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एटीएम धारक सावधान : जीएसटी का झांसा दे फ्राड कर रहे जालसाज

सुबोध कुमार नंदन पटना :‘जीएसटी लागू हो गया है. अब आपका एटीएम बंद हो जायेगा. इसे चालू रखने के लिए एटीएम कार्ड की जानकारी दीजिए.’ एटीएम फ्रॉड करने वाले कुछ इस तरह की बात कह कर इन दिनों लोगों को झांसा दे रहे हैं. कई लोग इस तरह के फोन से चिंतित हैं. इस तरह […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 1, 2017 1:20 PM
सुबोध कुमार नंदन
पटना :‘जीएसटी लागू हो गया है. अब आपका एटीएम बंद हो जायेगा. इसे चालू रखने के लिए एटीएम कार्ड की जानकारी दीजिए.’ एटीएम फ्रॉड करने वाले कुछ इस तरह की बात कह कर इन दिनों लोगों को झांसा दे रहे हैं. कई लोग इस तरह के फोन से चिंतित हैं. इस तरह की शिकायत बैंकों के पास भी आये दिन पहुंच रही है. अधिकारियों का कहना है कि बैंक अपने ग्राहकों को एटीएम से संबंधित किसी प्रकार का फोन नहीं करती है. लोगों को ऐसे फोन आने पर किसी तरह की जानकारी नहीं देने का सलाह दी जाती है.
एटीएम ने लोगों के वित्तीय जीवन को सरल बना दिया है, लेकिन परेशानी भी इसके साथ जुड़ी है. एटीएम से पैसे निकालने के अलावा डिजिटल ट्रांजेक्शन भी किया जा सकता है, पर आज के वक्त में डिजिटल ट्रांजेक्शन पर साइबर हमला का खतरा, एटीएम टेंपरिंग और एटीएम कार्ड की क्लोनिंग घटनाएं आये दिन घट रही हैं. फ्रॉड लोग देखते ही देखते लाखों रुपये गायब कर दे रहे हैं और लोग समझते ही रह जाते हैं. यह घटना शहर में ही नहीं गांवों में भी आये दिन हो रही है.
खासकर एटीएम से पैसे निकालने की घटनाएं कम पढ़े-लिखे और बुजुर्ग लोगों के साथ होती हैं. इसलिए लोगों को एटीएम का प्रयोग करते वक्त सावधानी बरतनी चाहिए. जालसाज एटीएम की क्लोनिंग या टेंपरिंग कर रहे हैं और उससे हम कैसे बच सकते हैं. साथ ही एटीएम में एटीएम कार्ड का प्रयोग करते वक्त किस तरह की सावधानी बरतनी चाहिए. आज हम यही बताने की कोशिश कर रहे हैं ताकि आप फ्रॉड से बच सकें और अपने मेहनत की कमाई को सुरक्षित रख सकें.
वैसे बैंकों ने धोखाधड़ी रोकने के लिए उठाये अपने एटीएम में सुरक्षा को बढ़ाने और धोखाधड़ी के लिए गुंजाइश कम करने की कई रणनीतियां लागू की हैं.
इनमें शामिल हैं एटीएम की स्थापना के लिए सुरक्षित स्थान का चयन, निगरानी वीडियो कैमरों की स्थापना, दूर से निगरानी की स्थापना, एटीएम या इंटरनेट पर लेनदेन के समय उनकी व्यक्तिगत जानकारी की सुरक्षा के तरीकों की जानकारी देकर ग्राहकों को जागरूकता कार्यक्रम आदि शामिल हैं.सबसे अहम सवाल है कि जालसाज कैसे करते हैं एटीएम क्लोनिंग करते हैं.
पोर्टल विकासपीडिया ने इस विषय में विस्तार से लिखा है, जिसके मुताबिक, जालसाज़ एटीएम कार्ड स्लॉट में प्लास्टिक की फिल्म का एक टुकड़ा तह कर डालता ताकि वह कार्ड को पकड़ ले और मशीन द्वारा उसे बाहर फेंकने की अनुमति न दे. उपभोक्ता समझता है की उसका कार्ड मशीन में फंस गया है और वह नहीं जान पाता है कि कार्ड स्लॉट के साथ छेड़छाड़ की गयी है. ग्राहकों को बनाते हैं आसान शिकार एक बार डाला गया कार्ड फंस जाता है तो जालसाज एक जायज कार्डधारक के रूप में शिकार को अपना सुरक्षा कोड पुनः दर्ज करने का सुझाव देता है.
जब कार्डधारक अंततः निराश होकर चला जाता है, तो जालसाज कार्ड निकालकर गुप्त रूप से देखा गया कोड दर्ज कर देता है और आपके खाते से पैसे निकाल लेता है. दूसरे तरीकों से भी होती जालसाजी एक और तरीका है छोटे कैमरों और स्किमर्स नामक ऐसे उपकरणों द्वारा एकत्रित डेटा का उपयोग जो बैंक खाते की जानकारी रिकार्ड कर लेते हैं. इसमें जोखिम कम होता है क्योंकि इसमें जालसाज-शिकार के बीच कोई संवाद नहीं होता तथा जालसाज की अनुपस्थिति कार्डधारक को थोड़ा अधिक बेपरवाह बना देती है तथा वह पासवर्ड की सुरक्षा के बारे में कम सजग हो जाता है. डुप्लीकेट एटीएम धोखाधड़ी की एक और दिलचस्प विधि है जालसाज द्वारा ‘डुप्लीकेट एटीएम’ जिसमें ऐसे सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जाता है जो उन मशीनों पर टाइप किये गये पासवर्ड रिकॉर्ड कर लेता है.
उसके बाद डुप्लीकेट कार्ड निर्मित किये जाते हैं और चोरी के पासवर्ड का उपयोग कर पैसे निकाले जाते हैं. डुप्लीकेट कार्ड बनाना और प्रयोग करना दंडनीय अपराध ऐसी धोखाधड़ी का तरीका चाहे जो कुछ भी हो लेकिन यह निश्चित रूप से अवैध है और संबंधित देश के कानून के अनुसार दंडनीय अपराध है. हालांकि सजा के बावजूद संभव है कि इस प्रक्रिया में खो गया धन वापस नहीं मिले. इस प्रकार, एक अपराधी को सजा हालांकि अन्य अपराधियों के लिए निवारक साबित होंगी तथापि यह चोरी की संपत्ति की बहाली का सबसे अच्छा तरीका नहीं हो सकता. इसलिए, निवारक निगरानी और एटीएम धोखाधड़ी जोखिम बीमा कराना सही दृष्टिकोण प्रतीत होता है. एटीएम से पैसे निकालते समय समय सावधान रहें.

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