रांचीः जमशेद रतनजी दादाभार्इ टाटा यानी जेआरडी टाटा देश के कर्मठ उद्योगपति ही नहीं, बल्कि भारत के पहले आैर बेहतरी काॅर्शियल पायलट भी थे. आज यानी 29 जुलार्इ को ही उनका जन्म हुआ था. वे टाटा समूह के संस्थापक तो थे ही, एक बेहतरी पायलट भी थे. पहले बार जेआरडी टाटा को 10 फरवरी, 1929 को हवार्इ जहाज उड़ाने के लिए पायलट का लाइसेंस मिला था. इसके साथ ही, दिलचस्प बात यह भी है कि जिस समय भारत के लोग ब्रिटिश हुकूमत के हाथों गुलाम थे, उस जमाने में भारत में रहने वाले पहले एेसे उद्योगपति थे, जिन्होंने विदेशी कार खरीदी थी.
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गौरतलब है कि जेआरडी ने भारत में पहली बार 1932 में टाटा एयरलाइंस शुरू की, जो बाद में 1946 में भारत की राष्ट्रीय विमान सेवा एयर इंडिया में तब्दील हो गयी. हालांकि, आज एक बार फिर एयर इंडिया आर्थिक संकट की वजह से टाटा समूह के हाथों में आने की तैयारी कर रहा है. इसके साथ ही, जेआरडी को भारत में नागरिक उड्डयन का पिता कहा जाता है. जेआरडी को उनके योगदान को देखते हुए सरकार की आेर से उन्हें पद्म विभूषण और भारत रत्न का सम्मान भी दिया गया.
जेआरडी टाटा महज 34 साल की उम्र में 26 जुलाई, 1938 को टाटा संस के चेयरमैन बने. उस समय टाटा संस की सिर्फ 15 कंपनी थी, जिसमें टाटा स्टील (टिस्को) भी शामिल थी. उन्होंने 1945 में टाटा मोटर्स (टेल्को) की नींव रखी. एक समय था, जब टाटा मोटर्स देश में परिवहन सेवा का मानक मानी जाती थी. एक समय एेसा भी था, जब गुलाम भारत में विदेशी कार लाने वाले पहले भारतीय जमशेद जी टाटा ही थे. उस वक्त भारत में कोर्इ व्यक्ति ठीक से ऐसी महंगी कार चलाना भी नहीं जानता था. इसलिए विदेश से ड्राइवर भी बुलाया गया था.
बताया जाता है कि वर्ष 1927 में जेआरडी के लिए फ्रांस से बुगाती (कार) मंगवाई गयी थी. इस कार में तब न मडगार्ड था आैर न छत ही. बावजूद इसके कार ने मुंबई से पुणे की दूरी ढाई घंटे में पूरी की थी, जो उस वक्त एक रिकॉर्ड था. जेआरडी ने एक बार कहा था कि अगर वे फ्लाइंग नहीं करते, तो मोटर कार रेसिंग में जरूर हिस्सा लेते.
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