आठ बड़े लोन डिफाॅल्टरों के एकाउंट्स को बट्टा खाते में डालने की तैयारी कर रहा पीएनबी
नयी दिल्लीः देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआर्इ) के बाद अब दूसरे बड़े पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) आठ बड़े लोन डिफाॅल्टरों के खातों को बट्टा खाता में डालने की तैयारी में जुट गया है. बताया जा रहा है कि पीएनबी ने आठ बड़े दबाव वाले ऋण खातों को दिवाला एवं शोधन […]
नयी दिल्लीः देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआर्इ) के बाद अब दूसरे बड़े पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) आठ बड़े लोन डिफाॅल्टरों के खातों को बट्टा खाता में डालने की तैयारी में जुट गया है. बताया जा रहा है कि पीएनबी ने आठ बड़े दबाव वाले ऋण खातों को दिवाला एवं शोधन अक्षमता कानून (आर्इबीसी, 2016 के तहत निपटान के लिए रखा है. बैंक की दबाव वाली परिसंपत्तियां (ऋण) 30 जून, 2017 को घटकर 68,772 करोड़ रुपये पर आ गयीं. जून, 2016 के अंत तक ऐसे कर्ज 75,564 करोड़ रुपये पर थीं. इनमें पुनगर्ठित और सकल गैर निष्पादित आस्तियां (एनपीए) दोनों शामिल हैं.
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पीएनबी ने निवेशकों के समक्ष प्रस्तुतीकरण में कहा कि बड़े ऋणों के निपटान के लिए 9 दबाव वाले खातों को आईबीसी के तहत निपटान के लिए रखा गया है. बैंक ने कहा कि उसके बही खाते पर दबाव का रुख कुछ कम हुआ है. चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के अंत तक पीएनबी के मानक पुनर्गठित ऋण 11,051 करोड़ रुपये थे, जो 30 जून, 2016 को 18,909 करोड़ रुपये के उच्चस्तर पर थे.
क्षेत्रवार आधार पर देखा जाए, तो जून तिमाही में सबसे अधिक बुनियादी ढांचा क्षेत्र के ऋण पुनर्गठित किये गये. इस क्षेत्र में ऐसे ऋणों की राशि 5,226 करोड रुपये (47.29 फीसदी) रही. ऋण पुनर्गठन के मामले में इसके बाद बिजली क्षेत्र का रहा, जिसमें 2,912 करोड़ रुपये (26.35 फीसदी) के ऋणों को सस्ते ऋणों से बदला गया.
इसके बाद बंदरगाह क्षेत्र 2,068 करोड़ रुपये (18.71 फीसदी), कृषि क्षेत्र 1,457 करोड़ रुपये (13.18 फीसदी), चीनी क्षेत्र 1,335 करोड़ रुपये (12.08 फीसदी), लौह एवं इस्पात क्षेत्र 1,331 करोड़ रुपये (12.04 फीसदी) और दूरसंचार क्षेत्र के 246 करोड़ रुपये (2.23 प्रतिशत) ऋण का पुनर्गठन किया गया.
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