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GST को लेकर क्या सोचता है देश का अर्थजगत ?

देश में कल शुक्रवार आधी रात से जीएसटी लागू किया गया है. मीडिया की गलियारों से लेकर चौक-चौराहों तक जीएसटी की चर्चा है. जीएसटी को लगभग सभी देशों ने लागू कर दिया है. भारत में लंबे समय से इस कानून को लाने की मांग की गयी थी, लेकिन कल जब सरकार ने इसे लागू किया […]

देश में कल शुक्रवार आधी रात से जीएसटी लागू किया गया है. मीडिया की गलियारों से लेकर चौक-चौराहों तक जीएसटी की चर्चा है. जीएसटी को लगभग सभी देशों ने लागू कर दिया है. भारत में लंबे समय से इस कानून को लाने की मांग की गयी थी, लेकिन कल जब सरकार ने इसे लागू किया तो इसकी तैयारी और लागू करने के तरीके को लेकर कई सवाल उठ चुके हैं. आइये जानते हैं देश के अर्थजगत में इस कानून को लेकर क्या प्रतिक्रिया है.
जीएसटी के आर्किटेक्ट माने जाने वाले विजय केलकर कल लागू हुए जीएसटी के बारे में बोलते हैं कि यह भारत के संघीय ढांचे की जीत है. देश के मार्केट को एक करने में इसकी अहम भूमिका होगी. इस कानून के लागू होने से देश के पिछड़े इलाके का औद्योगिकीकरण तेजी से संभव हो पायेगा.
मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम ने जीएसटी के फायदे के लिए हमें टैक्स ढांचे में सिर्फ दो टैक्स दर लगाने होंगे. फिलहाल जीएसटी में चार टैक्स स्लैब है.
वहीं जाने-माने आर्थिक विश्लेषक एम के वेणु लिखते हैं कि सरकार ने जिस भव्य तरीके से आयोजन किया. उसके बजाय इस कानून को लागू कराने पर जोर देना चाहिए. अगर सही से लागू नहीं किया गया तो भारत का सबसे बड़़ा टैक्स सुधार देश की अर्थव्यवस्था के लिए दुस्वपन साबित होगा.
बॉयोकॉन कंपनी की संस्थापक किरण मजूमदार शॉ जीएसटी लागू से खुश है, लेकिन वह भारत के जीएसटी को बहुत जटिल बताती हैं.
केपीएमजी के जजीत भट्टाचार्य जीएसटी को लेकर आशान्वित हैं. जीएसटी कितना सफल होगा यह इस बात पर निर्भर करता है कि इसके स्टेकहॉल्डर कितनी त्वरित गति से इसे अपनाते है.
नीति आयोग के सदस्य और अर्थशास्त्री विवेक देवरॉय बताते है कि यह शुरुआत है, इसे परफेक्ट होने में वक्त लगेगा. इसके फायदे और नुकसान दोनों को बढ़ा – चढ़ाकर बताया जा रहा है.

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