मुंबर्इः देश के सैंकड़ों कारोबारियों आैर उद्यमियों की आेर से लोन लेने के बाद उसका भुगतान नहीं किये जाने की वजह से न केवल भारत के बैंकों पर लाखों करोड़ों रुपये के गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) का बोझ बढ़ा है, बल्कि यहां की अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. चौंकाने वाली बात यह है कि अर्थव्यवस्था पर लाखों करोड़ों रुपये के एनपीए का बोझ बढ़ाने वाले डिफाॅल्टरों में से करीब एक दर्जनभर कर्जखोरों लोग एेसे हैं, जिन्होंने बैंकों के करीब 2,00,000 करोड़ रुपये से भी अधिक की राशि का जानबूझकर भुगतान नहीं किया है.
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सरकार के निर्देश के बाद भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 12 कर्जखारों के खातों की पहचान की है, जिन पर 5,000 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया है और उन लोगों ने जानबूझकर उसका भुगतान नहीं किया है. इन खातों पर दी गयी कर्ज की राशि बैंकों के कुल एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग एसेट) का करीब 25 फीसदी बकाया है. रिजर्व बैंक ने देश के बैंकों को इस मामले में सख्त कार्रवाई के आदेश दिये हैं. गौरतलब है कि देश के बैंकों का करीब 8 लाख करोड़ रुपये एनपीए में तब्दील हो चुके हैं, जिसमें से 6 लाख करोड़ रुपये सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का है.सीधे शब्दों में समझा जाए तो इसमें से 2,00,000 करोड़ रुपये की रकम की देनदारी महज 12 खातों पर है.
रिजर्व बैंक और संबंधित बैंक मिलकर एनपीए की समस्या के समाधान के लिए शीर्ष 40 डिफाल्टरों की सूची बनाने में लगा हुआ है, जिसमें से 12 खातों की पहचान कर ली गयी है. इससे पहले सरकार ने एक अध्यादेश लाकर केंद्रीय बैंक को कर्ज वसूली के संबंध में और अधिक अधिकार दिये थे. रिजर्व बैंक को यह अधिकार दिया गया है कि वह कर्जदारों से कर्ज वसूली के लिए दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया शुरू करे. नये नियम के मुताबिक, रिजर्व बैंक अब इन खाताधारकों को दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया शुरू करेगा. हालांकि, केंद्रीय बैंक इन खाताधारकों का नाम नहीं बताया है. देश के बैंकिंग क्षेत्र के लिए एनपीए बड़ी समस्या बना हुर्इ है.
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