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आर्थिक सर्वे के क्या है असली मायने, जानिए बजट से कैसे जुड़ा है

नयी दिल्लीः मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला बजट शुक्रवार को संसद में पेश किया जाएगा. इससे पहले आज आर्थिक सर्वे देश का सामने लाया जाएगा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण चार जुलाई को आर्थिक सर्वे पेश करेंगी. इसमें पिछले एक साल में देश की अर्थव्यवस्था और सरकार की योजनाओं में क्या प्रगति हुई इसकी […]

नयी दिल्लीः मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला बजट शुक्रवार को संसद में पेश किया जाएगा. इससे पहले आज आर्थिक सर्वे देश का सामने लाया जाएगा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण चार जुलाई को आर्थिक सर्वे पेश करेंगी. इसमें पिछले एक साल में देश की अर्थव्यवस्था और सरकार की योजनाओं में क्या प्रगति हुई इसकी भी जानकारी मिलेगी. आर्थिक सर्वे आम बजट से ठीक एक दिन पहले जारी होता है. आर्थिक सर्वे को वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार तैयार करते हैं. एक तरह से यह वित्त मंत्रालय का काफी अहम दस्तावेज होता है. आर्थिक सर्वे अर्थव्यवस्था के सभी पहलुओं को समेटते हुए विस्तृत सांख्यिकी आंकड़े प्रदान करता है.

भारतीय अर्थव्यवस्था की पूरी तस्वीर देखनी है तो आर्थिक सर्वे में यह आपको मिल सकती है. आर्थिक सर्वे के जरिए देश की आर्थिक सेहत की तस्वीर साफ होती है, इससे पता चलता है कि अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर कितनी कामयाबी मिली है. इसके जरिये सरकार ये बताने की कोशिश करती है कि उसने आम लोगों के हित में जो योजनाएं शुरू की हैं. उसका प्रदर्शन कैसा है और अर्थव्यवस्था के लिए भविष्य में कितनी बेहतर संभावनाएं हैं.
वर्ष 2015 के बाद आर्थिक सर्वे को दो हिस्सों मे बांटा गया. एक भाग में अर्थव्यवस्था की स्थिति के बारे में बताया जाता है, जो आम बजट से पहले जारी किया जाता है, दूसरे भाग में प्रमुख आंकड़े और डेटा होते हैं, जो जुलाई या अगस्त मे पेश किया जाता है. पेश किए जाने का यह विभाजन तब से लागू हुआ जब फरवरी 2017 में आम बजट को अंतिम सप्ताह के बदले पहले सप्ताह में पेश किया जाने लगा. इस वर्ष तत्कालीन वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने एक फरवरी को अंतरिम बजट पेश किया था. उस समय आर्थिक सर्वे पेश नहीं किया गया था. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि जिस साल लोकसभा चुनाव होते हैं, उस साल केवल अंतरिम बजट पेश किया जाता है. चुनाव के बाद नयी सरकार पूर्ण बजट पेश करती है.
आर्थिक सर्वेक्षण एक उपयोगी नीति दस्तावेज के तौर पर कार्य करता है. क्योंकि इसमें नीतिगत विचार, आर्थिक मापदंडों पर प्रमुख आंकड़े, गहराई से व्यापक आर्थिक रिसर्च और क्षेत्रवार आर्थिक रूझानों का गहन विश्लेषण शामिल होता है. अक्सर, सर्वे आम बजट के लिए नीति दिशानिर्देश के रूप में कार्य करता है. हालांकि, इसकी सिफारिशें सरकार के लिए बाध्यकारी नहीं है. ज्यादातर बार दस्तावेज में प्रस्तुत नीति बजट प्रस्तावों में शामिल नहीं किया गया ह.

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