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जीएसटी आने के बाद मार्केट से गायब हो गया buy one get one free आॅफर

नयी दिल्लीः आज से ठीक एक महीना पहले सरकार की आेर से देश के टैक्स प्रणाली में सुधार लाने के लिए वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू करने के बाद से एक सामान की खरीद पर एक फ्री देने वाली कंपनियों के लिए आॅफर गायब ही हो गया है. खासकर, उपभोक्ता वस्तु बेचने वाली कंपनियों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 1, 2017 12:58 PM

नयी दिल्लीः आज से ठीक एक महीना पहले सरकार की आेर से देश के टैक्स प्रणाली में सुधार लाने के लिए वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू करने के बाद से एक सामान की खरीद पर एक फ्री देने वाली कंपनियों के लिए आॅफर गायब ही हो गया है. खासकर, उपभोक्ता वस्तु बेचने वाली कंपनियों की आेर से तो यह आॅफर नहीं ही दिया जा रहा है. इसका कारण यह है कि जीएसटी के तहत कंपनियों की ओर से उपभोक्ता को कोई भी सामान मुफ्त में देने पर कंपनियों को उस पर अतिरिक्त टैक्स का भुगतान करना होगा. इसके अलावा, अगर आॅफर देने वाली कंपनियां किसी उत्पाद की बिक्री को ‘मुफ्त’ के तौर पर दिखायेंगी, तो उन्हें उस पर इनपुट क्रेडिट नहीं मिलेगा. इस वजह से कंपनियां अब ग्राहकों को लुभाने के लिए एक साथ एक फ्री का आॅफर देने के बजाय अन्य तरीका र्इजाद करने की सोच रही हैं.

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इकोनाॅमिक टाइम्स में प्रकाशित एक खबर के अनुसार, देश में बिस्कुट का निर्माण करने वाली सबसे बड़ी कंपनी पारले प्रॉडक्ट्स के मार्केटिंग हेड मयंक शाह ने कहा कि हम बाय-वन-गेट-वन फ्री ऑफर्स समाप्त कर रहे हैं और सीधे छूट देने जा रहे हैं. इससे कारोबार में मुश्किल हो रही है, लेकिन जीएसटी के तहत ऐसा करना जरूरी है. पिछले आठ तिमाहियों से उपभोक्ता वस्तु और पैकेट बंद उत्पाद बेचने वाली कंपनियों को सुस्त मांग की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में, कंपनियां खपत बढ़ाने के लिए अभी तक फ्री ऑफर्स का काफी इस्तेमाल कर रही थीं.

अखबार के अनुसार, गोदरेज कन्ज्यूमर प्रॉडक्ट्स के मैनेजिंग डायरेक्टर विवेक गंभीर ने बताया कि जीएसटी के तहत टैक्स से जुड़े नियमों के मद्देनजर हमारी टीम बेहतर रास्ते की तलाश कर रही है और हम प्रमोशनल आइटम के तौर पर दिये जाने वाले उत्पादों की संख्या बहुत कम कर सकते हैं. उनका कहना था कि कंपनी छूट आैर रियायती दर छूट जैसे अन्य तरीके अपना सकती है.

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