बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को अभिनेत्री कंगना रनौत (Kangana Ranaut) की दायर याचिका खारिज कर दी. इस याचिका में गीतकार जावेद अख्तर (Javed Akhtar) की 2020 में शिकायत के बाद उनके खिलाफ मजिस्ट्रेट कोर्ट द्वारा शुरू की गई आपराधिक मानहानि की कार्यवाही को रद्द करने की मांग की गई थी. न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे ने फैसला सुनाया.
अपनी शिकायत में जावेद अख्तर ने आरोप लगाया था कि कंगना रनौत ने नेशनल और इंटरनेशनल टीवी पर मानहानिकारक बयान दिए थे, “जो आम जनता की नजर में (जावेद अख्तर) को बदनाम करने और कलंकित करने के लिए एक स्पष्ट अभियान प्रतीत होता है.” अंधेरी में मजिस्ट्रेट कोर्ट ने फरवरी में कंगना के खिलाफ कार्यवाही शुरू करने और मार्च में जमानती वारंट जारी करने के बाद, जावेद अख्तर अदालत के सामने पेश हुए और जमानत के लिए आवेदन दिया था जिसपर उन्हें मंजूरी मिल गई थी.
इस साल जुलाई में हाई कोर्ट में कंगना की याचिका में मजिस्ट्रेट द्वारा शुरू की गई पूरी कार्यवाही को चुनौती दी गई थी, जिसमें आज तक जारी किए गए सभी आदेश और समन शामिल हैं. इसमें कहा गया है कि मजिस्ट्रेट, जुहू पुलिस को केवल जांच करने का निर्देश देने के बजाय, जावेद और शिकायत में नामित गवाहों की आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के अनुसार जांच करने के लिए बाध्य था.
कंगना रनौत के वकील रिजवान सिद्दीकी ने तर्क दिया था कि मजिस्ट्रेट को “यांत्रिक रूप से” आदेश पारित करने के बजाय शिकायत की सत्यता का निर्धारण करना चाहिए था. उन्होंने कहा था कि जावेद अख्तर द्वारा कोई सबूत रिकॉर्ड पर नहीं लाया गया था और जिस कंटेंट पर भरोसा किया गया था वह तीसरे पक्ष द्वारा लाई गई थी, जिसकी शपथ पर जांच नहीं की गई थी. सिद्दीकी ने यह भी कहा था कि, यह एक “एकतरफा जांच” थी.
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हालांकि जावेद अख्तर के वकील जय भारद्वाज ने पीठ को बताया कि मजिस्ट्रेट ने अख्तर की शिकायत और साक्षात्कार के कुछ अंशों को देखने के बाद पुलिस जांच का आदेश दिया था जिसमें कंगना ने कथित मानहानिकारक टिप्पणी की थी. उन्होंने आगे कहा कि पुलिस ने जांच में निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए गवाहों और रानौत सहित संबंधित व्यक्तियों को तलब किया था, लेकिन उन्होंने ने कभी भी समन का जवाब नहीं दिया.