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#EconomicSurvey : पिछले साल ट्रेनों की ‘टक्कर” नहीं हुई, पर आग लगने की घटनाएं बढ़ी

नयी दिल्ली : वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान ट्रेनों की टक्कर का कोई मामला सामने नहीं आया लेकिन रेलगाड़ियों में आग लगने की घटनाओं में इजाफा हुआ. संसद में गुरुवार को पेश 2018-19 की आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि बीते वित्त वर्ष में ट्रेनों के पटरी से उतरने की घटनाएं घटकर 46 पर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 4, 2019 5:19 PM
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नयी दिल्ली : वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान ट्रेनों की टक्कर का कोई मामला सामने नहीं आया लेकिन रेलगाड़ियों में आग लगने की घटनाओं में इजाफा हुआ. संसद में गुरुवार को पेश 2018-19 की आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि बीते वित्त वर्ष में ट्रेनों के पटरी से उतरने की घटनाएं घटकर 46 पर आ गयीं. 2016-17 में ट्रेनों के पटरी से उतरने की 78 घटनाएं हुई थीं. हालांकि, इस दौरान ट्रेनों में आग लगने की घटनाएं बढ़कर छह पर पहुंच गईं. 2016-17 में ट्रेनों में आग की एक घटना ही हुई थी.

समीक्षा के मुताबिक 2018-19 के दौरान रेलवे ने 115.95 करोड़ टन की माल ढुलाई (कोंकण रेलवे द्वारा किये गये लदान को छोड़कर) से राजस्व हासिल किया, जबकि 2016-17 में यह आंकड़ा 110.61 करोड़ टन था. इस तरह रेलवे की माल ढुलाई में 4.83 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी. समीक्षा कहती है कि 2018-19 में रेलवे ने 122.13 करोड़ टन का राजस्व अर्जक माल भाड़ा लदान किया, जो इससे पिछले साल की तुलना में 6.18 करोड़ टन की वृद्धि दर्शाता है. अर्थात इसमें 5.33 प्रतिशत की वृद्धि हुई.

समीक्षा के अनुसार 2016-17 की तुलना में वर्ष 2017-18 के दौरान भारतीय रेलवे से यात्रा करने वाले यात्रियों की संख्या में 2.09 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी. इसी प्रकार 2017-18 की तुलना में वर्ष 2018-19 में भारतीय रेलवे में यात्रा करने वालों की संख्या में 0.64 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी. समीक्षा में कहा गया है कि रेलवे ने अपने ब्रॉडगेज नेटवर्क का 100 प्रतिशत विद्युतीकरण करने के लिए एक प्रमुख कार्यक्रम की शुरुआत की है. इससे आयातित डीजल तेल पर देश की निर्भरता कम होगी.

एक अप्रैल, 2019 की स्थिति के अनुसार भारतीय रेलवे के पास विद्युत चालित 35,488 किलोमीटर मार्ग का नेटवर्क है, जो कुल नेटवर्क का 51.85 प्रतिशत है और 64.50 प्रतिशत माल ढुलाई करता है. यह 53.70 प्रतिशत कोचिंग ट्रैफिक को वहन करता है. विद्युतीकरण की गति में वृद्धि हुई है और वर्ष 2021 तक इसे बढ़ाकर 38,000 किलोमीटर करने का लक्ष्य रखा गया है.

समीक्षा में कहा गया है कि स्वच्छ रेलवे, स्वच्छ भारत, मिशन स्वच्छता पर केंद्रित है. स्वच्छ रेलवे पोर्टल के अनुसार ‘क’ श्रेणी के स्टेशनों में स्वच्छता के मामले में ब्यास रेलवे स्टेशन को पहला स्थान हासिल हुआ है और क-1 की सूची वाले रेल स्टेशनों में ‘विशाखापत्तनम’ शीर्ष पर रहा. ऊर्जा और जल संरक्षण के क्षेत्र में भी रेलवे ने वास्तविक प्रयास किये हैं और ग्रीन रेटिंग हासिल करने के लिए रेलवे स्टेशनों में होड़ लगी हुई है.

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