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भारत के साथ रार ठानना चीन को पड़ रहा भारी, जुलार्इ में कमजोर हुआ आयात-निर्यात

बीजिंगः डोकलाम सीमा विवाद को लेकर करीब बीते दो महीने से भारत के साथ चीन का उपजे तनाव के बीच उसे कारोबारी नुकसान का भी सामना करना पड़ रहा है. खबर है कि दोनों पड़ोसी देशों के बीच उपजे सीमा विवाद के बीच पिछले जुलार्इ महीने में चीन के आयात-निर्यात कमजोरी आयी है. बताया यह […]

बीजिंगः डोकलाम सीमा विवाद को लेकर करीब बीते दो महीने से भारत के साथ चीन का उपजे तनाव के बीच उसे कारोबारी नुकसान का भी सामना करना पड़ रहा है. खबर है कि दोनों पड़ोसी देशों के बीच उपजे सीमा विवाद के बीच पिछले जुलार्इ महीने में चीन के आयात-निर्यात कमजोरी आयी है. बताया यह भी जा रहा है कि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और वैश्विक मांग की वृद्धि के लिए यह एक नकारात्मक संकेत हैं.

इस खबर को भी पढ़ेंः भारत की राह में चीन का खेल

मंगलवार को जारी सीमाशुल्क आंकड़ों के अनुसार, चीन का निर्यात पिछले साल की तुलना में इस साल जुलाई में 7.2 फीसदी की दर से बढ़कर 193.6 अरब डॉलर रहा है, जबकि जून में इसकी वृद्धि दर 11.3 फीसदी थी. इसी प्रकार जुलाई में चीन का आयात 11 फीसदी बढ़कर 146.9 अरब अमेरिकी डॉलर रहा है. वहीं, जून में यह भी 17.2 फीसदी था. इसके साथ ही, आकलन कर्ताओं ने चेतावनी भी दी है कि इस साल चीन की आर्थिक वृद्धि ठंडी रहेगी, क्योंकि विदेशी वस्तुओं की मांग में कमी के साथ ऋण मांग में वृद्धि को धीमा करने के लिए बैंक पर नियंत्रण लगाये गये हैं.

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष को इस साल आर्थिक वृद्धि दर घटकर 6.6 फीसदी रहने की उम्मीद है, जबकि पिछले साल यह 6.7 फीसदी थी. कोष का इसके 2018 में 6.2 फीसदी से कम रहने का अनुमान है. हालांकि, वर्ष 2017 की पहली छमाही में चीन की निर्यात वृद्धि बहुत मजबूत रही, जो चीनी नेतृत्व के लिए एक सकारात्मक संकेत है, क्योंकि वह व्यापार से संबंधित उद्योगों में छंटनियों को रोकना चाहता है. जुलाई में चीन का वैश्विक व्यापार अधिशेष पिछले साल के मुकाबले 10.7 फीसदी घटकर 46.7 अरब डॉलर रहा है.

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