सरकार का दावाः बाढ़ के बावजूद असम आैर आेड़िशा में धान की फसल को नहीं हुआ नुकसान

नयी दिल्ली: कृषि सचिव शोभना के पटनायक ने कहा है कि असम आैर आेड़िशा में बाढ़ के प्रकोप के बावजूद यहां पर धान की फसलों को कोर्इ नुकसान नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि कर्नाटक के कुछ हिस्से को छोड़कर धान जैसी खरीफ फसलों बुआई की प्रगति अब तक काफी बेहतर है. उन्होंने कहा कि […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 18, 2017 4:35 PM

नयी दिल्ली: कृषि सचिव शोभना के पटनायक ने कहा है कि असम आैर आेड़िशा में बाढ़ के प्रकोप के बावजूद यहां पर धान की फसलों को कोर्इ नुकसान नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि कर्नाटक के कुछ हिस्से को छोड़कर धान जैसी खरीफ फसलों बुआई की प्रगति अब तक काफी बेहतर है. उन्होंने कहा कि बाढ़ जैसी स्थिति का सामना कर रहे ओड़िशा और असम जैसे राज्यों से फसल के नुकसान की कोई खबर नहीं है. वर्ष 2017-18 के खरीफ (गरमी) फसलों की बुवाई चल रही है. खरीफ सत्र में बुआई सामान्य तौर पर दक्षिण पश्चिम माॅनसून के आरंभ के साथ शुरू होती है और जुलाई से गति पकड़ती है.

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पटनायक ने बताया कि कर्नाटक के दक्षिणी आंतरिक भागों को छोड़कर देश भर में खरीफ फसलों की बुआई अभी तक बेहतर प्रगति कर रही है. कुल मिलाकर पिछले वर्ष के मुकाबले बुआई का रकबा अधिक है. अभी तक कपास और गन्ने जैसे नकदी फसलों की बुआई का रकबा बढ़ा है, जबकि सोयाबीन और तुअर का रकबा थोड़ा कम है, लेकिन फिलहाल यह चिंता का विषय नहीं है.

पटनायक ने कहा कि कुल मिलाकर बुआई की स्थिति बेहतर है. हमें बेहतर उत्पादन होने की उम्मीद है. कर्नाटक जैसे राज्य, जहां कुछ हिस्सों में अभी तक बरसात नहीं हुई है, के बारे में पूछने पर सचिव ने कहा कि बुआई के इस महत्वपूर्ण समय में प्रदेश के किसान बरसात का इंतजार कर रहे हैं. हमें उम्मीद है कि अगले चार पांच दिनों में राज्य में बेहतर बरसात होगी.
उन्होंने कहा कि राज्य के दक्षिणी भागों विशेषकर धारवाड़ और गडग में पर्याप्त बरसात नहीं हुई है और जलाशयों में जल का स्तर काफी कम है. उन्होंने कहा कि लेकिन प्रदेश के अन्य भागों में स्थिति बेहतर है और खरीफ फसलों की बुवाई प्रगति पर है. बाढ प्रभावित राज्यों के बारे में पटनायक ने कहा कि हमें अभी तक फसल के बर्बाद होने के संबंध में कोई रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई है.

कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, पिछले सप्ताह तक धान की बुआई 125.77 लाख हेक्टेयर में की गयी थी, जो पिछले वर्ष में 120.32 लाख हेक्टेयर में की गयी बुआई से 4.5 फीसदी अधिक है. दलहनों की बुआई का रकबा पहले के 60.28 लाख हेक्टेयर के मुकाबले अधिक यानी 74.61 लाख हेक्टेयर है. वहीं, मोटे अनाज की बुआई का रकबा 113.06 लाख हेक्टेयर है, जो पहले के 98.79 लाख हेक्टेयर के मुकाबले अधिक है.

हालांकि, तिलहन फसलों की बुआई का रकबा घटकर 103.92 लाख हेक्टेयर रह गया, जो पूर्व वर्ष में 115.75 लाख हेक्टेयर था. नकदी फसल के मामले में गन्ने की बुवाई का रकबा चालू खरीफ सत्र में पिछले सप्ताह तक अधिक यानी 47.94 लाख हेक्टेयर था, जो पूर्व वर्ष की समान अवधि में 45.22 लाख हेक्टेयर था. समीक्षाधीन अवधि में कपास खेती का रकबा बढ़कर 90.88 लाख हेक्टेयर हो गया, जो पहले 73.93 लाख हेक्टेयर था.

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