वोडाफोन आैर आइडिया के विलय को प्रतिस्पर्द्धा आयोग ने दी मंजूरी
नयी दिल्लीः दूरसंचार क्षेत्र में ब्रिटेन की कंपनी वोडाफोन आैर कुमार मंगलम बिड़ला की आइडिया सेल्यूलर का अब जल्द ही विलय होने की संभावना नजर आने लगी है. इसकी वजह यह है कि भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (सीसीआई) ने दोनों कंपनियों के इस विलय की मंजूरी दे दी है. इससे ग्राहकों की संख्या के लिहाज से […]
नयी दिल्लीः दूरसंचार क्षेत्र में ब्रिटेन की कंपनी वोडाफोन आैर कुमार मंगलम बिड़ला की आइडिया सेल्यूलर का अब जल्द ही विलय होने की संभावना नजर आने लगी है. इसकी वजह यह है कि भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (सीसीआई) ने दोनों कंपनियों के इस विलय की मंजूरी दे दी है. इससे ग्राहकों की संख्या के लिहाज से देश की सबसे बड़ी कंपनी के वजूद में आने की उम्मीद और बढ़ गयी है. ब्रिटिश कंपनी वोडाफोन ग्रुप पीएलसी की भारतीय यूनिट और आइडिया अभी ग्राहकों की संख्या के लिहाज से देश की क्रमश: दूसरी और तीसरी सबसे बड़ी कंपनियां हैं. दोनों कंपनियों के मिलने के बाद जो कंपनी बनेगी, उसके ग्राहकों की संख्या 40 करोड़ होगी और बाजार में राजस्व की हिस्सेदारी करीब 41 फीसदी होगी.
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वोडाफोन और आइडिया के साथ आने के बाद बनने वाली कंपनी अपने साइज के दम से रिलायंस जियो इंफोकॉम का मजबूती से मुकाबला कर पायेगी, जिसने देश के दूरसंचार क्षेत्र में हलचल मचा रखी है. जियो इंफोकॉम ने पिछले साल सितंबर से इस साल मार्च तक अपने ग्राहकों को मुफ्त में वॉयस और डेटा ऑफर किया था. इससे दूसरी दूरसंचार कंपनियों पर बहुत दबाव बना और माना जा रहा है कि इसी वजह से वोडाफोन और आइडिया ने विलय का फैसला किया है.
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आयोग के विलय प्रस्ताव पर मंजूरी के बारे में कानूनी परामर्श देने वाली कंपनी शार्दूल अमरचंद मंगलदास एंड कंपनी की पार्टनर श्वेता श्रॉफ चोपड़ा ने बताया कि पहले चरण में सीसीआई की मंजूरी अच्छी खबर है. यह भारतीय दूरसंचार क्षेत्र आैर विलय बाजार के लिए अच्छी खबर है. इससे दूरसंचार उद्योग की क्षमता बढ़ाने के लिए और निवेश होगा. विलय के प्रस्ताव के मुताबिक, आइडिया का प्रमोटर आदित्य बिड़ला समूह दोनों कंपनियों के मिलने के बाद बनने वाली फर्म में धीरे-धीरे हिस्सेदारी बढ़ायेगा.
इस बीच खबर यह भी है कि वोडाफोन ग्रुप पीएलसी इस कंपनी में अपनी हिस्सेदारी कम करेगा. दोनों कंपनियों के बीच जो सहमति बनी है, उसके मुताबिक आगे चलकर उनकी नयी कंपनी में बराबर की हिस्सेदारी होगी. नियामक के सामने दोनों कंपनियों ने जो प्लान जमा कराया है, उसके मुताबिक वोडाफोन नई कंपनी में 50 फीसदी हिस्सेदारी रखेगी, जबकि आदित्य बिड़ला समूह के पास कंपनी के 21.1 फीसदी और पब्लिक शेयरहोल्डर्स के पास 28.9 फीसदी शेयर होंगे.
वोडाफोन इसके बाद 4.9 फीसदी हिस्सेदारी आदित्य बिड़ला समूह को बेचेगा. इससे उसकी कंपनी में हिस्सेदारी बढ़कर 26 फीसदी हो जायेगी. ऐसे में आदित्य बिड़ला समूह को कंपनी के शेयरहोल्डर्स के लिए ओपन ऑफर लाना होगा.
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