नयी दिल्लीःकरीब 17 सालों के जद्दोजहद के बाद देश में एेतिहासिक नयी कर प्रणाली वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) लागू हो गया. इसके लागू होने के साथ ही भारत एक राष्ट्र, एक बाजार आैर एक टैक्स वाला देश बन गया. इतना ही नहीं, आधी रात के बाद यहां के निवासियों के रोजमर्रा के इस्तेमाल वाली चीजों के साथ ही उपभोक्ता वस्तु, मनोरंजन में इस्तेमाल आने वाली चीजें, विलासिता की वस्तुएं आदि की कीमतों में भी बड़ा बदलाव हो गया. इसमें से किसी की कीमतें बढ़ गयी, तो किसी के दाम में गिरावट दर्ज की गयी. आइये जानते हैं, किन चीजों के दाम बढ़ेंगे आैर किन वस्तुआें की कीमतों में कमी आयेगी आैर किन चीजों पर टैक्स की कितनी दरें लगेंगी…
मोबाइल उपभोक्ताआें में प्रीपेड वालों को मिलेगा कम टाॅकटाइम आैर पोस्टपेड वालों को देना होगा अधिक बिल
जीएसटी व्यवस्था में आज आधी रात के बाद से ही मोबाइल फोन बिल बढ़ने का अनुमान है और प्रीपेड ग्राहकों को रिचार्ज करने पर अपेक्षाकृत कम टॉकटाइम मिलेगा. जीएसटी के तहत दूरसंचार सेवाओं पर वर्तमान 15 फीसदी के बजाय 18 फीसदी की कर श्रेणी में आयेंगी. इसका मतलब यह है कि उपभोक्ता को जो पहले 100 रुपये का रिचार्ज करने पर 83 रुपये का टॉकटाइम मिलता था, अब उसे महज 80 रुपये मिलेगा.
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इसी तरह पोस्टपेड ग्राहकों के लिए भी लागत 3 फीसदी बढ़ जायेगी. ऐसे में 1000 रुपये के मासिक उपयोग के लिए उपयोगकर्ताओं को वर्तमान के 1150 रुपये के स्थान पर 1180 रुपये भरने होंगे. अभी यह देखना बाकी है कि दूरसंचार कंपनियां कर में वृद्धि का कुछ बोझ अपने ऊपर लेती हैं या नहीं. इसका कारण यह है कि वे इनपुट क्रेडिट का दावा कर सकती हैं या फिर पूरा बोझ ग्राहकों पर डाल सकतीं हैं. दूरसंचार कंपनियों ने इस संबंध में भेजे गये ईमेल का कोई जवाब नहीं दिया.
आज आधी रात से कम से कम इनकी कीमतों में हो जायेगा बदलाव
जीएसटी पर केंद्र तथा राज्यों के अधिकार प्राप्त मंच ने 66 तरह की वस्तुओं और मदों पर पहले निर्धारित कर की दरों में संशोधन कर उन्हें कम रखने का निर्णय किया है. इन मदों में अचार, मुरब्बा और मस्टर्ड सॉस जैसे खाने के उत्पाद तथा 100 रुपये मूल्य तक के सिनेमा टिकट शामिल हैं.
रासायनिक खादों के घटेंगे दाम
जीएसटी परिषद ने उर्वरक पर जीएसटी की दर को घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया. इससे पहले यह दर 12 प्रतिशत प्रस्तावित थी. वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता वाली जीएसटी परिषद ने उर्वरकों के महंगा होने को लेकर जतायी जा रही आशंकाओं के बीच यह फैसला किया है. परिषद ने किसानों को राहत देने के एक और कदम के तहत ट्रैक्टरों के विशेष कलपुर्जों पर कर की दर भी 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत कर दिया है.
निर्माणाधीन रीयल एस्टेट पर करना होगा 12 फीसदी जीएसटी का भुगतान
निर्माणाधीन रीयल एस्टेट परियोजनाओं पर जीएसटी की प्रभावी दर 12 फीसदी होगी न कि 18 फीसदी. इसकी वजह यह है कि जमीन के दाम इसमें शामिल नहीं होंगे. कर सलाहकार ईवाई ने यह बात कही है. रीयल एस्टेट क्षेत्र के निकाय क्रेडाई के अध्यक्ष जक्षय शाह ने यह भी कहा कि प्रभावी जीएसटी दर 12 फीसदी रहेगी. उन्होंने आश्वासन दिया कि कानून के मुताबिक डेवलपर्स इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ मकान के खरीददारों को देंगे.
बैंक सेवाओं, प्रीमियम, क्रेडिट कार्ड बिलों पर शनिवार से ज्यादा शुल्क
जीएसटी के लागू होने पर ग्राहकों को बैंकिंग सेवाओं, बीमा प्रीमियम भुगतानों और क्रेडिट कार्ड के बिलों पर थोड़ी ज्यादा जेब ढीली करनी होगी, क्योंकि यह सभी सेवाएं जीएसटी की 18 फीसदी दर के दायरे में आयेंगी, जिन पर अभी 15 फीसदी की दर से कर लगता है. बैंकों और बीमा कंपनियों ने पहले ही अपने ग्राहकों को इस संबंध में संदेश भेजने शुरू कर दिये हैं. भारतीय जीवन बीमा निगम ने अपने संदेश में लिखा है कि जीएसटी के तहत सेवाकर की दर में बदलाव एक जुलाई, 2017 से प्रभावी होगा. इसी प्रकार के संदेश में पंजाब नेशनल बैंक ने अपने ग्राहकों से कहा है कि बैंकिंग सेवाओं पर एक जुलाई से कर की दर 15 फीसदी के बजाय 18 फीसदी रहेगी.
