कैसे मिलेगी नौकरी? 2016-17 में 88 लाख स्नातकों के लिए मात्र दो लाख नये रोजगार सृजित

उच्च आर्थिक वृद्धि के बावजूद अर्थव्यवस्था में रोजगार सृजन नहीं हो रहा है इस तरह की आलोचनाओं को सरकार द्वारा दरकिनार किये जाने के बावजूद श्रम विभाग के आंकड़े बताते हैं कि रोजगार सृजन में गिरावट आयी है. वित्तीय ब्रोकरेज फर्म जेएम फाइनेंशियल की एक रिपोर्ट में यह बात कही गयी है. ब्रोकरेज फर्म द्वारा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 5, 2017 4:23 PM

उच्च आर्थिक वृद्धि के बावजूद अर्थव्यवस्था में रोजगार सृजन नहीं हो रहा है इस तरह की आलोचनाओं को सरकार द्वारा दरकिनार किये जाने के बावजूद श्रम विभाग के आंकड़े बताते हैं कि रोजगार सृजन में गिरावट आयी है. वित्तीय ब्रोकरेज फर्म जेएम फाइनेंशियल की एक रिपोर्ट में यह बात कही गयी है.

ब्रोकरेज फर्म द्वारा जुटाये गये श्रम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक डिग्री धारक युवाओं की संख्या के मुकाबले रोजगार के नये अवसर पैदा होने का अनुपात पिछले सालों के मुकाबले बिगड़ा है.

रोजगार के ताजा सर्वेक्षण के मुताबिक वित्त वर्ष 2016-17 के शुरुआती नौ माह के दौरान (बैंकों की नौकरी को छोड़कर) एक लाख 90 हजार रोजगार ही पैदा हुए, जबकि पिछले वित्त वर्ष में 88 लाख युवाओं ने स्नातक की डिग्री हासिल की. इस तरह डिग्री धारकों और पैदा हुए रोजगार के आंकड़े में भारी अंतर सामने आया.

जेएम फाइनेंसियल की ‘मैं अपनी डिग्री का क्या करूं’ नामक रिपोर्ट में कहा गया है, ‘जब स्नातकों की संख्या पैदा होने वाले रोजगार की संख्या से कहीं ज्यादा हो, तो स्पष्ट रूप से श्रमिकों की मांग और उनकी आपूर्ति के बीच का अंतर कहीं ज्यादा हो जाता है.

उल्लेखनीय है कि नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने पिछले सप्ताह रिजर्व बैंक के एक कार्यक्रम में देश की आर्थिक वृद्धि को रोजगार विहीन बताये जाने के कुछ अर्थशास्त्रियों और विपक्ष की आलोचना को मात्र कल्पना बताया और दावा किया कि 7 से 8 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि से श्रम बाजार को काफी फायदा हुआ है.

उन्होंने कहा, यदि 7 से 8 प्रतिशत की वृद्धि होती है तो यह ऐसी नहीं हो सकती है कि श्रम बाजार को इससे कोई फायदा नहीं हो रहा है. इस तरह की आर्थिक वृद्धि रोजगार पैदा किये बिना नहीं हो सकती है.

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