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Union Budget 2023 : टैक्स में भारी छूट पाना चाहती हैं बीमा और रियल एस्टेट सेक्टर की कंपनियां, पढ़ें रिपोर्ट

निर्मला सीतारमण सरकार वेतनभोगी कर्मचारियों, महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों सहित मध्यम वर्ग के लिए विभिन्न कर रियायतों पर विचार कर रही हैं. बुनियादी ढांचा और विनिर्माण जैसे सेक्टर्स को बढ़ावा देने के लिए ज्यादा पूंजीगत व्यय को बढ़ाते हुए राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करने पर ध्यान केंद्रित करेंगी.

नई दिल्ली : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को वित्त वर्ष 2023-24 के लिए लोकसभा में बजट पेश करेंगी. इससे पहले, उद्योग जगत समेत कई क्षेत्रों की ओर से बजट को लेकर सुझाव दे दिए गए हैं. इस साल के बजट से लोगों को काफी उम्मीद है. एक फरवरी को संसद में पेश होने वाले बजट से वेतनभोगी कर्मचारियों, वरिष्ठ नागरिकों और घर खरीदारों को टैक्स छूट की सीमा में बढ़ोतरी, आयकर की धारा 80सी और धारा 80डी के तहत टैक्स छूट की ऊंची सीमा निर्धारित करने की उम्मीद है. इसके साथ ही, बीमा और रियल एस्टेट सेक्टर को भी बजट में टैक्स छूट की सीमा बढ़ाने की उम्मीद है.

एक फरवरी को लोकसभा में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा बजट भाषण देने से पहले यह बताया गया है कि सरकार वेतनभोगी कर्मचारियों, महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों सहित मध्यम वर्ग के लिए विभिन्न कर रियायतों पर विचार कर रही है. उम्मीद की जा रही है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बुनियादी ढांचा और विनिर्माण जैसे सेक्टर्स को बढ़ावा देने के लिए ज्यादा पूंजीगत व्यय को बढ़ाते हुए राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करने पर ध्यान केंद्रित करेंगी. इसके साथ ही, कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा और नरेंद्र मोदी सरकार की प्रमुख योजनाओं के लिए अधिक आवंटन की भी उम्मीद की है.

फिटनेस खर्च पर टैक्स छूट की उम्मीद

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से उम्मीद की जा रही है कि इस साल के बजट में वह फिटनेस खर्च को टैक्स छूट के दायरे में ला सकती हैं. मीडिया से बातचीत करते हु फिटपास (FITPASS) ने कहा कि 28 साल की औसत आयु के साथ भारत दुनिया की सबसे कम उम्र की आबादी वाला देश होने के बावजूद तीन में से एक भारतीय को चिकित्सकीय रूप से अयोग्य की श्रेणी में गया है. उन्होंने कहा कि ऐसे लोग खराब जीवन शैली की वजह से कई प्रकार की बीमारी से पीड़ित हैं, जिसे आसानी से रोका जा सकता था. इसलिए, हमें अपनी युवा आबादी को चिकित्सकीय रूप से अयोग्य होने से रोकने के लिए कार्रवाई करना आवश्यक है, क्योंकि बीमार आबादी हमारी अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा खतरा बन सकती है. भारत की युवा पीढ़ी को स्वास्थ्य और फिटनेस को सस्ता और सुलभ बनाने के लिए बजट में निम्न दो प्रकार की सिफारिशें की हैं.

पहली, किसी व्यक्ति द्वारा फिटनेस पर खर्च की स्वीकार्यता को आयकर अधिनियम, 1961 से कटौती के रूप में अनुमति दी जानी चाहिए. इस मद के तहत योग्य व्यय के रूप में फिटनेस पर खर्च को शामिल करने के लिए आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80डी में चिकित्सा और स्वास्थ्य संबंधी खर्चों के साथ आवश्यक संशोधन किया जाए. वहीं, वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए, फिटनेस सेवाओं पर खर्च की प्रतिपूर्ति पर वेतन से होने वाली आमदनी से कटौती प्रदान की जा सकती है, ठीक उसी तरह जैसे चिकित्सा व्यय के लिए अनुमति दी जाती है.

दूसरी, कंपोजीशन स्कीम के लिए पात्र सेवाओं में फिटनेस सेंटर सेवाओं को शामिल किया जा सकता है. अब फिटनेस सेंटर सेवाओं को भी कंपोजिशन स्कीम की पात्रता सूची में शामिल किया जाए, जैसा कि रेस्तरां सेवाओं के लिए किया गया है. संपूर्ण जीएसटी फिटनेस केंद्रों की सेवाओं की लागत में वृद्धि कर रहा है, जिससे उद्योग के विकास में बाधा के रूप में काम कर रहा है.

रियल एस्टेट सेक्टर की उम्मीदें

वहीं, सेविल्स इंडिया के सीईओ अनुराग माथुर ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि जबकि रियल एस्टेट उद्योग उच्च बजटीय आवंटन, आसान पूंजी उपलब्धता और अधिक आराम की तलाश करेगा, मध्यम वर्ग की आबादी, जिसके पास हाल के दिनों में कई प्रत्यक्ष रियायतें नहीं हैं, तब देश की जनता कर-कटौती या उच्च कटौती जैसे प्रत्यक्ष लाभ का बेसब्री से इंतजार करेगी. इसके अलावा, सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों के लिए धन में वृद्धि, आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों को नियंत्रित करने के उपाय और नौकरी के अवसर पैदा करने की पहल आदि सभी आगामी बजट से अपेक्षित होंगे.

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उनका कहना है कि रियल एस्टेट क्षेत्र केंद्रीय बजट को नीतियों के रूप में और समर्थन की उम्मीद के साथ देख रहा है, जो न केवल उद्योग को लाभान्वित करेगा, बल्कि देश की समग्र अर्थव्यवस्था पर भी सकारात्मक प्रभाव डालेगा. सरकार के लिए उच्च प्राथमिकता का क्षेत्र घर खरीदारों के लिए टैक्स लाभ बढ़ा रहा है. होम लोन पर ब्याज भुगतान में कटौती के लिए कैप को बढ़ाकर 5 लाख रुपये करना एक वास्तविक जरूरत है और इस पर गंभीर विचार करना चाहिए.

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