नयी दिल्लीः अभी हाल ही में पूर्वा एक्सप्रेस में एक सवारी के खाने में छिपकली निकलने के बाद खुद को पाक-साफ साबित करने के लिए रेलवे ने आनन-फानन में कर्इ कदम उठाये. इसके तहत उसने पूर्वा एक्सप्रेस के पैंट्री कार के ठेकेदार आरके एसोसिएट्स का लाइसेंस रद्द कर दिया गया है. इसके साथ ही, उसने 31 राजधानी, शताब्दी, दुरंतो और गतिमान ट्रेनों में लोगों को रेलवे का खाना ऑप्ट आउट करने का विकल्प शुरू करने का आदेश जारी किया है. इन ट्रेनों में टिकट बुक कराते समय ही सवारियों से खानपान का पैसा भी लिया जाता है, लेकिन अब ऑप्ट आउट कर आप 200 से 400 रुपये तक बचा सकते हैं.
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इससे पहले भी भारतीय रेल दो ऐसी ही ट्रेनों में ट्रायल के तौर पर ऑप्ट आउट का विकल्प दे रहा था, लेकिन महज 7 फीसदी लोगों ने ही इस विकल्प को चुना. जाहिर है कि चलती हुई ट्रेन में लोगों के भोजन का विकल्प भारतीय रेल ही होता है. इसलिए रेलवे का भोजन उसकी मजबूरी है, लेकिन भारतीय रेलवे धीरे-धीरे अपनी इस जिम्मेदारी से मुक्त होना चाहता है.
पूर्वा एक्सप्रेस की वेज बिरयानी में छिपकली निकलने की घटना के ठीक तीन दिन पहले यानि पिछले शुक्रवार को ही भारत के नियंत्रक महालेखापरीक्षक ने अपनी रिपोर्ट में रेल के खानपान को बेहद घटिया बताया था. भारतीय रेल को भी हर महीने खानपान से जुड़ी एक हजार से ज्यादा शिकायतें मिलती हैं. इसकी वजह से 2016 में 3800 बार ठेकेदारों पर जुर्माना लगाया गया. जबकि 2017 में अब तक ऐसा 3100 बार हो चुका है.
वहीं रेल ने इस साल अब तक 12 ठेकेदारों के लाइसेंस रद्द किये हैं. भारतीय रेल करीब 350 ट्रेनों में पैंट्री कार चलाती है. इनमें 145 पैंट्री कार सीधे तौर पर आईआरसीटीसी के पास हैं या फिर उसकी निगरानी में किसी ठेकेदार के पास है. वहीं, 206 ट्रेनों के पैंट्री कार सीधा भारतीय रेल के अलग-अलग जोन की निगरानी में निजी ठेकेदारों के पास हैं. खानपान से जुड़ी ज्यादातर शिकायतें निजी ठेकेदारों के अधीन चलने वाले पैंट्री कार से आते हैं.
हालांकि, भारतीय रेल पर महज कुछ बड़े ठेकेदारों का कब्जा है, जो कई साल या दशकों से ट्रेनों और स्टेशनों पर खानपान का कारोबार चला रहे हैं. आलम यह है कि इस साल जिन 12 ठेकेदारों के लाइसेंस रद्द हुए हैं, उनमें से कम से कम 5 आरके एसोसिएस्ट के हैं, जिसने अलग-अलग नाम की कंपनी बनाकर कई ट्रेनों का ठेका ले रखा है.
रेलवे के अब ये भी तय कर लिया है कि इस साल के अंत तक सभी 350 ट्रेनों के पैंट्री कार आईआरसीटीसी को दे दिये जायेंगे. यानी अब इन ट्रेनों में खानपान की सारी जिम्मेदारी आईआरसीटीसी की होगी. जाहिर है मौजूदा हालात और ठेकेदारों के कॉन्ट्रैक्ट के मुताबिक आईआरसीटीसी हर ट्रेन में खाना उपलब्ध नहीं करा सकता, बल्कि वह केवल इसकी निगरानी कर सकता है.
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