Sushant Singh Rajput, suicide: तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो…क्या गम है जिसको छिपा रहे हो…इस गाने के बोल अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत पर सटीक बैठते है जिन्होंने मुस्कुराते हुए मौत को गले लगा लिया. हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि हमें ऐसी कोई तस्वीर नहीं मिली जिसमें उनका चेहरा उतरा हुआ नजर आया. सुशांत की जितनी भी तस्वीरें सोशल मीडिया पर हैं वो मुस्कुराते हुए दिख रहीं हैं. सुशांत शांत और हंसमुख किस्म के शख्स थे और उनके जीवन से हमें बहुत कुछ सीखना चाहिए.
सुशांत सिंह राजपूत इंजीनियरिंग के छात्र रह चुके थे. छात्र जीवन में उन्होंने ऐसे कार्य भी किये जो आज भी उनको जानने वालों के जेहन में याद है. साल 2006 की बात है जब उन्होंने पहली बाइक खरीदी थी. इस बाईक की तस्वीर सुशांत ने अपने फेसबुक वॉल पर 10 साल बाद 2016 में शेयर की. इस तस्वीर के साथ उन्होंने चंद लाइन भी लिखी. एक्टर ने लिखा कि मैं काफी दिनों से एक बाइक खारीदना चाह रहा था. मैंने अपनी इच्छा पूरी की. इस इच्छा को मैंने ट्यूशन पढ़ाकर पूरी की. कुछ चीजें आपको अच्छा महसूस करातीं हैं.
जाहिर सी बात है कि तस्वीर शेयर करते वक्त सुशांत इस छात्र जीवन से काफी आगे निकल गये थे. वे एक दमदार एक्टर बन चुके थे और वे अपने पुराने दिनों को याद करते रहते थे. सुशांत की यह सबसे बड़ी खासियत थी कि वे अपने पुराने साथियों को कभी नहीं भुलते थे.
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सुशांत ने इंजीनियरिंग के बाद अभिनय की ओर रुख किया था. मुंबई में उन्होंने अपनी शुरुआत बैकअप डांसर के रूप में की. ‘किस देश में है मेरा दिल’ टीवी सीरियल में उन्हें पहली बार अभिनय का मौका मिला. इसके बाद ‘पवित्र रिश्ता’ सीरियल ने सुशांत को घर-घर का चहेता चेहरा बना दिया. इस कामयाबी के बाद सुशांत ने डांस रियलिटी शो ‘जरा नच के दिखा’ और ‘झलक दिखला जा’ में भी हिस्सा लिया. इसके बाद सुशांत ने फिल्मी दुनिया में जगह बनायी. 2013 में उनकी पहली फिल्म ‘काय पो चे’ आयी. अमित साध, राजकुमार राव के साथ उन्होंने पहली ही फिल्म में बढ़िया रोल निभाया. इसके बाद उनका करियर ग्राफ ऊपर चढ़ता गया. उन्होंने एक के बाद एक कई हिट फिल्में दीं. इनमें शुद्ध देसी रोमांस, पीके, एमएस धौनी, केदारनाथ, छिछोरे शामिल हैं. उन्होंने महेंद्र सिंह धौनी के किरदार को इस तरह निभाया कि उनके साथ हमेशा के लिए धौनी की छवि जुड़ गयी.
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-तुम्हारा रिजल्ट डिसाइड नहीं करता है कि तुम लूजर हो कि नहीं, तुम्हारी कोशिश डिसाइड करती है.
-एक बॉलर विकेट लेगा, एक अच्छा बैट्समैन किसी मैच में आपके लिए रन बनायेगा और किसी मैच में नहीं बनायेगा, लेकिन एक अच्छा फील्डर हर मैच में आपके लिए रन बचायेगा.
-दूसरों से हार कर लूजर कहलाने से कहीं ज्यादा बुरा है, खुद से हार कर लूजर कहलाना.
-ये काम भी कितनी चालू चीज है ना… जब काम को टाइम चाहिए होता है तो फैमिली एडजस्ट करती है ना… और जब फैमिली को टाइम चाहिए तो काम को तो एडजस्ट करना पड़ेगा.
Posted By : Amitabh Kumar