नोटबंदी घाेटालाः नकदी जमा कराने में किया गया 1,000 करोड़ रुपये का गड़बड़झाला!

नयी दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की आेर से सबसे बड़े आर्थिक सुधार के लिए उठाये गये नोटबंदी जैसे बड़े कदम के अब कुछ नकारात्मक पहलू भी सामने आने लगे हैं. आयकर विभाग ने नोटबंदी के दौरान हुए करीब 1,000 करोड़ रुपये के घोटाले का पर्दाफाश किया है. इसमें सहकारी ऋण समितियों के अधिकारी और […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 5, 2017 12:54 PM

नयी दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की आेर से सबसे बड़े आर्थिक सुधार के लिए उठाये गये नोटबंदी जैसे बड़े कदम के अब कुछ नकारात्मक पहलू भी सामने आने लगे हैं. आयकर विभाग ने नोटबंदी के दौरान हुए करीब 1,000 करोड़ रुपये के घोटाले का पर्दाफाश किया है. इसमें सहकारी ऋण समितियों के अधिकारी और उसके सदस्य शामिल बताये जा रहे हैं. इन समितियों ने नोटबंदी के दौरान बैंकों में भारी नकदी जमा करायी थी. विभाग के शुरुआती अनुमानों के मुताबिक, पिछले साल नवंबर और दिसंबर के दौरान करीब 1,000 करोड़ रुपये की कर चोरी की गयी.

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हिंदी के बिजनेस अखबार बिजनेस स्टैंडर्ड में प्रकाशित समाचार के अनुसार, आयकर विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि नोटबंदी के दौरान कई सहकारी ऋण समितियों के खातों में अचानक भारी नकदी जमा हो गयी थी, जिससे इस पूरी व्यवस्था को लेकर अधिकारियों के कान खड़े हो गये थे. नोटबंदी के 50 दिन बाद वाणिज्यिक बैंकों ने वित्तीय लेनदेन के बारे में आंकड़े जमा कराये थे. इन आंकड़ों की जांच के दौरान यह घोटाला सामने आया.

बैंकों से मिली जानकारी और आंकड़ों के आधार पर आयकर विभाग ने देशभर में दो दर्जन से अधिक सहकारी ऋण समितियों की तलाशी ली. इन समितियों के सदस्यों और जमाकर्ताओं को भी खंगाला गया. नोटबंदी के दौरान इन समितियों में भारी मात्रा में नकदी जमा करने वाले सदस्यों की आय के स्रोत का पता लगाने के लिए मुख्यत: महाराष्ट्र, दिल्ली, गुजरात और पश्चिम बंगाल में यह कार्रवाई की गयी.

विभागीय सूत्रों के हवाले से अखबार ने लिखा है कि देश के विभिन्न बैंकों की शाखाओं में मौजूद इन समितियों के खातों में भारी नकदी जमा की गयी. इस राशि को फिर रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (आरटीजीएस) के जरिये कई दूसरे लोगों के बैंक खातों में स्थानांतरित किया गया. आंकड़ों के मुताबिक, नोटबंदी के दौरान इन समितियों ने करीब 200 आरटीजीएस लेनदेन किये सहकारी ऋण समितियों का पंजीकरण और नियमन भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) करता है.

इन समिति का मकसद खासकर ग्रामीण इलाकों में उन लोगों का वित्तीय समावेशन करना है, जो बैंकिंग व्यवस्था से बाहर हैं. एक कर अधिकारी ने कहा कि इन समितियों को अपने सदस्यों के पैसे जमा कराने की अनुमति है। चूंकि ये समितियां कानूनन अपना काम कर रही हैं. इसलिए बैंकों को उन पर शक नहीं होता है. समितियों के कार्यालयों और उनके अहम पदाधिकारियों के आवासों की तलाशी के दौरान आयकर विभाग को कई नकद बहीखाते मिले जो सोना, आभूषण, विनिर्माण और प्रॉपर्टी का कारोबार करने वालों से ताल्लुक रखते थे. कर अधिकारी उन सदस्यों के खातों का पता लगा रहे हैं, जिनकी जानकारी तलाशी अभियान के दौरान मिली थी.

एक अधिकारी ने कहा कि विभाग को यह भी पता लगा है कि इन समितियों ने अपने ग्राहक को जाने (केवाईसी) नियमों की भी धज्जियां उड़ायी. इस बीच आयकर विभाग ने आरबीआई को रिपोर्ट भेजी है कि वह ऋण समितियों से जुड़े ब्योरे की जांच करे. जिन बैंकों में इन समितियों के खातें हैं उनके अधिकारियों से भी इस मसले पर चर्चा हुई है.

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