बढ़ने के बदले बैंकों में घट रही हैं ब्याज दरें, खाते खुलवाने की संख्या हुई कम

सुकन्या समृद्धि योजना की ब्याज दर 9.10 से घटकर 8.4 फीसदी तक पहुंचींं बैंकों में ब्याज दरें बढ़ने की बजाय घट रही हैं. लोग हैरान हैं और उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि अपनी मेहनत से कमाई गयी रकम को कहां निवेश करें कि ज्यादा ब्याज मिले. पीएम नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी सुकन्या […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 21, 2017 11:05 AM

सुकन्या समृद्धि योजना की ब्याज दर 9.10 से घटकर 8.4 फीसदी तक पहुंचींं

बैंकों में ब्याज दरें बढ़ने की बजाय घट रही हैं. लोग हैरान हैं और उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि अपनी मेहनत से कमाई गयी रकम को कहां निवेश करें कि ज्यादा ब्याज मिले. पीएम नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी सुकन्या समृद्धि योजना जिस तरह से शुरू की गयी थी, लोगों ने इसमें खूब रुचि दिखायी थी.

अपनी बेटियों के नाम से लोगों ने सुकन्या समृद्धि योजना में खाता खोला था. वर्ष 2013-14 में इस योजना के तहत निवेशक को ब्याज दर 9.10 फीसदी देने का प्रस्ताव था. हालांकि अगले वर्ष 2014-15 में ब्याज दर बढ़ाकरी 9.20 फीसदी कर दिया गया. वहीं, वर्ष 2016-17 में घट ब्याज पर 8.50 फीसदी कर दिया गया है, जबकि वर्ष 2017-18 में यह ब्याज दर घटकर 8.4 फीसदी के स्तर पर पहुंच गयी है.

बैंक अधिकारी कहते हैं कि अन्य योजनाओं की तुलना में सुकन्या योजना अच्छा है, क्योंकि इससे अधिक ब्याज दर किसी योजना में नहीं मिल सकती, परंतु यह हर साल के लिए फिक्स नहीं है. इस योजना में ब्याज दर मार्केट की स्थित के हिसाब से बदलते रहता है. भारतीय रिजर्व बैंक के पास ब्याज दर बदलने का अधिकार है.

खाते खुलवाने वालों की संख्या में आयी कमी

जानकारी के अनुसार शुरुआती दौर में जिस रफ्तार से बैंकों या डाकघरों में खाते खुल रहे थे, उसमें काफी कमी आयी है. इसका मुख्य कारण लगातार ब्याज दर में कमी आना है. इसी तरह बैंकों के फिक्स्ड डिपोजिस्की के ब्याज दरों में लगातार कमी आ रही है. निवेशकों को समझ नहीं आ रहा है कि क्या किया जाये.

लोग दो-तीन साल के लिए ही फिक्स्ड डिपोजिट कर रहे हैं, ताकि आने वाले दिनों में ब्याज दरें बढ़े तो उसका लाभ मिल सके. वर्ष 2013-14 में एफडी पर ब्याज दर 9.00 से 9.05 फीसदी थी, जो आज 2016-17 में घटकर 7.50-7.00 फीसदी के स्तर पर पहुंच गयी है. बैंक अधिकारी की मानें तो देश की आर्थिक स्थिति में सुधार, महंगाई दर में गिरावट और बैंकों के पास रुपये का होना है. जहां एक ओर एफडी के ब्याज दर में कमी आयी है, वहीं दूसरी ओर लोन का ब्याज दर में भी कमी आयी है.

इसी तरह कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (इपीएफ) के कर्मचारियों को मिलने वाला ब्याज दर में भी लगातार गिरावट आयी है. इसे लेकर कर्मचारियों में काफी निराशा है. वर्ष 2013- 14 में ब्याज दर 8.75 था जो वर्ष 2016-17 में यह घटकर 8.65 फीसदी के स्तर है. अधिकारियों का कहना है कि ब्याज दर सरकार तय करती है. केंद्रीय कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के अधिकारी केवल अपना प्रस्ताव सरकार को भेजती है.

इफीएफ ब्याज दर

2013- 14 8.75%

2014-15 8.75%

2015-16 8.80%

2016- 17 8.65%

सुकन्या समृद्धि योजना

2014-15 9.20%

2015-16 9.20%

2016-17 8.60%

2017-18 8.40%

बैंक एफडी

2013-14 9%-9.05%

2014-15 9.05%- 8.75%

2015-16 8.75%-7.50%

2016-17 7.50%-7.00%

2017-18 5.50%- 6.90%

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