Union Budget 2023 Expectations: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को लोकसभा में बजट पेश करेंगी. बजट पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं. रांची के बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के बीपीडी (बिजनेस प्लानिंग एंड डेवलपमेंट यूनिट) के सीईओ सिद्धार्थ जायसवाल ने कहा कि कृषि स्टार्टअप में सहयोग के लिए लॉन्ग टर्म स्कीम का बजट में प्रावधान होना चाहिए. बीएयू के मिलेट्स विशेषज्ञ डॉ अरुण कुमार ने कहा कि मिलेट्स रिसर्च पर बजट का प्रावधान हो, वहीं सहायक प्राध्यापक सह वैज्ञानिक डॉ नंदनी कुमारी कहती हैं कि छोटे उद्यमियों और पशुपालकों के लिए बजट आवंटन, सब्सिडी और बीमा बढ़ाया जाना चाहिए.
कृषि स्टार्टअप में मदद के लिए हो बजट का प्रावधान
बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के बीपीडी (बिजनेस प्लानिंग एंड डेवलपमेंट यूनिट) के सीईओ सिद्धार्थ जायसवाल ने कहा कि कृषि स्टार्टअप में सहयोग के लिए लॉन्ग टर्म स्कीम का बजट में प्रावधान होना चाहिए. प्राकृतिक खेती के प्रमोशन और स्टार्टअप के लिए अलग से बजट का प्रावधान हो. देसी गाय, देसी बीज और पंचगव्य चिकित्सा के स्टार्टअप को सहयोग करने के लिए प्रावधान होना चाहिए. इस संदर्भ में लॉन्ग टर्म विजन पर फोकस करने की जरूरत है. सबसे जरूरी बात ये है कि इनका लाभ लेने के लिए अप्लाई करने का तरीका काफी सरल हो, ताकि आम किसान इसका लाभ ले सकें.
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बीएयू के मिलेट्स विशेषज्ञ डॉ अरुण कुमार ने कहा कि किसानों के लिए प्राइमरी प्रोसेसिंग मशीन को लेकर बजट में प्रावधान होना चाहिए. इतना ही नहीं, वैल्यू एडिशन के लिए बजटीय प्रावधान हो. मिलेट्स (मोटा अनाज) को लेकर केंद्र सरकार का रुख काफी सकारात्मक है. वर्ष 2023 को मिलेट्स वर्ष घोषित किया गया है. झारखंड सरकार को भी मोटे अनाजों को लेकर बजट का प्रावधान करना चाहिए. केंद्रीय बजट में मिलेट्स रिसर्च पर बजट का प्रावधान होना चाहिए.
Also Read: Millets For Health: हेल्दी रहने के लिए मिलेट्स हैं कितने फायदेमंद, बता रहे हैं BAU के वैज्ञानिक डॉ अरुण कुमारछोटे उद्यमियों और पशुपालकों के लिए बजट आवंटन बढ़े
बीएयू के रांची वेटनरी कॉलेज में पशु प्रजनन एवं अनुवांशिकी विभाग की सहायक प्राध्यापक सह वैज्ञानिक डॉ नंदनी कुमारी कहती हैं कि छोटे उद्यमियों और पशुपालकों के लिए बजट आवंटन, सब्सिडी और जोखिम प्रोत्साहन या बीमा बढ़ाया जाना चाहिए. अधिक योजनाएं प्रस्तावित की जानी चाहिए और इसके लिए ब्लॉक स्तर के कार्यकर्ताओं और पशु चिकित्सा अधिकारियों की पहल से जागरूकता बढ़ायी जानी चाहिए, ताकि गरीब अशिक्षित आदिवासी इसका लाभ ले सकें. पशुपालन में अधिक गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. इनमें देसी गाय की नस्ल शामिल है. स्वदेशी मवेशियों की भूमिका साबित करने के लिए A2 दूध पर विशेष शोध होना चाहिए. विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ एमओयू और विदेश में पशु चिकित्सा अनुसंधान पोस्ट डॉक्टरेट के माध्यम से प्रोत्साहित किया जाना चाहिए.
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