लोकसभा में पास हुआ बैंकिंग रेगुलेशन (एमेंडमेंट) बिल 2017, अब कर्ज नहीं चुकाने वालों की खैर नहीं
नयी दिल्ली : लोकसभा में आज बैंकिंग रेगुलेशन (एमेंडमेंट) बिल 2017 पास हो गया. बैंकों और बैंकिंग कंपनियों को एनपीए के संबंध में दिवाला और ऋणशोधन क्षमता संहिता के तहतकार्रवाई करने का निर्देश देने का अधिकार भारतीय रिजर्व बैंक को देने वाले बैंकिंग विनियमन (संशोधन) विधेयक, 2017 को आज सदन ने ध्वनिमत से मंजूरी दी. […]
नयी दिल्ली : लोकसभा में आज बैंकिंग रेगुलेशन (एमेंडमेंट) बिल 2017 पास हो गया. बैंकों और बैंकिंग कंपनियों को एनपीए के संबंध में दिवाला और ऋणशोधन क्षमता संहिता के तहतकार्रवाई करने का निर्देश देने का अधिकार भारतीय रिजर्व बैंक को देने वाले बैंकिंग विनियमन (संशोधन) विधेयक, 2017 को आज सदन ने ध्वनिमत से मंजूरी दी. इस बिल को पारित करने पर इस पर सदन में व्यापक चर्चा हुई. चर्चा में शामिल होते हुए शिवसेना ने देश में सहकारी बैंकों पर भी सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकों की तरह ध्यान दिये जाने की मांग सरकार से करते हुए आज कहा कि सहकारी क्षेत्र के बैंकों केबड़े नेटवर्क को देखते हुए सरकार को इनके प्रति नजरिये को बदलना होगा.
शिवसेना के आनंदराव अडसुल ने लोकसभा में बैंकिंग विनियमन (संशोधन) विधेयक, 2017 पर कलशुरू हुई चर्चा को आगे बढाते हुए कहा कि कॉपरेटिव बैंकों का पंजीकरण सोसाइटी के तहत होता है लेकिन उनकी कार्यशैली बैंकिंग विनियमन कानून के तहत है और उन पर नाबार्ड के साथ ही रिजर्व बैंक की भी पूरी निगरानी होती है.
उन्होंने महाराष्ट्र में सहकारी बैंक क्षेत्र में काम करने के अपने दशकों के अनुभव का जिक्र करते हुए कहा कि सहकारी बैंकों की कोई अनियमितता सामने आती है तो तुरंतकार्रवाई होती है और पाबंदियां भी लगायी जाती हैं लेकिन सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के साथ इस तरह की तुरत-फुरत कार्रवाई नजर नहीं आती.
शिवसेना सांसद ने कहा कि देश में सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों का एनपीए अत्यधिक स्तर पर पहुंच गया है और इसलिए इस विधेयक केरूप में सुधार की तत्कालजरूरत थी.
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उन्होंने वित्त मंत्री अरुण जेटली की ओर मुखातिब होते हुए कहा कि ‘ ‘आप बुद्धिमान हैं इसलिए वित्त मंत्री हैं और रक्षा मंत्री होने से शक्तिशाली भी हैं. आपमें बुद्धि और शक्ति दोनों हैं इसलिए हमें आपसे अपेक्षाएं हैं. सहकारी बैंकों का बड़ा नेटवर्क है और ये छोटे गरीब लोगों और किसानों के लिए काम करती हैं, इसलिए सरकार को इनके प्रति नजरिये को बदलना होगा. ‘ ‘ अडसुल ने बैंकिंग की परिभाषा में सहकारी बैंक समितियों को शामिल किये जाने की मांग की.
विधेयक पर हुई चर्चा में भाग लेते हुए तेलगूदेशम पार्टी के एम श्रीनिवास राव ने कहा कि इस विधेयक से फंसे हुए कर्ज के एक बार में निपटारे का रास्ता साफ होगा. उन्होंने कहा कि पहले की सरकारों ने एनपीए की समस्या को गंभीरता से नहीं लिया. राव ने जानबूझकर कर्ज का भुगतान बैंकों को नहीं करने वाले लोगों पर सख्तकार्रवाई की जरूरत बतायी.
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राव ने कहा कि बैंकिंग क्षेत्र में राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए और पिछले तीन साल के शासन में किसी राजनीतिक व्यक्ति को बैंकों का निदेशक नहीं बनाकर केंद्र सरकार ने इस दिशा में अपना रुख स्पष्ट कर दिया है.
तेलंगाना राष्ट्र समिति के एपी जितेंद्र रेड्डी ने कहा कि अब बैंकों पर कोई दबाव नहीं होगा और आरबीआई को अधिकार मिलने से कर्ज की भरपाई अधिक हो सकेगी.
उन्होंने सेवानिवृत्त कर्मचारियों की पेंशन और एफडी की ब्याज पर लगने वाले कर से छूट देने की मांग सरकार से की. वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के वी वाराप्रसाद राव ने आरबीआई को और अधिक अधिकार दिये जाने की वकालत की. उन्होंने कहा कि जानबूझकर कर्ज का भुगतान नहीं करने वालों :विलफुल डिफॉल्टरों: की सूची बढती जा रही है, इस ओर भी विशेष ध्यान देना होगा.
भाजपा के जनार्दन सिंह सिग्रीवाल ने कहा कि इस कानून के आने से कर्ज लेकर बैठ जाने वालों परकार्रवाई हो सकेगी.
शिरोमणि अकाली दल के प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने कहा कि देश की बैंकिंग व्यवस्था पर सवाल उठने लगे हैं, ऐसे में यह विधेयक सही दिशा में सही कदम है.
माकपा के पी करणाकरण ने कहा कि पिछले चार-पांच साल में एनपीए तेजी सेबढ़ा है. उन्होंने कहा कि आरबीआई और केंद्र सरकार के पास पहले भी पर्याप्त अधिकार थे लेकिन आवश्यककार्रवाई नहीं की गयी.
आम आदमी पार्टी के भगवंत मान ने मांग की कि लोगों को करोड़ों रुपये का चूना लगाने वाली चिटफंड कंपनियों की संपत्तियों से पीड़ितों का पैसा वापस किया जाए.
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