Film Review Sooryavanshi
फ़िल्म: सूर्यवंशी
निर्माता: धर्मा प्रोडक्शन
निर्देशक: रोहित शेट्टी
कलाकार: अक्षय कुमार,कट्रीना कैफ ,जैकी श्रॉफ,गुलशन ग्रोवर,जावेद जाफरी, अभिमन्यु सिंह, निकेतन धीर, सिकन्दर खेर, कुमुद मिश्रा और अन्य
रेटिंग: ढाई
रोहित शेट्टी की फ़िल्म सूर्यवंशी ने आखिरकार डेढ़ साल के लंबे इंतजार के बाद सिनेमाघरों में दस्तक दे दिया है. सिंघम,सिम्बा के बाद यह रोहित शेट्टी की सुपर कॉप फ्रेंचाइजी की यह तीसरी फ़िल्म है. रोहित शेट्टी अपनी बिग बजट मसाला फिल्मों के लिए जाने जाते हैं. इसी परंपरा को उन्होंने अपनी इस फार्मूला फ़िल्म के साथ आगे बढ़ाया है जिसकी पटकथा में नयापन नहीं है लेकिन एक्शन और मसाला एंटरटेनमेंट भरपूर है.
फ़िल्म की कहानी की बात करें तो इसमें रियलिस्टिक टच देने के लिए कहानी को 93 के बम धमाकों से जोड़ दिया गया है. मुम्बई बम धमाकों के लिए एक हज़ार किलो आरडीएक्स मुम्बई लाया गया था जिसमें से 400 किलो का इस्तेमाल उस वक़्त हुआ था जबकि 600 किलो अभी भी मुम्बई में ही है. वीर सूर्यवंशी ( अक्षय कुमार)को यह बात मालूम पड़ती है कि ना सिर्फ आरडीएक्स है बल्कि इस आरडीएक्स के ज़रिए मुम्बई पर सबसे बड़े आतंकी हमले की भी तैयारी की जा रही है.
लश्कर अपने स्लीपर सेल के ज़रिए इस आंतकवादी घटना को अंजाम देने वाला है. क्या वीर सूर्यवंशी इस आतंकी घटना को रोक पाएगा. प्रोफेशनल लाइफ में ही नहीं वीर सूर्यवंशी की पर्सनल लाइफ में भी उथल पुथल मची हुई. पत्नी रिया (कट्रीना कैफ) वीर से नाराज है और वह भारत छोड़कर जा रही है क्योंकि वीर परिवार से ज़्यादा अपनी ड्यूटी को अहमियत देता है.
फ़िल्म की कहानी पूर्व अनुमानित सी लगती है लेकिन स्क्रीनप्ले जिस तरह से लिखा गया है और परदे पर नज़र आ रहा स्टार पावर वह ढाई घंटे आपको बांधे रखता है. आपको लगता है कि कुछ खास फ़िल्म में आगे होगा लेकिन फ़िल्म में कुछ भी खास नहीं होता है. फ़िल्म रटे रटाये रोहित शेट्टी के फॉर्मूले पर ही चलती है. ढेर सारे एक्शन के साथ साथ इमोशन,लव स्टोरी, पाकिस्तान विरोध, हिन्दू मुस्लिम एकता,देशप्रेम सबकुछ कहानी में शामिल किया है.
अक्षय कुमार के किरदार को नाम भूलने की बीमारी है इसके जरिए फ़िल्म में कॉमेडी की भी आपूर्ति हुई है. अक्षय कुमार और कट्रीना की प्रेम कहानी फर्स्ट हाफ में कहानी की रफ्तार को स्लो कर देती है. सेकेंड हाफ में फ़िल्म रफ्तार पकड़ती है. फ़िल्म के आखिरी पंद्रह मिनट में सिंघम की एंट्री होती है अगर आप मसाला फिल्मों के दर्शक है तो यह पूरा सीक्वेंस आपके लिए ताली बजाने और सीटी मारने वाला साबित होने वाला है. उससे पहले सिम्बा रणवीर सिंह भी फ़िल्म में दिखते हैं. सूर्यवंशी, सिम्बा और सिंघम ये तीनों की मौजूदगी फ़िल्म के एक्शन और एंटरटेनमेंट दोनों को दुगुना कर जाती है.
अभिनय के पहलुओं पर गौर करें तो अक्षय कुमार अपने चित परिचित अंदाज़ में दिखें हैं. इस सुपर कॉप ड्रामा को उन्होंने अपने स्टाइल और एटीट्यूड में जिया है.कट्रीना कैफ फ़िल्म में औसत रही हैं. जैकी श्रॉफ का किरदार छोटा है लेकिन उन्होंने उसके साथ बखूबी न्याय किया है. जावेद जाफरी, गुलशन ग्रोवर और कुमुद मिश्रा अभिनय में छाप छोड़ते हैं तो सिंकदर खेर,निकेतन धीर, अभिमन्यु सिंह सहित बाकी के सभी कलाकार अपनी भूमिका में जमे हैं.
फ़िल्म के गीत संगीत औसत है. उन्होंने सिम्बा के नक्शेकदम पर चलते हुए पुराने हिट गीतों को फिर से इस्तेमाल किया है. टिप टिप बरसा पानी हो और छोड़ो कल की बातें इस फ़िल्म में सुनने को मिलता है. छोड़ो कल की बातें को फ़िल्म में बेहतरीन तरीके से इस्तेमाल किया गया है. फ़िल्म के तकनीकी पक्ष की बात करें तो सिनेमेटोग्राफी कहानी के अनुरूप है. बैकग्राउंड स्कोर अच्छा बन पड़ा है.
फ़िल्म के संवाद औसत रह गए हैं ज़रूरत से ज़्यादा धर्म निरपेक्षता के संवाद उड़ेले गए हैं. रोहित शेट्टी और अक्षय कुमार दोनों ही अपने एक्शन के लिए जाने जाते हैं ऐसे में जब दोनों ऑन स्क्रीन निर्देशक और एक्टर के तौर पर किसी फिल्म से जुड़ेंगे तो जबरदस्त एक्शन होना लाजमी था. फ़िल्म में उड़ती गाड़ियों, बाइकों और हेलीकॉप्टर के साथ जबरदस्त एक्शन और चेसिंग दृश्य को फिल्माया गया है. अक्षय और सिकंदर खेर के बीच चेसिंग सीन अच्छा बन पड़ा है.
कुलमिलाकर फ़िल्म की पटकथा में कुछ भी नयापन नहीं है लेकिन अगर आप मसाला एक्शन फिल्मों के दर्शक हैं तो यह फ़िल्म आपको एंटरटेन करेगी.