भारत के बैंकों के करोड़ों रुपये लेकर फरार हुए शराब कारोबारी विजय माल्या की मुश्किलें आैर बढ़ गयी हैं. माल्या के खिलाफ PMLA (प्रिवेंशन आॅफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट) कोर्ट ने गैर-जमानती वारंट जारी किया है.
कोर्ट ने यह वारंट ईडी (इनफोर्समेंट डायरेक्टरेट) की ओर से लोन डिफॉल्ट मामले में दायर की गयी चार्जशीट पर स्वतः संज्ञान लेते हुए जारी किया है़ यह मामला आईडीबीआई बैंक से लिये 900 करोड़ के लोन से जुड़ा है.
बताते चलें कि इससे पहले सीबीआई ने माल्या के खिलाफ नॉन बेलेबल वारंट जारी किया था. माल्या पर अलग-अलग बैंकों के 9000 करोड़ रुपये का कर्ज है.
गौरतलब है कि प्रवर्तन निदेशालय ने 14 जून को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में चार्जशीट दाखिल की थी, जिसमें माल्या, किंगफिशर एयरलाइंस के पूर्व मुख्य वित्त अधिकारी ए रघुनाथन समेत बैंक के कुछ पूर्व अधिकारियों सहित 9 लोगों को आरोपी बनाया गया है.
ईडी का आरोप है कि बंद हो चुकी किंगफिशर एयरलाइंस को आईडीबीआई बैंक द्वारा 950 करोड़ रुपये का लोन नियमों की अनदेखी कर दिया गया.
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रिपोर्ट में कहा गया है कि कंपनी की कमजोर वित्तीय स्थिति, नकारात्मक शुद्ध संपत्ति, नकारात्मक डेट टू इक्विटी अनुपात, निम्न क्रेडिट रेटिंग के बावजूद इसे लोन दिया गया.
यह दिखाता है कि माल्या और बैंक अधिकारियों के बीच कोई सांठगांठ थी. ईडी ने कहा कि आईडीबीआई आकलन अध्ययन करने में विफल रही.
चार्जशीट में इसे आपराधिक मामला बताया गया है, जिससे माल्या को भारत वापस लाने के लिए देश की स्थिति और मजबूत हो गयी है. ईडी की चार्जशीट में कहा गया है कि यह लोन तीन हिस्सों में जारी किया गया.
पहला शॉर्ट टर्म लोन 150 करोड़ रुपये का था. दूसरा लोन 200 करोड़ रुपये और अंतिम लोन 700 करोड़ रुपये का था. अद्यतन स्थिति यह है कि माल्या वर्ष 2016 से ही लंदन में हैं.
भारत ने ब्रिटेन सरकार से माल्या के प्रत्यर्पण की अपील की थी. भारत की मांग पर स्स्थानीय प्रशासन ने माल्या को रेड कॉर्नर नोटिस के आधार पर 18 अप्रैल को गिरफ्तार करवेस्टमिंस्टर था.
लेकिन उन्हें 3 घंटे बाद ही जमानत मिल गयी थी. इसी मामले में अब अगली सुनवाई 6 जुलाई को होगी, जिसमें उनकीपेशी जरूरी है. वह फिलहाल 4 दिसंबर तक जमानत पर हैं.
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