नयी दिल्ली : नीति आयोग के उपाध्यक्ष पद से अरविंद पनगढ़िया के इस्तीफे के बाद सबसे बड़ा सवाल यह उठ खड़ा हुआ है कि नीति आयोग का अगला अध्यक्ष कौन होगा?देश की आर्थिक दशा-दिशा तय करनेमेंअहमभूमिकानिभाने वाले इस आयोग के अगले एक्जक्यूटिव बॉस को लेकर देश वासियों के मन मेंस्वाभाविक जिज्ञासा है. अरविंद पनगढ़िया के विकल्प के रूप में देश के अंदर मौजूद अर्थशास्त्रियों से लेकर, आर्थिक मामलों की गहरी समझ वाले नौकरशाहों तक के नामों पर भले कयास लगाया जा रहा हो, लेकिन सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तय कर लिया है कि नीति आयोग का अगला उपाध्यक्ष कौन होगा. और, जो शख्स इस अहम पद को संभालेगा वह पनगढ़िया द्वारा तय की गयी लाइन को ही पीएम मोदी की सोच के अनुरूप आगे बढ़ायेगा.
सूत्रों के अनुसार, नीति आयोग का अगला उपाध्यक्षभी कोईप्रख्यातअर्थशास्त्रीहोगाऔरवहफिलहाल देश में नहीं रह रहा है. संभवत: वह शख्स अभी दुनिया के किसी मशहूर विश्वविद्यालयमेंप्रोफेसरकेरूप में पढ़ा रहा है और वह शख्सअरविंदपनगढ़िया के कोलंबियायूनिवर्सिटी में तो कम से कम नहीं ही है.
अरविंद पनगढ़िया ने नीति आयोग उपाध्यक्ष पद से दिया इस्तीफा
अरविंद पनगढ़िया मूल रूप से एक प्रोफेसर हैं और वे अमेरिका के कोलंबिया यूनिवर्सिटी में पढ़ाते रहे हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उन्होंने आग्रह किया था कि उन्हें सरकार मौजूदा जिम्मेवारी से मुक्त करे ताकि अपने पुराने व रुचि वाले कार्य पठन-पाठन में लौट सकें. उनके मन में सरकार से कोई खटास या मतभेद नहीं है. पनगढ़िया का इस महीने के आखिरी तारीख 31 अगस्त को इस पद पर अंतिम दिन होगा.
इससे पहले नरेंद्र मोदी सरकार केकार्यकाल के दौरान एक और महत्वपूर्ण आर्थिकहस्ती रघुराम राजन ने आरबीआइगवर्नर के रूप में दूसरी पारी लेनेसे इनकार करते हुएअपनेमूलप्रेमआकादमिक जगत में वापसी की. रघुरामराजनभी अमेरिका के शिकागो बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस में प्रोफेसर हैं. इस घटना कोलोग नरेंद्र मोदी सरकार के तीन साल के कार्यकाल में दूसरे बड़े आर्थिक प्रतिभा पलायन के रूप में भी देख रहे हैं.
मोदी ने किया नीति आयोग का गठन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरकार में आने के बाद एक जनवरी 2015 को नीति आयोग का गठन किया. इस अायोग ने पूर्व के योजना आयोग की जगह ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं इसके अध्यक्ष हैं. अरविंद पनगढ़िया उपाध्यक्ष हैं. इनके अलावा अर्थशास्त्री विवेक देबराय, वीके सारस्वत व सीइओ के रूप में वरिष्ठ नौकरशाह अमिताभ कांत अहम भूमिका में हैं. इस आयोग में मुख्यमंत्रियों की भी अहम भूमिका तय की गयी है.
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