नोटबंदी के बावजूद भारत की आर्थिक वृद्धि 6.9 प्रतिशत रहने का अनुमान
भारतीय अर्थव्यवस्था में आने वाली तिमाहियों में स्थिति में सुधार होगा, जिससे चालू वित्त वर्ष के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि 6.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है. एक रिपोर्ट में यह अनुमान व्यक्त किया गया है. बीएमआई शोध की एक रिपोर्ट के अनुसार, नवंबर 2016 में हुई नोटबंदी के बाद के नकारात्मक प्रभाव […]
भारतीय अर्थव्यवस्था में आने वाली तिमाहियों में स्थिति में सुधार होगा, जिससे चालू वित्त वर्ष के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि 6.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है. एक रिपोर्ट में यह अनुमान व्यक्त किया गया है.
बीएमआई शोध की एक रिपोर्ट के अनुसार, नवंबर 2016 में हुई नोटबंदी के बाद के नकारात्मक प्रभाव के बाद भारत की आर्थिक वृद्धि में सुधार आने की उम्मीद है. हालांकि, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की कमजोर स्थिति से सुधार एक निश्चित दायरे में रह सकता है.
वित्त वर्ष 2016-17 की चौथी तिमाही में वास्तविक जीडीपी वृद्धि काफी सुस्त पड़कर 6.1 प्रतिशत रह गयी थी. रिपोर्ट में कहा गया है, हमारा अनुमान है कि आने वाली तिमाहियों में अर्थव्यवस्था में सुधार जारी रहेगा. हम 2017- 18 में वास्तविक जीडीपी वृद्धि 6.9 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त कर रहे हैं.
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फिच समूह की इस कंपनी ने अपनी शोध रिपोर्ट में इस बात पर गौर किया है कि नोटबंदी के वजह से अर्थव्यवस्था पर जो नकारात्मक प्रभाव पड़ा था, वह समाप्ति की ओर है. भारतीय अर्थव्यवस्था को अब सकारात्मक जनसांख्यिकीय रुझाानों, बेहतर बाह्य स्थिरता और सुधारों के जारी रहने से देश के कमजोर व्यावसायिक परिवेश में सुधार आयेगा.
रिपोर्ट में हालांकि इस बात पर गौर किया गया है कि सार्वजनिक क्षेत्रा के बैंकों की स्थिति अभी कमजोर बनी हुई है और वह गैर-निष्पादित राशि (एनपीए) की समस्या से जूझ रहे हैं. इसका भारत की आथर्कि वृद्धि पर प्रभाव पड़ सकता है.
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रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्तरी एशिया में आर्थिक वृद्धि के 2017 और 2018 में धीमी बने रहने का अनुमान है. चीन की अर्थव्यवस्था में जारी ढांचाचगत सुस्ती, जापान में कमजोर नीतियों और दक्षिण कारिया की नीतियों में अनिश्चितता को इसकी प्रमुख वजह बताया गया.
रिपोर्ट के अनुसार, व्यावसायिक परिवेश में सुधार और सकारात्मक जनसांख्यिकी के चलते इस क्षेत्र में आसियान और भारत के ही आकर्षण का केंद्र बने रहने की उम्मीद है.
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