78 फीसदी दवाआें के नहीं बढ़ेंगे दाम
दवा मूल्य नियामक एनपीपीए ने कहा कि काफी इस्तेमाल में आने वाली दवाओं में 78 फीसदी के दाम जीएसटी लागू होने के बाद भी अप्रभावित रहेंगे. जीएसटी लागू होने से पहले राष्ट्रीय दवा मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) कैंसर, एचआईवी, मधुमेह की दवाओं और एंटीबायोटिक समेत 761 दवाओं को के लिए अंतरिम अधिकतम मूल्यों की पहले ही घोषाणा कर चुका है. ज्यादातर दवाओं के दाम घटे हैं. प्राधिकरण ने इसी हफ्ते के शुर में एक परिपत्र में कहा था कि जीएसटी अधिसूचना के तत्काल बाद इन मूल्यों को औपचारिक संशोधित अधिकतम मूल्य के रूप में अधिसूचित किया जायेगा.
बसों में सफर करना भी हो जायेगा महंगा
इतना ही नहीं, सरकार ने बसों पर 28 फीसदी की जीएसटी दर के ऊपर 15 फीसदी उपकर लगाने का फैसला किया है. इससे सार्वजनिक परिवहन वाहन भी लग्जरी कारों व हार्इब्रिड वाहन वाले कर दायरे में आ गये हैं. वाहन कंपनियों का कहना है कि उपकर से बसें महंगी हो सकती हैं और इससे सार्वजनिक परिवहन प्रभावित हो सकता है. वित्त मंत्रालय की ताजा अधिसूचना के अनुसार, 10 या इससे अधिक व्यक्तियों के परिवहन के काम आने वाले वाहनों पर 15 प्रतिशत सेवा कर क्षतिपूर्ति उपकर लगेगा.
वाहन क्षेत्र की कंपनियों को 28 फीसदी के उपकर का करना होगा भुगतान
वित्त मंत्रालय की आेर से जीएसटी के तहत लगाया जाने वाला 15 फीसदी का यह उपकर 28 फीसदी की अधिकतम कर दर के ऊपर ही होगा. इस तरह से कुल कर दर 43 फीसदी बैठती है. बसों पर इस समय कुल कर 27.8 फीसदी कर लगता है. वाहन विनिर्माताओं के संगठन सियाम ने संपर्क करने पर कहा कि इस कदम से सार्वजनिक परिवहन पर प्रतिकूल असर पड़ेगा.
66 चीजों के दामों को किया गया है कम
हाइब्रिड कारों पर जीएसटी दर की समीक्षा के मुद्दे पर पूर्व में जारी विस्तृत पत्र पर राज्यों की टिप्पणी पर विचार करने के बाद निर्णय किया जायेगा. जीएसटी परिषद की 16वीं बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा, जीएसटी परिषद को 133 जिंसों के लिए अनुरोध मिला था. इनमें से 66 जिंसों पर कर की दरें कम कर दी गयी हैं.
सौ रुपये से कम के सिनेमा टिकट पर 18 फीसदी जीएसटी
जीएसटी परिषद के निर्णय के अनुसार, सौ रुपये या उससे कम के सिनेमा टिकट पर 28 प्रतिशत के बजाय 18 प्रतिशत जीएसटी लगेगा. इससे ऊपर के मूल्य के पर कर की दर पहले के निर्णय के अनुसार 28 प्रतिशत बनी रहेगी. अचार, मस्टर्ड सॉस तथा मुरब्बा जैसे खाद्य वस्तुओं पर 12 प्रतिशत जीएसटी लगेगा, जबकि पहले इस पर 18 प्रतिशत कर लगाने का प्रस्ताव था. साथ ही काजू पर जीएसटी को 12 प्रतिशत से कम कर 5 प्रतिशत कर दिया गया है.
75 लाख तक के कारोबार करने वालों को विकल्प चुनने की सुविधा
यह भी निर्णय किया कि 75 लाख रुपये तक के कारोबार वाले व्यापारी, विनिर्माता और रेस्तरां मालिक एक कंपोजीशन (एकमुश्त) योजना का विकल्प चुन सकते हैं और क्रमश: एक प्रतिशत, दो प्रतिशत तथा पांच प्रतिशत की दर से कर का भुगतान कर सकते हैं. परिषद ने बच्चों की चित्रकला की किताबों पर शुन्य जीएसटी लगाने का प्रस्ताव किया जबकि पूर्व में इसपर 12 प्रतिशत की दर से शुल्क लगाने की बात कही गयी थी.
कंप्यूटर प्रिंटर पर 18 फीसदी टैक्स
कंप्यूटर प्रिंटर पर 28 प्रतिशत के बजाय 18 प्रतिशत जीएसटी लगाने का प्रस्ताव किया गया. इंसुलिन और अगरबत्ती पर जीएसटी कम कर 5 प्रतिशत कर दिया गया है जबकि स्कूल बैग पर 18 प्रतिशत शुल्क लगेगा. काजल पर 28 प्रतिशत के बजाय 18 प्रतिशत कर लगाने का प्रस्ताव किया गया है. परिषद की अगली बैठक 18 जून को होगी. उसमें लॉटरी कर तथा ई-वे बिल पर विचार किया जायेगा.
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