#GST_Effect: सिगरेट पर सेस लगने से ITC आैर LIC को 52,000 करोड़ रुपये का घाटा

मुंबर्इः वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद की आेर से सोमवार को उपकर लगाये जाने की वजह से मंगलवार को आर्इटीसी आैर एलआर्इसी को करीब 52,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. इसकी अहम वजह यह है कि मंगलवार को घरेलू शेयर बाजारों में बिकवाली की रैली से कारोबार की शुरुआत से ही आर्इटीसी के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 18, 2017 6:07 PM

मुंबर्इः वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद की आेर से सोमवार को उपकर लगाये जाने की वजह से मंगलवार को आर्इटीसी आैर एलआर्इसी को करीब 52,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. इसकी अहम वजह यह है कि मंगलवार को घरेलू शेयर बाजारों में बिकवाली की रैली से कारोबार की शुरुआत से ही आर्इटीसी के शेयरों में भारी करीब 13.5 फीसदी की गिरावट दर्ज की गयी थी. दिनभर के कारोबार के बाद बाजार बंद होने तक इसके शेयरों में करीब 12 फीसदी से भी अधिक कमजोरी आयी.

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इस दौरान कहा यह जा रहा है कि शेयर बाजारों में बिकवाली की वजह से आर्इटीसी को करीब 45,000 करोड़ रुपये के बाजार पूंजीकरण (मार्केट कैप) का नुकसान उठाना पड़ा है. वहीं, यह भी कहा जा रहा है कि मंगलवार को बाजार में भारी गिरावट आने की वजह से बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआर्इसी) को भी करीब 7,000 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है.

सोमवार को जीएसटी परिषद की आेर से सिगरेट पर उपकर लगाने का फैसला तो किया गया, लेकिन उसकी कीमतों को यथावत रखने का फैसला किया गया. जीएसटी की 19वीं बैठक में इस बात की भी चर्चा की गयी कि जीएसटी के तहत सिगरेट की कीमतें बढ़ाने का भार उपभोक्ताआें पर पड़ेगा, जबकि इसके निर्माता कंपनी को लाभ होगा. इसलिए परिषद ने कंपनियों पर करीब 0.5 फीसदी से 1 फीसदी तक उपकर लगाने का फैसला किया.

जीएसटी परिषद के इस फैसले के बाद मंगलवार को घरेलू शेयर बाजारों में आर्इटीसी के शेयरों को कारोबार की शुरुआत से ही नुकसान उठाना पड़ रहा था. आलम यह था कि कारोबार के आरंभ में कंपनी के शेयरों में करीब 13.5 फीसदी की गिरावट दर्ज की गयी थी.

कारोबार के दौरान दोपहर के कारोबार में कंपनी के मार्केट कैप में करीब 45,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. वहीं, बाजार में बिकवाली आैर गिरावट के रुख की वजह से भारतीय जीवन बीमा निगम को भी करीब 7,000 करोड़ रुपये के मार्केट कैप का नुकसान उठाना पड़ा.

गौरतलब है कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये जीएसटी परिषद की आपात बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत में जेटली ने कहा कि सिगरेट पर उपकर में बढ़ोतरी से सरकार को 5,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व मिलेगा, अन्यथा यह विनिर्माताओं के खाते में जाता. जीएसटी परिषद ने मई में सिगरेट पर 28 फीसदी की कर दर तय की थी. इसके ऊपर 5 फीसदी का मूल्यानुसार कर लगाया गया है. 65 मिलीमीटर (एमएम) तक की फिल्टर और गैर-फिल्टर सिगरेट पर 1,591 रुपये प्रति हजार स्टिक्स का उपकर लगाया गया था.

हालांकि, यह दर जीएसटी से पूर्व की व्यवस्था में सिगरेट पर कर भार से कम थी. ऐसे में यह विनिर्माताओं को तय करना था कि वे इसका फायदा उपभोक्ताओं को देते हैं या खुद अप्रत्याशित मुनाफा कमाते हैं. विनिर्माताओं ने खुद अप्रत्याशित लाभ लेने के विकल्प को चुना. 65 एमएम की फिल्टर और नॉन फिल्टर सिगरेट पर नया उपकर 5 फीसदी और 2,076 रुपये प्रति हजार स्टिक्स होगा. वहीं, 65 एमएम से 70 एमएम की गैर-फिल्टर सिगरेट पर कर की दर 5 फीसदी और 3,668 रुपये प्रति हजार स्टिक्स होगी. अभी तक यह 5 फीसदी और 2,876 रुपये थी.

इसके साथ ही, 65 एमएम से 70 एमएम की फिल्टर सिगरेट पर 5 फीसदी और 2,747 रुपये प्रति हजार स्टिक्स का कर लगेगा. अभी तक यह 5 फीसदी और 2,126 रुपये था. इसी तरह 70 एमएम से 75 एमएम की सिगरेट पर 5 फीसदी और 3,668 रुपये का उपकर लगेगा. अन्य सिगरेट पर उपकर 36 फीसदी और 4,170 रुपये प्रति हजार स्टिक्स होगा. अभी तक यह 5 फीसदी और 4,170 रुपये है.

वित्त मंत्री जेटली ने कहा कि इस स्थिति को ठीक करने के लिए जीएसटी परिषद ने सिगरेट पर निश्चित उपकर 485 से 792 रुपये प्रति हजार स्टिक्स तक बढ़ा दिया है. हालांकि, इससे सिगरेट के दाम नहीं बढ़ेंगे, क्योंकि उपकर में बढ़ोतरी से सिर्फ विनिर्माताओं का अप्रत्याशित लाभ समाप्त होगा.

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