फिल्म निर्माता कबीर खान किसी भी मुद्दे पर खुलकर अपनी राय रखते है. हाल ही में उन्होंने एक कार्यक्रम में कहा कि सिनेमा में देशभक्ति और राष्ट्रवाद के बीच एक अंतर है क्योंकि उनका मानना है कि देशप्रेम दिखाने के लिए विरोधी विचार की जरूरत नहीं है. ‘काबुल एक्सप्रेस’, ‘बजरंगी भाईजान’ और ‘83′ जैसी फिल्मों को लेकर सराहे गये निर्देशक ने कहा कि उनकी फिल्म उनके खुद के व्यक्तित्व का प्रतिबिंब है और हर विषय की अपनी मांग होती है.
उन्होंने कहा, ‘‘हर फिल्म, निर्माता का अपना खुद का प्रतिबिंब (जो फिल्म वे बनाते हैं, उनमें) होना चाहिए. हम कभी-कभी फिल्म में तिरंगा दिखाते हैं, लेकिन आज देशभक्ति और राष्ट्रवाद में अंतर है.” उन्होंने कहा, ‘‘राष्ट्रवाद के लिए, कभी-कभी हमें एक विरोधी विचार या ‘विलेन’ की जरूरत पड़ती है.
हालांकि, देशभक्ति के लिए आपको ऐसी किसी चीज की जरूरत नहीं पड़ती. देशभक्ति अपने देश के लिए सच्चा प्रेम है और आपको किसी विरोधी विचार की जरूरत नहीं पड़ती। और (फिल्म 83) के जरिये मेरी यही कोशिश थी.” अपनी फिल्म ‘83′ के बारे में खान ने कहा कि उन्होंने इसमें देशभक्ति दिखाने की कोशिश की.
यह फिल्म 1983 में भारतीय क्रिकेट टीम के कपिल देव की कप्तानी में विश्व चैम्पियन बनने पर आधारित है. यह पूछे जाने पर कि वह समाज के एक वर्ग द्वारा पाकिस्तान जाने की सलाह दिये पर क्या प्रतिक्रिया व्यक्त करना चाहेंगे, कबीर खान ने कहा कि उन्हें बुरा लगता है लेकिन उनका मानना है कि यह सब सोशल मीडिया के चलते हो रहा है, जिसने लोगों को किसी को भी कुछ भी कहने की खुली छूट दे दी है.