स्टेट्स के दबाव के बाद जीएसटी में वस्तुओं की नयी कीमत जारी करेगी सरकार
नयी दिल्ली: देश में वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) लागू होने के बाद चीजों के दामों के लेकर बनी ऊहा-पोह की स्थिति और ग्राहकों को इसका अधिक से अधिक लाभ दिलाने के लिए केंद्र सरकार की ओर से जल्द ही वस्तुओं की कीमतों वाली नयी सूची जारी की जायेगी. हालांकि, कहा यह जा रहा है कि […]
नयी दिल्ली: देश में वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) लागू होने के बाद चीजों के दामों के लेकर बनी ऊहा-पोह की स्थिति और ग्राहकों को इसका अधिक से अधिक लाभ दिलाने के लिए केंद्र सरकार की ओर से जल्द ही वस्तुओं की कीमतों वाली नयी सूची जारी की जायेगी. हालांकि, कहा यह जा रहा है कि चीजों के दामों को लेकर देश की राज्य सरकारों की ओर से जीएसटी परिषद पर दबाव बनाया जा रहा है.
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मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार,वस्तुओं कीकीमतों वालीसूचीजारी करने के पीछे सरकार की एक ही मंशा है कि जीएसटी से उत्पादों की घटी कीमतों का फायदा ग्राहकों को मिले. इसमें इनपुट टैक्स क्रेडिट से कंपनियों को होनेवाले फायदे की भी जानकारी दी जायेगी. नाम नहीं छापे जाने की शर्त पर इससे जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि शुरुआत में 150 वस्तुओं का चयन किया जायेगा. इन पर जीएसटी से पहले लगनेवाले टैक्स और कीमत के साथ-साथ जीएसटी के बाद नयी कीमत की जानकारी दी जायेगी.
इन 150 वस्तुओं के बारे में संपूर्ण जानकारी दिये जाने का अभियान शुरू हो जाने पर कई अन्य वस्तुएं शामिल की जायेंगी. एक अन्य अधिकारी ने बताया कि इसमें सिर्फ जानकारी होगी. इससे पहले जीएसटी के तहत टैक्स की नयी दरों के लिए एक मोबाइल एप भी लॉन्च किया जा चुका है.
सूत्रों ने कहा कि केरल, पश्चिम बंगाल और बिहार जैसे राज्यों ने शनिवार को हुई जीएसटी काउंसिल की 20वीं बैठक में प्रक्रिया शुरू करने और कंपनियों पर कीमतें कम करने का दबाव डालने का मुद्दा उठाया. दरअसल, कुछ मंत्रियों ने कहा कि जीएसटी के बाद कीमतें कम नहीं हुई हैं. एक अधिकारी ने कहा कि ग्राहकों द्वारा जीएसटी को स्वीकार कियेजाने के लिए धारणा खत्म करने की जरूरत है.
जीएसटी लागू होने के बाद कीमतों पर नजर बनाये रखना सरकार की प्राथमिकता है और जीएसटी लागू होने का असर किस उत्पाद पर कितना पड़ा है. इसकी विस्तृत जानकारी प्रकाशित करने की राज्य सरकारों की मांग को केंद्र ने भी सराहा है. कुछ मंत्रियों ने कारोबारी भावना को मजबूती प्रदान करने का हवाला देते हुए कुछ वक्त के लिए नयी कीमतें निर्धारित करने की जिम्मेदारी कंपनियों पर ही छोड़ने की वकालत की.
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