नयी दिल्ली: रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने बुधवार को द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा नीति पेश करने के दौरान इस बात पर जोर दिया है कि यदि सरकार को देश के गरीब लोगों को सस्ते मकान उपलब्ध कराने हैं, तो उसे प्रधानमंत्री आवास योजना को बड़े पैमाने पर बढ़ाने की जरूरत है.आरबीआइ गवर्नर उर्जित पटेल ने कहा है कि राज्य सरकार के स्तर पर एक समयबद्ध सिंगलविंडो सिस्टम की जरूरत जिससे सस्ते आवास की परियोजनाओं को तेजी से मंजूरी दी जा सके.आरबीआइ चीफकेइस नीतिगत बयान सेस्पष्ट है कि वह सस्ते आवास की प्रक्रिया को तेज होता देखना चाहती है और इसके लिएउसने केंद्रके साथ राज्यों तक अपनी बातमोनिटरी पाॅलिसी की कामेंटरीके माध्यम से पहुंचा दी है. पटेल के अनुसार, एमपीसी का मानना है कि मुद्रास्फीति बेशक एतिहासिक निम्न स्तर पर पहुंच गयी है, फिर भी स्पष्ट नहीं है कि यह गिरावट तात्कालिक या यह पक्के आधार के कारण है.
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उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति के मौजूदा निम्न स्तर से ऊपर उठने की आशंका बनी हुई है, यही वजह है कि एमपीसी ने नीतिगत उपायों में निरपेक्ष रुख को बरकरार रखने और आने वाले आंकड़ों पर नजर रखने का फैसला किया है. उन्होंने कहा कि एमपीसी मुद्रास्फीति को दीर्घकालिक आधार पर चार प्रतिशत के आसपास बनाये रखने को लेकर अपनी प्रतिबद्धता पर ध्यान रखे हुए हैं.
समिति ने निजी क्षेत्र के निवेश में नयी जान फूंकने, ढांचागत क्षेत्र की अड़चनों को दूर करने और प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत सस्ते मकानों की योजना को बड़े पैमाने पर आगे बढ़ाने की जरूरत बतायी है. रिजर्व बैंक ने कहा है कि कंपनियों के बड़े कर्जों का मामला सुलझाने और सार्वजिनक क्षेत्र के बैंकों में नये सिरे से पूंजी डालने के लिए वह सरकार के साथ नजदीकी से समन्वय बिठाते हुए काम कर रहा है.
उल्लेखनीय है कि देश के बैंकों की गैर-निष्पादित संपत्ति (एनपीए) इस समय आठ लाख करोड़ रुपये तक पहुंच चुकी है. इसमें सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का एनपीए छह लाख करोड़ रुपये के आसपास है. पटेल ने कहा कि एमपीसी मुद्रास्फीति की घट-बढ़ पर नजर रखे हुए है और यह जानने की कोशिश में है कि हाल में इसमें आयी नरमी अस्थायी है या फिर अधिक टिकाऊ अवस्फीति का दौर चल रहा है.
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