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चीनी मांझा अब नहीं बन सकेगा भारतीय पतंगों की डोर, जानें क्यों…?

नयी दिल्लीः भारत में उड़ने वाली पतंगों में अब चीन से काफी मात्रा में आयात होने वाला मांझा धागा डोर नहीं बन सकेगा. इसका कारण यह है कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने मंगलवार को नायलॉन और ऐसे किसी भी अन्य सिंथेटिक पदार्थ से बने मांझे पर प्रतिबंध लगा दिया है, जिसका रासायनिक विघटन जैविक […]

नयी दिल्लीः भारत में उड़ने वाली पतंगों में अब चीन से काफी मात्रा में आयात होने वाला मांझा धागा डोर नहीं बन सकेगा. इसका कारण यह है कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने मंगलवार को नायलॉन और ऐसे किसी भी अन्य सिंथेटिक पदार्थ से बने मांझे पर प्रतिबंध लगा दिया है, जिसका रासायनिक विघटन जैविक तरीके से संभव नहीं है. हरित पैनल ने इसे पक्षियों, पशुओं और इंसानों की जान को खतरे में डालने वाला बताया. एनजीटी प्रमुख न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने सभी राज्य सरकारों को पतंग उड़ाने में इस्तेमाल किये जाने वाले सिंथेटिक मांझा या नायलॉन के धागों और सभी प्रकार के सिंथेटिक धागों के विनिर्माण, बिक्री, भंडारण, खरीद और इस्तेमाल पर रोक लगाने का निर्देश दिया.

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हरित पैनल ने स्पष्ट किया कि प्रतिबंध का आदेश नायलॉन, चीनी और सीसायुक्त सूती मांझे पर लागू होगा. पीठ ने कहा कि पतंग उड़ाने के लिए इस्तेमाल में लाये जाने वाले नायलॉन और अन्य सिंथेटिक पदार्थों या सिंथेटिक पदार्थ की परत वाले एवं जिनका रासायनिक विघटन जैविक तरीके से करना संभव नहीं हो, से बने मांझे या धागे पर पूर्ण प्रतिबंध होगा. निर्देश में कहा गया है कि सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को देशभर में पतंग उड़ाने में इस्तेमाल में लाये जाने वाले सिंथेटिक मांझेानायलॉन धागे के निर्माण एवं इस्तेमाल पर प्रतिबंध लागू करने का निर्देश दिया जाता है.

पशु अधिकार संगठन पीपुल फॉर एथिकल टरीटमेंट ऑफ एनिमल्स (पेटा), खालिद अशरफ और अन्य की याचिका पर हरित पैनल ने ये आदेश दिया. याचिकाकर्ताओं ने दलील दी है कि मांझा इंसानों और पशुओं के जीवन के लिए खतरनाक है, क्योंकि हर साल इससे बड़ी संख्या में लोगों की जान चली जाती है. गौरतलब है कि पड़ोसी देश चीन भारत में सीसायुक्त सूती का मांझा धागा काफी मात्रा में निर्यात करता है.

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