नयी दिल्लीः अभी पिछले महीने ही कर्जमाफी को लेकर किसानों के आंदोलन आैर फिर उसके बाद राजनीतिक आलोचनाआें के बीच सरकार ने विदेश से आयात होने वाली चीनी पर आयात शुल्क बढ़ाने का फैसला किया है. सरकार का कहना है कि गन्ना उत्पादक किसानों की आमदनी बढ़ाने, चीनी के घरेलू उत्पादन की बिक्री बढ़ाने आैर विदेश से सस्ती चीनी के आयात को कम करने के लिए इसके आयात शुल्क में बढ़ोतरी की जायेगी. उसका कहना है कि विदेश से आयात होने वाली चीनी पर कम से कम 60 फीसदी इजाफा करने पर विचार किया जा रहा है.
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सरकार का यह भी कहना है कि चीनी के आयात शुल्क में वृद्धि करने के पीछे उसका मकसद सस्ते आयात को रोकना और घरेलू बाजार में कीमतों को उचित स्तर पर कायम रखना है. स्थानीय स्तर पर चीनी कीमतों में किसी तरह की गिरावट से मिलों की गन्ना किसानों को भुगतान की क्षमता प्रभावित होगी. उसका कहना है कि विपणन वर्ष 2016-17 में चीनी का उत्पादन कम रहने के मद्देनजर सरकार ने अप्रैल में शून्य शुल्क पर पांच लाख टन कच्ची चीनी के आयात की अनुमति दी थी, जिससे घरेलू आपूर्ति बढ़ायी जा सके.
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खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हम वैश्विवक कीमतों की निगरानी कर रहे हैं. अंतरराष्ट्रीय बाजार में दाम नीचे आ रहे हैं और कुछ व्यापारी ऊंचे सीमा शुल्क पर भी आयात के इच्छुक हैं. ऐसे में हम आयात शुल्क बढ़ाने पर विचार कर रहे हैं. अधिकारी ने कहा कि वैश्विक स्तर पर चीनी कीमतों में और गिरावट आने पर आयात शुल्क में तुरंत वृद्धि की जायेगी. इससे सस्ते आयात की वजह से घरेलू खुदरा कीमतों पर दबाव नहीं पड़ेगा. फिलहाल, देश में खुदरा बाजार में चीनी का दाम 40-50 रुपये किलो है.
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