नयी दिल्लीः रिजर्व बैंक की आेर से बुधवार को द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा नीति पेश की जायेगी. बाजार, उद्योगपतियों आैर कारोबारियों को उम्मीद है कि केंद्रीय बैंक की आेर से नीतिगत ब्याज दरों (रेपो रेट) में कटौती की जा सकती है. कहा जा रहा है कि अगर रिजर्व बैंक की आेर से रेपो रेट में कटौती से होम लोन लेने वालों की र्इएमआर्इ कमी आ सकती है. उद्योग जगत और अर्थशास्त्रियों के साथ मौजूदा होम लोन ग्राहकों की नजरें रिजर्व बैंक के गर्वनर उर्जित पटेल पर टिकी हुर्इ हैं. उम्मीद जतायी जा रही है कि आज ब्याज दर में एक चौथाई फीसदी की कटौती की जा सकती है.
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मौद्रिक नीति की समीक्षा नीति के तहत रेपो रेट तय करने के लिए छह सदस्यों वाली मौद्रिक नीति समिति की बैठक मंगलवार से ही चल रही है. आज दोपहर तक यह बैठक खत्म होगी, जिसके बाद नीतिगत ब्याज दरों पर फैसला होगा. विशेषज्ञों, सरकार, उद्योगपतियों को उम्मीद है कि महंगाई दर का रिकॉर्ड स्तर पर नीचे आने, जून में खुदरा महंगाई दर 1.54 फीसदी के स्तर पर आने से आैर थोक महंगाई दर का आठ महीने के निचले स्तर पर पहुंचने के बाद केंद्रीय बैंक रेपो रेट में एक चौथार्इ की कटौती करेगा.
रेपो रेट में कटौती के पीछे अहम वजह बताया जा रहा है कि देश में इंफ्रास्ट्रक्चर और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ जून में 19 महीने के सबसे कम हो गई. इसके साथ ही, जनवरी से मार्च की तिमाही में आर्थिक विकास दर भी घटकर 6.1 फीसदी आ चुकी है. रिजर्व बैंक ने पिछली चार मौद्रिक नीति की समीक्षा में सबसे अहम माने जाने वाले रेपो रेट में किसी तरह की कमी नहीं की है. उसे सवा 6 फीसदी पर बरकरार रखा है. इसलिए कहा जा रहा है कि इन तमाम कारणों से रेपो रेट में कटौती करना जरूरी है.
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