नयी दिल्ली : सोने-चांदी की तरह ही अब पूरे देश में पेट्रोल-डीजल के भाव भी रोज बदलेंगे. 16 जून से केंद्र सरकार पेट्रोल और डीजल पर डायनैमिक फ्यूल प्राइसिंग पॉलिसी लागू करने वाली है. अगले एक-दो दिनों में इसकी आधिकारिक घोषणा हो सकती है.
गौरतलब है कि पेट्रोलियम मंत्रालय केसाथ देश की तीनों सरकारी पेट्रोलियम कंपनियां इंडियल ऑयल कॉर्पोरेशन (आइआेसी), भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) की आपसी रजामंदीके बाद देश के पांच शहरों – जमशेदपुर, पुडुचेरी, विजाग, उदयपुर और चंडीगढ़ में एक मई से ही यह व्यवस्था पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चल रही है. इसके तहत इन शहरों में पेट्रोल और डीजल के दाम में हर दिन के हिसाब से बदलाव हो रहा है. उसी समय यह तय किया गया था कि अगर इसे सफलता मिली तो पूरे देश में इसे लागू किया जायेगा.
सोने-चांदी जैसे रोज बदलेंगे पेट्रोल-डीजल के दाम
पेट्रोलियम मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, यह प्रोजेक्ट काफी सफल रहा है और इसलिए अब इसे पूरे देश में लागू करने की तैयारी है. इस व्यवस्था के लागू होने के बाद जिस तरह अभी सोना-चांदी, दलहन-तिलहन, मसाला आदि के भाव रोज के हिसाब से घटते-बढ़ते हैं उसी तरह अब पेट्रोल-डीजल के दाम भी रोजाना के हिसाब से घटते बढ़ते रहेंगे. यानी अंतरराष्ट्रीय बाजार में अगर किसी दिन कच्चे तेल की कीमतें घटती हैं तो उस दिन पेट्रोल-पंपों पर तेल सस्ता मिलेगा. कीमत बढ़ने पर उसकी भरपाई भी उसी दिन से ग्राहकों की जेब से की जाने लगेगी.
कौन होंगे प्रभावित
यहां यह जानना जरूरी है कि पेट्रोल-डीजल की कीमतों में हर दिन होने वाला बदलाव कुछ पैसों में ही होगा. तेल कंपनियों का अनुमान है कि एक रुपये से ज्यादा की बढ़ोतरी बहुत कम बार होगी. इससे तेल कंपनियों को जहां ज्यादा घाटा नहीं उठाना पड़ेगा, वहीं आम आदमी पर इसका बोझ ज्यादा पड़ सकता है. पेट्रोल के दाम रोजाना तय होने से इसका असर उन लोगों पर सबसे ज्यादा पड़ेगा, जो प्रतिदिन 100-50 रुपये का पेट्रोल लेते हैं. हालांकि जो लोग एक साथ 200, 500, 1000 रुपये से ज्यादा का पेट्रोल लेते हैं, उन पर इसकी मार कम पड़ेगी.
डीजल के दाम बदलते रहेंगे तो होगा यह असर
डीजल का रोजाना इस्तेमाल ज्यादातर मालभाड़े की ढुलाई करने वाले वाहन जैसे की ट्रक, मिनी ट्रक,टेम्पो, ऑटो करते हैं. ऐसे में दूरदराज के क्षेत्रों से फल, सब्जी, दूथ की सप्लाई पर असर पड़ सकता है. इसके अलावा निजी और सरकारी बसों के किराये पर भी असर पड़ सकता है. इससे किराया भी स्थिर नहीं रहेगा, जिससे लोगों को आने-जाने में परेशानी भी हो सकती है.
फायदा केवल सरकार और तेल कंपनियों का
डायनैमिक फ्यूल प्राइसिंग पॉलिसी लागू होने का फायदासिर्फ और सिर्फ तेल कंपनियों और सरकार को होने की उम्मीद है. इससे जहां कंपनियों को अपना घाटा कम करने में मदद मिलेगी, वहीं सरकार को तेल कंपनियों को घाटे की भरपाई करने के लिए बांड जारी नहीं करना पड़ेगा. वहीं सरकार के खजाने में टैक्स के रूप में मोटी रकम आने के आसार हैं.
पेट्रोल भरवाने से पहले कर लें शुद्धता की जांच, VIDEO में देखें आसान तरीका
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.