बजट का सुझाव : आवास क्षेत्र में मांग बढ़ाने और कारोबार सुगमता को लेकर कदम उठाने की जरूरत
नयी दिल्ली : रीयल एस्टेट क्षेत्र ने आम बजट में ऐसे कदम उठाने का सुझाव दिया है, जिससे आवासीय इकाइयों की मांग बढ़े और क्षेत्र में नकदी के प्रवाह में सुधार हो. इस क्षेत्र के एक प्रमुख संगठन ने इसके लिए घर खरीदने वालों को अतिरिक्त कर-लाभ दिये जाने और उद्यमों के लिए कारोबार सुगमता […]
नयी दिल्ली : रीयल एस्टेट क्षेत्र ने आम बजट में ऐसे कदम उठाने का सुझाव दिया है, जिससे आवासीय इकाइयों की मांग बढ़े और क्षेत्र में नकदी के प्रवाह में सुधार हो. इस क्षेत्र के एक प्रमुख संगठन ने इसके लिए घर खरीदने वालों को अतिरिक्त कर-लाभ दिये जाने और उद्यमों के लिए कारोबार सुगमता बढ़ाने के उपाय किये जाने पर बल दिया है.
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रीयल एस्टेट डेवलपरों के संगठन कंफडरेशन ऑफ रीयल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशंस ऑफ इंडिया (क्रेडाई) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जक्ष्य शाह ने बजट से पहले एक विशेष बातचीत में यह बात कही. उन्होंने कहा कि रीयल एस्टेट क्षेत्र में जो मंदी आनी थी, स्थिरता आनी थी, नीतिगत सुधार होने थे, रेरा और जीएसटी को लेकर जो फैसले लिए जाने थे, वह सब कुछ हो चुका है. अब बाजार को आगे बढ़ाने की जरूरत है.
रीयल एस्टेट क्षेत्र को लेकर सरकार की मंशा भी अच्छी है. पिछले 10-15 सालों में जितना काम नहीं हुआ उतना इस सरकार ने किया है और उसका पूरा ध्यान इस क्षेत्र पर है. ऐसे में बजट में सरकार को क्षेत्र में कारोबार सुगमता के साथ-साथ तरलता बढ़ाने की जरूरत है, क्योंकि निवेशक इस क्षेत्र से गायब हो चुका है और मांग स्थिर बनी हुई है.
शाह ने कहा कि क्षेत्र में अभी अधिकांश खरीदार 30-50 लाख रुपये के आस-पास के घरों के खरीदार हैं. ऐसे में सरकार को बजट में कर लाभ या कुछ अन्य ऐसे प्रावधान करने चाहिए, जिससे क्षेत्र में ग्राहक की ओर से मांग बढ़े. उन्होंने कहा कि चुनावों के बाद खरीदारों के मन में पहले का संशय खत्म हो चुका है. बजट को लेकर सरकार के साथ बातचीत पर उन्होंने कहा कि पिछले दो महीने से हम सरकार के साथ इस संबंध में बातचीत कर रहे हैं. सरकार की ओर से बजट को लेकर हम काफी आशान्वित हैं.
मकानों की कीमत को लेकर शाह ने कहा कि ग्राहक को लग रहा है कि कीमतें और कम होंगी, जबकि क्रेडाई बाजार को यह समझाने में कामयाब रहा है कि कीमतें और कम नहीं होंगी. इसकी वजह न तो जमीन की कीमत कम हो रही है, न बिल्डिंग मैटिरियल और न ही श्रम की. साथ ही, नियम अनुपालन का खर्च भी दोगुना हो गया है. ऐसे में कीमत और कम होने का सवाल ही नहीं है.