नयी दिल्ली: वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली में करभार में कमी का लाभ ग्राहकों तक पहुंचाने की शिकायतों पर निर्णय के लिए पांच सदस्यीय एक मुनाफाखोरी निरोधक प्राधिकरण गठित किया जायेगा. यह प्राधिकरण ऐसे मामलों में जुर्माना तय करेगा. इस प्राधिकरण की अध्यक्षता सचिव स्तर का कोई सेवानिवृत अधिकारी करेगा. प्राधिकरण ऐसे मामलों में स्वयं भी कार्वाई शुरू कर सकेगा.
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वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में रविवार को यहां जीएसटी परिषद की बैठक में मुनाफाखोरी निरोधक नियमों को अंतिम रूप दिया गया है. इन नियमों के तहत दो साल से अधिक पुराने मामलों पर पटाक्षेप माना जायेगा. प्राधिकरण दोषी कारोबारियों को यह निर्देश दे सकेगा कि वे ग्राहकों को समानुपातिक आधार पर मुनाफाखोरी का पैसा वापस करें. ऐसे मामलों में जहां प्रभावित ग्राहकों की पहचान नहीं हो सकती है, उनमें वसूली का पैसा उपभोक्ता कल्याण कोष में जमा कराना होगा.
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प्राधिकरण के सदस्यों के चयन के लिए खोज एवं चयन समिति बनायी जायेगी. अधिकारियों ने कहा कि समिति दो माह में प्राधिकरण के सदस्यों का चयन कर सकती है. प्राधिकरण में अध्यक्ष के अलावा बाकी चार सदस्य संयुक्त सचिव स्तर के होंगे. इन सदस्यों के लिए जरूरी है कि वे केंद्रीय उत्पाद और सेवा शुल्क या राज्यों में कर विभाग के आयुक्त के पद पर सेवा दे चुके हों.
शहरी मंत्रालय रियल एस्टेट से करें बात
वित्त मंत्रालय ने आवास एवं शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय से जीएसटी से टैक्स के भार में कमी का लाभ मकान खरीदनेवालों तक पहुंचाने के लिए राज्यों एवं रीयल एस्टेट नियामकों को जागरूक करने और उन्हें डेवलपरों संग बैठकों का सुझाव दिया. कर विभाग और राज्यों को शिकायतें मिली हैं कि जिन लोगों ने फ्लैट बुक कराये हैं. आंशिक भुगतान किया है, उनसे एक जुलाई से पहले पूरा भुगतान करने अन्यथा उसके बाद उच्च कर के लिए तैयार रहने को कहा जा रहा है. इस मुद्दे पर वित्त मंत्री ने कहा, यह गलत है. डेवलपरों को निर्माण सामग्रियों पर मिले टैक्स क्रेडिट का लाभ उपभोक्ताओं तक पहुंचाना चाहिए, अन्यथा उन्हें मुनाफाखोरी निरोधक नियमों के तहत कार्रवाई का सामना करना होगा. राजस्व सचिव हंसमुख अधिया ने कहा है कि सभी राज्यों एवं रीयल एस्टेट) अधिनियम, 2016 के तहत बताने को कहा है. फ्लैटों, परिसर, बिल्डिंग निर्माण पर 12 फीसदी जीएसटी लगेगा, जबकि पहले उत्पाद शुल्क, वैट और अन्य करों के तौर पर 11 फीसदी कर लगता था. जेटली ने कहा, ‘घटी हुई कर देनदारी से दाम कम होना चाहिए. दाम में कमी का लाभ ग्राहक को दिया जाये.’
अभी टाला जाये : एसोचैम
एसोचैम ने जीएसटी कार्यान्वयन टालने की मांग की है, क्योंकि इसके लिए उपयोग में आनेवाला आइटी अभी तैयार नहीं है. करदाताओं को नयी कर व्यवस्था के प्रावधान अपनाने में मुश्किल होगी. जेटली को लिखे पत्र में एसोचैम ने कहा कि करदाताओं ने अभी तक जीएसटीएन पोर्टल पर रजिस्टर्ड नहीं कराया है. इसके पीछे वजह इस सिस्टम के बारे में उन्हें बहुत ज्यादा जानकारी न होना है.
आइटी तंत्र का उपयुक्त परीक्षण किया गया है या क्या यह उस समय भी काम कर सकेगा जब जीएसटी में रजिस्ट्रेशन का दूसरा दौर चलेगा, क्योंकि तब इस पर ट्रैफिक होगा.
डीएस रावत,महासचिव,एसोचैम
जीएसटी को सहयोगात्मक और दृष्टिकोण से अंतिम रूप दे दिया गया है. उद्योग परिसंघ ने 100 से ज्यादा वर्कशॉप की हैं जिससे उद्योगों को नये नियमों के अनुरूप ढलने में मदद मिले.
चंद्रजीत बनर्जी,महानिदेशक,भारतीय उद्योग
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