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आर्यभट्ट और सुंदर पिचाई के प्रशंसकों की संख्या फिल्म अभिनेताओं से कहीं ज्यादा है: माधवन

अभिनेता आर. माधवन ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारतीय सिनेमा ने बड़े स्तर पर विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्र और उससे जुड़े नायकों की असाधारण कहानियों की उपेक्षा की है.

नयी दिल्ली : अभिनेता आर. माधवन ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारतीय सिनेमा ने बड़े स्तर पर विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्र और उससे जुड़े नायकों की असाधारण कहानियों की उपेक्षा की है. माधवन ने कहा कि देश में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के प्रशंसकों की संख्या फिल्मी सितारों की संख्या से कहीं अधिक है. माधवन की निर्देशक के तौर पर पहली फिल्म “रॉकेटरी: द नम्बी इफेक्ट” को पहली बार बृहस्पतिवार को कान फिल्म महोत्सव में दिखाया जाएगा. उन्होंने कहा कि युवा इस तरह के नायकों को पसंद करते हैं.

हमारे पास असाधारण कहानियां है

उन्होंने कहा, “जहां तक विज्ञान और प्रौद्योगिकी का सवाल है, आर्यभट्ट से लेकर सुंदर पिचाई तक, हमारे पास असाधारण कहानियां हैं. हम इन लोगों के बारे में फिल्में नहीं बना रहे हैं. ये लोग दुनियाभर में युवाओं के प्रेरणास्रोत हैं. इनके प्रशंसकों की संख्या फिल्मी सितारों और अभिनेताओं के प्रशंसकों की संख्या से भी अधिक है.”

ऐसे लोगों से मिला हूं

माधवन ने कहा, “मैं उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के ऐसे लोगों से मिला हूं, जिन्होंने इस नए मेटावर्स की शुरुआत की जो वेब 3.0 में हैं… हम सफलताओं की ऐसी कहानियों पर फिल्म नहीं बना रहे हैं.” माधवन ने कान में इंडिया फोरम पर एक परिचर्चा में यह कहा, जिसमें उनके साथ केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, फिल्मकार शेखर कपूर, गीतकार और सीबीएफसी के अध्यक्ष प्रसून जोशी तथा अमेरिकी पत्रकार स्कॉट रॉक्सबोरो शामिल थे.

फिल्मकार क्रिस्टोफर नोलन के बारे में कही ये बात

माधवन ने कहा कि भारत की महान परंपराओं और संस्कृति का समृद्ध इतिहास है जो विश्व के लिए एक उदाहरण है. उन्होंने कहा, “लेकिन भारत का एक पक्ष है, जिस पर आज ध्यान नहीं दिया जा रहा कि फिल्मकार के तौर पर या भारत के बारे में बात करने वाले लोग, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में उत्कृष्टता को पूरी तरह नकार रहे हैं.” माधवन ने हॉलीवुड के फिल्मकार क्रिस्टोफर नोलन का उदाहरण दिया, जिन्हें विज्ञान आधारित फिल्मों के लिए जाना जाता है.

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भारत की संस्कृति को समझने की जरूरत है

अभिनेता-निर्देशक ने कहा, “जब क्रिस्टोफर नोलन इन्सेप्शन या इंटरस्टेलर जैसी फिल्में बनाते हैं तो समीक्षक डरते हुए उन्हें देखने जाते हैं और उम्मीद करते हैं कि उन्हें वह समझ में आए जो निर्देशक दिखाना चाहता है क्योंकि वे ऐसी समीक्षा नहीं लिखना चाहते कि उन्हें मूर्ख समझा जाए. उन्हें पता है कि एक वैज्ञानिक है, जो फिल्म बना रहा है.” प्रसून जोशी ने सांस्कृतिक पक्ष के महत्व के बारे में बात की और कहा कि पश्चिम को भारत की संस्कृति को समझने की जरूरत है. निर्देशक शेखर कपूर ने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अर्जित उपलब्धियों के कारण भारत जल्दी ही दुनिया की सबसे बड़ी प्रभावशाली अर्थव्यवस्था बन जाएगा.

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