नयी दिल्ली: देश के हिंदी भाषी क्षेत्रों में दक्षिण भारतीय फिल्मों की बढ़ती हुई लोकप्रियता को लेकर बॉलीवुड अभिनेता रणवीर सिंह का कहना है कि वह इसे ‘उत्तर बनाम दक्षिण’ के नजरिए से नहीं देखते और कला क्षेत्र सृजनात्मकता के लिए जाना जाता है, जहां प्रतिस्पर्धा की अवधारणा नहीं होनी चाहिए.
रणवीर सिंह ने पीटीआई-भाषा को दिए इंटरव्यू में कहा, ‘‘मैं कला क्षेत्र में ‘उत्तर बनाम दक्षिण’ के विषय को बेमानी मानता हूं और इसे इस नजरिए से कभी नहीं देखता. मेरे मुताबिक जीवन में बहुत सारे ऐसे क्षेत्र हैं, जहां प्रतिस्पर्धा की भावना होना स्वाभाविक है. उदाहरण के तौर पर खेल के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा की भावना काफी प्रबल होती है. मैं कला के क्षेत्र में ‘उत्तर बनाम दक्षिण’ की बहस को खारिज करता हूं.”
रणवीर ने कहा, ‘‘एक कलाकार के तौर पर मैं अपने ईमान और सत्यनिष्ठा की पूरी ताकत के साथ रक्षा करता हूं और कला का क्षेत्र विषयपरकता के दायरे में आता है, जहां प्रतिस्पर्धा की भावना नहीं होनी चाहिए. मैं अपने सहयोगी और अन्य कलाकारों के साथ कभी प्रतिस्पर्धा नहीं करता. मैं बेहतर काम के लिए केवल अन्य कलाकारों की सराहना कर सकता हूं. मैं इसे ‘उत्तर बनाम दक्षिण’ के नजरिए से नहीं देखता. हम सभी फिल्मी कलाकार भारतीय सिनेमा का हिस्सा हैं.”
रणवीर के मुताबिक, भारत की मूल पहचान उसकी विविधता में है और वह उस पर गर्व करते हैं. रणवीर ने कहा,‘‘ जब मैं कहीं विदेश जाता हूं और मैं लोगों से मिलता हूं तो उन्हें अपने काम और अपने देश की विविधता के बारे में बताता हूं, जो हमारी ताकत है. जनसांख्यिकी, भूगोल, भाषाओं, संस्कृतियों, व्यंजनों और अन्य चीजों को लेकर हमारा देश विविधताओं से भरा हुआ है। यह मेरे देश का वह पहलू है, जिस पर निश्चित रूप से मुझे बहुत गर्व है. इसलिए, हम सभी भारतीय सिनेमा का हिस्सा हैं.”
Also Read: सुनील पाल ने मुनव्वर फारूकी पर लगाया था अश्लील कॉमेडी करने का आरोप, अब ‘Lock Up’ विनर ने दी प्रतिक्रिया
रणवीर ने ‘‘पुष्पा” और ‘‘आरआरआर” जैसी फिल्मों की प्रशंसा करते हुए कहा कि हमें गर्व करना चाहिए कि हमारे देश में ऐसी शानदार फिल्में बनती हैं.