अभिनय सम्राट दिलीप कुमार (Dilip Kumar) अब हमारे बीच नहीं रहे. आज सुबह साढ़े सात बजे उनका निधन हो गया. रुपहले पर्दे पर अलग अलग अलग किरदार करने वाले दिलीप कुमार निजी जिंदगी में भी अलग अलग भूमिकाएं निभा चुके हैं. दिलीप कुमार ने अंग्रेजों से पंगा भी लिया है. जिसकी वजह से उन्हें जेल भी जाना पड़ा था. इस बात का जिक्र खुद उनकी ऑटो बायोग्राफी दिलीप कुमार द सब्सटांस एंड शैडो में लिखी है.
बात आज़ादी से पहले की है. जब दिलीप कुमार यूसुफ खान थे और पुणे की एयरफोर्स कंटेन्मेंट कैंटीन में काम करते थे. वे लिखते हैं कि एक दिन पता नहीं क्या हुआ मैंने भारतीय लोगों की तारीफ करते स्पीच दे दिया कि भारत के लोग न्यायप्रिय, अहिंसावादी और बहुत मेहनती होते हैं. मेरी बातें सुनकर वहां दूसरे भारतीय जो थे वो तालियां बजाने लगे. मैं खुश हो रहा था कि अचानक देखा कि कुछ ब्रिटिश सैनिक हथकड़ी लेकर आ गए और मुझे हथकड़ी पहना दी क्योंकि मेरे विचार उन्हें एन्टी ब्रिटिश लगे.
उन्होंने कहा, मुझे पुणे के यरवदा जेल ले जाया गया. जेलर ने मुझे देखते ही कहा कि एक और गाँधीवाला. मुझे उस वक़्त नहीं समझा कि वो ऐसा क्यों कह रहा है लेकिन जब मैं सेल में पहुंचा तो मालूम हुआ कि उस सेल में और भी लोग थे जो ब्रिटिश शासन के खिलाफ थे. जिन्हें जेलर गांधीजी के फॉलवर कहते थे इसलिए सभी का नाम गाँधीवाला था.
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अपनी किताब में दिलीप कुमार इस बात का भी जिक्र करते हैं कि उस वक़्त यरवदा जेल में महान फ्रीडम फाइटर सरदार वल्लभ भाई पटेल भी अरेस्ट थे. उन्होंने उस वक़्त जेल में भूख हड़ताल किया था. सारे जेल के कैदी उनके साथ भूख हड़ताल पर थे. जब मुझे एक गन्दी प्लेट में खाना दिया गया तो पता नहीं क्या मुझे हुआ मैंने भी खाने से मना कर दिया औऱ सभी के साथ भूख हड़ताल में शामिल हो गया. भूखे रहने की वजह से मुझे रात भर नींद नहीं आयी. रात भर में जगा रहा. अगले दिन सुबह मुझे छोड़ दिया गया लेकिन बीता दिन हमेशा के लिए मुझे याद रह गया.