शिपिंग काॅरपोरेशन को बेचने की तैयारी में सरकार, नीति आयोग ने की है सिफारिश
नयी दिल्लीः केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार डीजल-पेट्रोल को नियंत्रणमुक्त करने के बाद शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया को बेच भी सकती है. मीडिया में आ रही खबरों पर यदि भरोसा करें, तो नीति आयोग ने सार्वजनिक क्षेत्र की रुग्ण शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया को बेचने की सिफारिश की है. कहा ये भी जा रहा है […]
नयी दिल्लीः केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार डीजल-पेट्रोल को नियंत्रणमुक्त करने के बाद शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया को बेच भी सकती है. मीडिया में आ रही खबरों पर यदि भरोसा करें, तो नीति आयोग ने सार्वजनिक क्षेत्र की रुग्ण शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया को बेचने की सिफारिश की है. कहा ये भी जा रहा है कि नीति आयोग के इस प्रस्ताव जल्द ही आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) के पास भेजा जायेगा. नीति आयोग की सिफारिश को मानें, तो उसने सरकार को सुझाव दिया है कि वह सार्वजनिक क्षेत्र की शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया में अपनी हिस्सेदारी 63.75 फीसदी को घटाकर 25 फीसदी तक ले आये.
विनिवेश पर बने सचिवों के समूह की बीते दो जून को बैठक आयोजित की गयी थी. इस बैठक में सरकार के सचिवों ने शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया में हिस्सेदारी बेचने के प्रस्ताव पर चर्चा की थी. सचिवों के समूह ने जहाजरानी मंत्रालय से कहा कि वह जल्द से जल्द इस कंपनी की हिस्सेदारी घटाकर बेचने से संबंधित तमाम कानूनी पहलुओं की समीक्षा करे. सूत्रों ने का कहना है कि नीति आयोग की सिफारिश के मुताबिक, पहले चरण में सरकार शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया में अपनी 26 फीसदी हिस्सेदारी एक बार में बेचे. सरकार की फिलहाल शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया में 63.75 फीसदी हिस्सेदारी है. इस तरह 26 फीसदी हिस्सेदारी बेचने के बाद सरकार की शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया में 37.75 फीसदी हिस्सेदारी बचेगी.
सूत्रों का यह भी कहना है कि नीति आयोग ने पहले चरण की 26 फीसदी हिस्सेदारी बेचने के बाद सरकार को शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया में प्रबंधकीय नियंत्रण को भी हस्तांतरित करने का भी सुझाव दिया है. नीति आयोग सरकार को यह सुझाव भी दिया है कि प्रबंधकीय नियंत्रण हस्तांतरित करने के बाद अगले 12 महीने में सरकार शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया में अलग-अलग किस्तों में हिस्सेदारी बेचकर 25 फीसदी तक ले आये.
नीति आयोग ने अपनी सिफारिश में कहा है कि सरकार को शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया को चलाने की जरूरत नहीं है. नीति आयोग ने अपनी दलील में कहा है कि शिपिंग इंडस्ट्री अब काफी प्रतिस्पर्द्धी हो गयी है. साथ ही, देश में होने वाले कच्चे तेल के आयात का एक छोटा हिस्सा शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया की आेर से किया जाता है. आयोग का कहना है कि दुनिया के ज्यादातर देशों में पेट्रोलियम पदार्थों का आयात निजी कंपनियां ही करती हैं.
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