इतने प्रभावित थे, कि उन्होंने अभिनेत्री को ‘दो भाई’ फिल्म में गाने का मौका दिया.
गुरु दत्त की वजह से गीता दत्त का करियर हुआ खराब
गीता दत्त के 1,400 से अधिक गीतों में से, ‘आनंदमठ’, ‘आर पार’, ‘बाजी’, ‘सीआईडी’, ‘प्यासा’, ‘देवदास’, ‘जोगन’, ‘कागज के फूल’, ‘साहब’ जैसी ऐतिहासिक फिल्मों में शामिल हैं. ‘बीबी और गुलाम’ सहित अन्य फिल्में उनकी प्रतिभा के पर्याप्त प्रमाण हैं. हालांकि, कुछ साल बाद, सब कुछ गलत होने लगा, उनके पति गुरु दत्त न केवल उनकी प्रतिभा के प्रति असुरक्षित साबित हुए और उन्हें अपनी प्रस्तुतियों तक ही सीमित रखने की कोशिश की. गुरु दत्त का नाम वहीदा रहमान संग जुड़ा, जिसके बाद गीता संग उनके रिश्ते में कड़वाहट आ गई. पति की मौत के बाद वो पूरे दिन नशे में डूबी रहती थी. हालत इतनी बिगड़ गई कि एक वक्त था जब वह अपने बच्चों को नहीं पहचान पाती थी.
गीता दत्त को ऐसा हुआ गुरु दत्त से प्यार
साल 1951 में आई फिल्म बाजी में गीता ने कई गानों में अपनी आवाज दी थी. इसी फिल्म से गुरु दत्त ने डायरेक्टोरियल डेब्यू किया था. शूटिंग के दौरान गीता और गुरु दत्त एक दूसरे के करीब आये और दोनों को एक दूसरे से प्यार हो गया. बाद में साल 1953 में कपल ने शादी कर ली. शादी के कुछ साल काफी अच्छे बीते और उनके दो बेटे हैं. कहा ये भी जाता है कि जब गीता और गुरु मिले थे. तब एक्ट्रेस हिंदी सिनेमा का जाना-माना चेहरा बन चुकी थी.
‘मेरा सुंदर सपना बीत गया’ (दो भाई, 1947)
गीता रॉय को कोई प्रशिक्षण नहीं मिला, लेकिन वह एक स्वाभाविक गायिका थीं. 1946 में, जब वह केवल 16 वर्ष की थीं, एक मौका था, जब उनकी पहली फिल्म एसडी बर्मन की नजर में आई, जो उनकी आवाज से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने उनसे दो भाई में नौ में से छह गाने गवाए. ‘मेरा सुंदर सपना बीत गया’ में उनके गायन ने उनकी कम उम्र को झुठला दिया और घर-घऱ पहचाने जाने लगी.
‘जाने क्या तूने कहीं’ (प्यासा, 1957)
प्यासा एक क्लासिक फिल्म थी, जिसने फिल्म में शामिल हर कलाकार का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन सामने लाया. अपने चरम पर एसडी बर्मन और साहिर लुधियानवी जैसे कलाकारों के साथ काम करते हुए, गीता दत्त ने प्यासा के लिए कुछ यादगार गाने रिकॉर्ड किए. गीता दत्त का ‘जाने क्या तूने कहीं’ गाना और वहीदा रहमान और गुरु दत्त पर फिल्माया गया है.
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‘नन्ही कली सोने चली’ (सुजाता, 1959)
1957 में एक गलतफहमी के कारण एसडी बर्मन और लता मंगेशकर ने कुछ सालों के लिए काम करना बंद कर दिया. इस दौरान, वे या तो गीता दत्त या आशा भोसले से अपनी फिल्मों में गाना गवाते थे. उदाहरण के लिए, ‘नन्ही कोली सोने चली’ में, गीता दत्त ने एक साधारण लोरी को एक ऐसी शैली में चंचलता प्रदान की, जिसका मुकाबला कोई अन्य गायक नहीं कर सकता था.