14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

शिक्षा पर जीडीपी का छह फीसदी खर्च करना जरूरी

शिक्षा किसी भी देश के नींव की आधार होती है. वर्ष 1964 में गठित कोठारी कमीशन ने भी शिक्षा पर बजट में छह प्रतिशत जीडीपी के खर्च की सिफारिश की थी. दशकों बीतने के बाद भी इस संबंध में उचित कदम नहीं उठाया गया. केंद्रीय बजट में शिक्षा के मद में आवश्यक राशि के आवंटन […]

शिक्षा किसी भी देश के नींव की आधार होती है. वर्ष 1964 में गठित कोठारी कमीशन ने भी शिक्षा पर बजट में छह प्रतिशत जीडीपी के खर्च की सिफारिश की थी. दशकों बीतने के बाद भी इस संबंध में उचित कदम नहीं उठाया गया. केंद्रीय बजट में शिक्षा के मद में आवश्यक राशि के आवंटन की मांग पॉलिसी एक्सपर्ट और शिक्षाविद लंबे समय से करते रहे हैं. यह मांग और भी प्रासंगिक हो जाती है, क्यों कि भारत में शिक्षण संस्थान और छात्रों का नामांकन लगातार बढ़ता जा रहा है.

वर्ष 2017-18 में उच्च शिक्षा के लिए ऑल इंडिया सर्वे के मुताबिक ग्रॉस इनरॉलमेंट रेशियो (जीइआर) 18 से 23 आयु वर्ग के लिए 25.8 प्रतिशत रही. यह एक साल पहले वर्ष 2016-17 में यह 25.2 प्रतिशत थी, जबकि वर्ष 2015-16 में यह 24.5 प्रतिशत थी. लगातार बढ़ रहे छात्रों की संख्या और उनके इनरोलमेंट को देखते हुए फिर से शिक्षा के मद में अधिक राशि का आवंटन महसूस की जा रही है.
एसोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिविर्सिटीज और एडिशनल सेक्रेटरी ऑफ यूजीसी डॉ पंकज मित्तल ने कहा है कि आज की परिस्थितियों को देखते हुए कोठारी कमीशन की शिक्षा के लिए जीडीपी की छह प्रतिशत की सिफारिश जरूरी हो जाती है, लेकिन अभी इस दिशा में कुछ नहीं हुआ है. आंकड़ों पर गौर करें, तो बजट में शिक्षा का बजट लगातार कम होता जा रहा है. वर्ष 2014-15 में बजट की 4.6 प्रतिशत राशि आवंटित हुई थी. लेकिन उसके बाद इसमें लगातार गिरावट हुई.
अगर पिछले साल कुछ राशि बढ़ायी भी गयी, तो वह आकार के हिसाब से मामूली थी. हायर एजुकेशन के लिए अधिकतम 25 प्रतिशत आवंटन की जरूरत है, क्यों की भारत में सबसे अधिक आर्ट्स के स्टूडेंट्स पढ़ते हैं. एआइएसएचइ रिपोर्ट 2017-18 के मुताबिक भारत में स्नातक करनेवाले सबसे अधिक 36.4 प्रतिशत विद्यार्थी आर्ट्स, सोशल सांइस के छात्र हैं. उसके बाद विज्ञान के 17.1 प्रतिशत छात्र हैं. इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी और कॉमर्स के क्रमश: 14.1 और 14.1 प्रतिशत विद्यार्थी हैं.
मित्तल ने आगे कहा कि देश के कई राज्यों में विवि और कॉलेजों की हालत बहुत खराब है. शिक्षकों के लाखों पद खाली हैं. यहां से पढ़ कर निकले छात्र बेकार और अनस्किल्ड हैं. बिना सरकार के बजट आवंटन के हालात नहीं सुधारे जा सकते. इस साल सरकार ने पिछले सालों की तुलना में एजुकेशन के लिए अधिक आवंटन किया है. खास तौर पर शोध के क्षेत्र के क्षेत्र में. सरकार ने लंबे समय को ध्यान में रख कर योजना बनायी है. ताकि अहम सुधार हो सके.
मोदी सरकार ने पांच साल में सात आइआइटी, सात आइआइएम, 14 ट्रिपल आइटी का निर्माण कराया.
सरकार ने पहले कार्यकाल में छह सरकारी और छह निजी विश्वविद्यालय खोलने का एलान किया था
देश में शिक्षण संस्थान
903 विश्वविद्यालय
39,050 कॉलेज
10,011 स्वायत्त संस्थान

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें