सिगरेट पर जीएसटी के तहत अतिरिक्त टैक्स लगाने से बढ़ेगा अवैध कारोबारः आर्इटीसी
नयी दिल्लीः सिगरेट बनाने वाली देश की सबसे बडी कंपनी आईटीसी का कहना है कि हाल ही में शुरू की गयी वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) व्यवस्था के तहत कर की उच्च दर से सिगरेट की वैध बिक्री की पूरी प्रणाली पर असर पड़ेगा. आईटीसी ने कहा कि वित्त वर्ष 2012-13 से वैध सिगरेट उद्योग में […]
नयी दिल्लीः सिगरेट बनाने वाली देश की सबसे बडी कंपनी आईटीसी का कहना है कि हाल ही में शुरू की गयी वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) व्यवस्था के तहत कर की उच्च दर से सिगरेट की वैध बिक्री की पूरी प्रणाली पर असर पड़ेगा. आईटीसी ने कहा कि वित्त वर्ष 2012-13 से वैध सिगरेट उद्योग में 25 फीसदी की गिरावट देखी गयी है.
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अपने तिमाही परिणामों में आईटीसी ने कहा कि राजस्व क्षतिपूर्ति उपकर (जीएसटी में राज्यों को होने वाली संभावित राजस्व हानि के लिए लगाया जाने वाला उपकर) को बढ़ाये जाने से सिगरेट पर अतिरिक्त कर का बोझ बढ़ा है और यह देश में सिगरेट की पूरी वैध बिक्री प्रणाली को बिगाड़ देगा. आईटीसी ने कहा कि जीएसटी परिषद ने प्रति हजार सिगरेट पर राजस्व क्षतिपूर्ति उपकर का दायरा 485 रुपये से 792 रुपये तक बढ़ा दिया है. इसके अलावा, अन्य श्रेणी जैसे कि 75 मिलीमीटर से ज्यादा लंबी (फिल्टर की लंबाई सहित) सिगरेट पर उपकर का मूल्यानुसार घटक 31 फीसदी तक बढ़ा दिया गया है.
गौरतलब है कि जीएसटी परिषद की मंशा इस राजस्व क्षतिपूर्ति उपकर को बढ़ाकर नयी कर व्यवस्था में सिगरेट पर कर विसंगति को दूर करने की है, जो जीएसटी के तहत पहले की गयी घोषणा से उत्पन्न हुई थी. इसका मकसद जीएसटी से पहले वाली व्यवस्था में सिगरेट पर लगने वाले उत्पाद कर के परिवर्तनशील प्रभाव को खत्म करना है.
आईटीसी ने कहा कि इस तरह नई व्यवस्था में सिगरेट पर कर पुरानी व्यवस्था के मुकाबले बढ़ गया है, जो राजस्व निरपेक्षता के बुनियादी सिद्धांत के उलट है. वित्तवर्ष 2017-18 की पहली तिमाही में आईटीसी की सिगरेट से होने वाली आय 6.60 फीसदी बढ़कर 8,774.16 करोड़ रुपये रही, जो इससे पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में 8,230.60 करोड़ रुपये थी.
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