संसद का माॅनसून सत्रः पेश किया जा सकता है 20 लाख तक टैक्स फ्री ग्रेच्यूटी वाला बिल
नयी दिल्लीः आगामी 17 जुलार्इ से संसद का माॅनसून सत्र शुरू होने जा रहा है. संभावना जतायी जा रही है कि संसद के माॅनसून सत्र में निजी क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों को 20 लाख की ग्रेच्यूटी को टैक्स फ्री करने वाला विधेयक पेश किया जा सकता है. हालांकि, अभी इस निजी क्षेत्र के […]
नयी दिल्लीः आगामी 17 जुलार्इ से संसद का माॅनसून सत्र शुरू होने जा रहा है. संभावना जतायी जा रही है कि संसद के माॅनसून सत्र में निजी क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों को 20 लाख की ग्रेच्यूटी को टैक्स फ्री करने वाला विधेयक पेश किया जा सकता है. हालांकि, अभी इस निजी क्षेत्र के कमर्मचारियों को 10 लाख की ग्रेच्यूटी पर टैक्स से छूट प्रदान की गयी थी. श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय के हवाले से कहा जा रहा है कि कर मुक्त ग्रैच्युटी सीमा बढ़ाकर 20 लाख रुपये किये जाने से संबंधित विधेयक संसद के मॉनसून सत्र में पेश किया जा सकता है.
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यदि कैबिनेट ने इस बाबत मंजूरी दे दी, तो केंद्रीय कर्मचारियों की तरह ही निजी क्षेत्र के कर्मियों को भी बड़ा लाभ मिलेगा. जाहिर है कि इससे एंप्लॉयीज़ को रिटायरमेंट के वक्त ग्रेच्यूटी का पैसा अधिक मिलेगा. संसद का मॉनसून सत्र 17 जुलाई से शुरू हो रहा है. विधेयक में ग्रेच्यूटी भुगतान कानून में संशोधन का प्रस्ताव है, ताकि केंद्र सरकार कर्मचारियों के आय स्तर में वृद्धि के आधार पर संसद के जरिये कानून में संशोधन का रास्ता अपनाये बिना कर मुक्त ग्रैच्यूटी की सीमा बढ़ा सके.
हालांकि, मसौदा विधेयक को अभी केंद्रीय मंत्रिमंडल से मंजूरी मिलना बाकी है. ग्रेच्यूटी भुगतान संशोधन विधेयक की स्थिति के बारे में पूछे जाने पर दत्तात्रेय के हवाले से एजेंसी ने बताया कि यह हमारे एजेंडे में है. कानून में संशोधन के बाद संगठित क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारी 20 लाख कर मुक्त ग्रेच्यूटी के हकदार होंगे. इससे पहले फरवरी में केंद्रीय श्रमिक संगठनों ने श्रम मंत्रालय के साथ द्विपक्षीय विचार-विमर्श में इस प्रस्ताव पर सहमति जतायी थी.
हालांकि, यूनियनों ने ग्रेच्यूटी भुगतान के लिए न्यूनतम पांच साल की सेवा और कम-से-कम 10 कर्मचारी होने की शर्त को हटाने की मांग की है. फिलहाल, ग्रेच्यूटी भुगतान कानून के तहत कर्मचारी को ग्रेच्यूटी राशि के लिए न्यूनतम पांच साल की सेवा अनिवार्य है. साथ ही, कानून उन प्रतिष्ठानों पर लागू होता है, जहां कर्मचारियों की संख्या 10 से कम नहीं हो.
ट्रेड यूनियनों ने मांग की है कि अधिकतम राशि के संदर्भ में संशोधित प्रावधान एक जनवरी, 2016 से प्रभावी हो, जैसा कि केंद्र सरकार के कर्मचारियों के मामले में किया गया है. यूनियनों ने यह भी मांग की कि ग्रेच्यूटी के तहत प्रत्येक पूरे हुए सेवा वर्ष के लिए 15 दिन के वेतन के बजाय 30 दिन का वेतन दिया जाये. ग्रेच्यूटी भुगतान कानून में प्रस्तावित संशोधन के तहत कानून की धारा 4 (तीन) के तहत अधिकतम राशि की सीमा 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये की गयी है.
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