जमशेदपुर/रांचीः टाटा वर्कर्स यूनियन की आेर से टाटा स्टील में एलडीवन आैर सिक्योरिटी में श्रमशक्ति कम करने के प्रस्ताव को लाैटाया नहीं गया है. यूनियन के अधिकारियों ने कंपनी की कर्मचारियों की छंटनी के लिए बनायी गयी रणनीति के खिलाफ विरोध करने का आश्वासन दिया था. इसके बावजूद यूनियन की आेर से कंपनी के प्रस्ताव काे लौटाया नहीं गया है. इस बात को लेकर कंपनी की रणनीति के विरोध में बनी समिति के सदस्यों में नाराजगी बनी हुर्इ है.
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जमशेदपुर से हमारे संवाददाता की खबरों के अनुसार, पिछले दिनों कमेटी मेंबरों को टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष आर रवि प्रसाद ने आश्वासन दिया था कि प्रस्ताव वापस कर दिया जायेगा. इसके बावजूद अभी स्थिति यह है कि कमेटी मेंबरों को कंपनी के पर्सनल ऑफिसरों ने मीटिंग करने के लिए बुलाया है और वार्ता कर कर्मचारियों की संख्या को कम करने के प्रस्ताव पर बातचीत करने को कहा है. इसी क्रम में बुधवार को एलडी-1 विभाग के कमेटी मेंबरों ने टाटा वर्कर्स यूनियन आकर अध्यक्ष आर रवि प्रसाद का घेराव किया. आश्वासन देने के बावजूद प्रबंधन को प्रस्ताव वापस नहीं करने से कमेटी मेंबर नाराज थे.
यूनियन के अध्यक्ष ने सभी को यूनियन के काॅन्फ्रेंस रूम में बुलाकर वार्ता की. डिप्टी प्रेसिडेंट संजीव कुमार चौधरी भी वार्ता में मौजूद थे. वार्ता के दौरान कमेटी मेंबरों ने वर्ल्ड क्लास मेंटेनेंस (डब्ल्यूसीएम) के समझौते की दुहाई दी. कहा यह गया है कि कहीं ऐसा न हो कि आने वाले समय में ऑपरेशन की स्थिति भी मेंटेनेंस जैसी हो जाये. मेंटेनेंस में 13 साल में पद रिक्त होते गये मगर नयी बहाली नहीं हुई. आज प्रबंधन स्टैंडर्ड फोर्स खत्म कर इंप्लाइ-ऑन-रोल (इओआर) पर यूनियन के साथ समझौता कर रहा है. हालांकि इस पर अध्यक्ष ने कोई जवाब नहीं दिया.
वहीं, सिक्योरिटी में भी मैनपावर को कम करने का प्रस्ताव दिया गया है. उसके भी प्रस्ताव को अब तक नहीं लौटाया गया है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, अध्यक्ष आर रवि प्रसाद ने मैनेजमेंट के पास प्रस्ताव लौटाया था, लेकिन प्रस्ताव पर बातचीत जरूर करने की बात कहकर मैनेजमेंट ने उसे वापस यूनियन को ही लौटा दिया है. इसके बाद तय है कि मैनपावर को कम करने के प्रस्ताव को लेकर बातचीत होती रहेगी.
टाटा वर्कर्स यूनियन की वर्तमान कमेटी पर कथनी और करनी में अंतर का आरोप लगता रहा है. पहले बोनस समझौता के वक्त कहा गया था कि 11 फीसदी से ज्यादा बोनस हुआ है, लेकिन जब पैसे आये, तो लोगों को मालूम चला कि सिर्फ 8.5 फीसदी ही बोनस मिला है. इसी तरह मेडिकल एक्सटेंशन में पहले कहा गया कि अब मेडिकल एक्सटेंशन सामान्य हो चुका है, जो मिलता रहेगा.
यूनियन के महामंत्री ने यहां तक कह दिया कि तीन माह के लिए ही एक्सटेंशन दिया गया है. इस पर कमेटी मीटिंग में भी कहा गया कि तीन माह में रिव्यू होगा. अब एलडी वन व सिक्यूरिटी का मामला आया है. इन दोनों ही विभागों में कहा गया कि प्रस्ताव लौटा दिया जा रहा है, लेकिन प्रस्ताव को लौटाया नहीं गया और हालात जस के तस है.
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