भारत में अतिरिक्त सार्वजनिक एवं निजी निवेश की आवश्यकता:आईएमएफ

सान फ्रांसिस्को:अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की प्रमुख क्रिस्तीन लोगार्दे ने भारत जैसे देशों में बुनियादी सुविधाओं के बीच खाई पाटने के लिए अधिक सार्वजनिक एवं निजी निवेश की वकालत की है.आईएमएफ प्रमुख ने कल कहा, ‘‘कई देशों में पिछले कुछ वर्षों में सार्वजनिक निवेश को नुकसान पहुंचा है. अच्छी तरह से प्राथमिकता तय करके किया गया […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 3, 2014 11:33 AM

सान फ्रांसिस्को:अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की प्रमुख क्रिस्तीन लोगार्दे ने भारत जैसे देशों में बुनियादी सुविधाओं के बीच खाई पाटने के लिए अधिक सार्वजनिक एवं निजी निवेश की वकालत की है.आईएमएफ प्रमुख ने कल कहा, ‘‘कई देशों में पिछले कुछ वर्षों में सार्वजनिक निवेश को नुकसान पहुंचा है. अच्छी तरह से प्राथमिकता तय करके किया गया और अधिक निवेश संभावित उत्पादन तथा नौकरियां बढाएगा.’’ उन्होंने कहा, ‘‘ ब्राजील, भारत, दक्षिण अफ्रीका और आसियान देशों में बुनियादी सुविधाओं के बीच खाई पाटने के लिए अधिक सार्वजनिक एवं निजी निवेश की आवश्यकता है.’’

लोगार्दे ने ‘स्कूल ऑफ एडवांस्ड इंटरनेशनल स्टडीज’ में एक सभा को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘ जर्मनी और अमेरिका जैसी कई विकसित अर्थव्यवस्थाओं में भी मौजूदा बुनियादी सुविधाओं के नेटवर्क के उन्नयन के लिए निवेश की जरुरत है.’’उन्होंने सवाल किया कि विश्व अब भी आर्थिक मंदी के उबर रहा है और भू राजनीतिक तनाव बढ रहे हैं, ऐसे में उस अंतरराष्ट्रीय सहयोग को कैसे मजबूत किया जा सकता है जो इन चुनौतियों से निपटने के लिए अहम है? लोगार्दे ने कहा कि वित्तीय संकट आने के बाद वैश्विक अर्थव्यवस्था में निश्चित ही स्थिरता आई है लेकिन इसमें हुआ सुधार बहुत अल्प है जिससे शायद ही कोई राहत मिले.

उन्होंने कहा, ‘‘ इसके अलावा जब तक देश सही प्रकार के नीतिगत उपाय अपनाने के लिए एकजुट नहीं होते हैं, तब तक हमें मजबूत, स्थायी विकास से काफी कम और धीमे एवं अल्प विकास का वर्षों तक सामना करना पड सकता है. मजबूत एवं स्थायी विकास भविष्य में पर्याप्त नौकरियां पैदा करने और जीवन स्तर में सुधार के लिए आवश्यक है.’’ लोगार्दे ने बताया कि जी20 देशों ने फरवरी में आस्ट्रेलिया में आयोजित बैठक के दौरान इस बात को पहचाना कि देशों के सही नीति अपनाने और उनके बीच उचित सहयोग से आगामी पांच वर्ष में वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद दो प्रतिशत से अधिक तक बढ सकता है.

उन्होंने कहा कि यह वैश्विक अर्थव्यवस्था को काफी अलग और बेहतर पथ पर लाएगा. महानिदेशक ने कहा कि विकसित अर्थव्यवस्थाओं की आर्थिक गतिविधियों में सुधार हो रहा है लेकिन यह सुधार अलग अलग गति से हो रहा है. उन्होंने कहा , ‘‘ उभरते बाजार एवं विकासशील अर्थव्यवस्थाएं सुधार की जिम्मेदारी उठा रही हैं जो 2009 से वैश्विक विकास में बढोतरी का 75 प्रतिशत है.’’ लोगार्दे ने कहा कि समग्र आर्थिक परिदृश्य में सुधार अंतत: थोडा अधिक संतुलित बन रहा है.

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