थोक मुद्रास्फीति जुलाई में बढकर 1.88 प्रतिशत हुई, पांच महीने में पहली बार वृद्धि
नयीदिल्ली : चीनी, शाक-सब्जी तथा कुछ खनिजों और प्रथमिक खाद्य उत्पादों के बाजार में तेजी के चलते थोक मुद्रास्फीति जुलाई में उछलकर 1.88 प्रतिशत पर पहुंच गयी. पांच महीने में यह इसमें पहली बढोतरी है. हालांकि इस दौरान विनिर्मित वस्तुओं की महंगाई दर कम हुई. उद्योग ने कमजोर औद्योगिक गतिविधि का हवाला देते हुए नीतिगत […]
नयीदिल्ली : चीनी, शाक-सब्जी तथा कुछ खनिजों और प्रथमिक खाद्य उत्पादों के बाजार में तेजी के चलते थोक मुद्रास्फीति जुलाई में उछलकर 1.88 प्रतिशत पर पहुंच गयी. पांच महीने में यह इसमें पहली बढोतरी है. हालांकि इस दौरान विनिर्मित वस्तुओं की महंगाई दर कम हुई. उद्योग ने कमजोर औद्योगिक गतिविधि का हवाला देते हुए नीतिगत ब्याज दर में कटौती पर जोर दिया है.
थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति इस साल जून में 0.90 प्रतिशत थी तथा पिछले साल जुलाई में 0.63 प्रतिशत थी. माल एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने के पहले महीने यानी जुलाई में थोक महंगाई दर के दोगुना होने का कारण खास कर कुछ शाक-सब्जी, खनिजों व चीनी जैसी कुछ खाद्य वस्तुओं के दामों में तेजी बतायी जा रही है. थोक मुद्रास्फीति में मार्च से गिरती आ रही थी.
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आज जारी सरकारी आंकड़े के अनुसार खाद्य मुद्रास्फीति जुलाई में 2.15 प्रतिशत रही जबकि इससे पहले दो महीनों से इसमें गिर रही थी. सब्जियों की कीमत में जुलाई महीने में 21.95 प्रतिशत का उछाल आया जबकि जून में इसमें 21.16 प्रतिशत की गिरावट आयी थी. वैसे इस वर्ग में आलू-प्याज के भाव कम हुए है.
हालांकि विनिर्मित वस्तुओं की महंगाई दर जुलाई में घटकर 2.18 प्रतिशत रही जो जून में 2.27 प्रतिशत थी. ईंधन और बिजली खंड में मुद्रास्फीति आलोच्य महीने में कम होकर 4.37 प्रतिशत हो गयी जो पिछले महीने में 5.28 प्रतिशत थी. उद्योग मंडल फिक्की के अध्यक्ष पंकज पटेल ने कहा कि मुद्रास्फीति केलिए प्रवृत्ति और परिदृश्य को देखते हुए मौद्रिक नीति में अधिक नरम रुख की गुंजाइश है क्योंकि निजी क्षेत्र का निवेश अब भी कमजोर बना हुआ है.
पटेल ने कहा, ‘ ‘हम जल्दी ही रिजर्व बैंक द्वारा नीतिगत दर में कटौती की अपेक्षा करते हैं. इसके साथ आगामी त्यौहारों के दौरान मांग तथा ग्रामीण आय में सुधार की उम्मीद से खपत को गति मिलनी चाहिए और इस प्रकार निवेश धारणा में सुधार होगा.
इक्रा की प्रधान अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि प्राथमिक खाद्य वस्तुओं और कुछ खनिजों की महंगाई दर में वृद्धि का कारण क्रमश: सब्जियों के दाम में बढोतरी तथा अनुचित तुलनात्मक आधार है. उन्होंने कहा कि कंपनियां इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ आगे बढ़ाने से पहले मौजूदा तिमाही में कीमतों पर जीएसटी का प्रभाव देख सकती है. आने वाले महीनों में थोक मुद्रास्फीति में और वृद्धि हो सकती है और 2017-18 के शेष महीनों में यह 1.8 से 2.8 प्रतिशत के बीच रह सकती है.
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सब्जियों के अलावा जिन खाद्य पदार्थों में जुलाई में कीमत वृद्धि देखी गयी, उसमें अंडा, मांस मछली शामिल है. इस खंड में मुद्रास्फीति 3.30 प्रतिशत रही. फलों की मुद्रास्फीति 2.71 प्रतिशत अनाज 0.63 प्रतिशत तथा धान की महंगाई दर 3.47 प्रतिशत दर्ज की गयी. चीनी की महंगाई दर जुलाई में 8.44 प्रतिशत तथा खनिज की 1.90 प्रतिशत रही.
हालांकि आलू, दाल और प्याज के मूल्यों में क्रमश: 42.45 प्रतिशत, 32.56 प्रतिशत तथा प्याज में 9.50 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी. इस बीच, मई की थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति मामूलीरूप से बढ़ कर 2.26 प्रतिशत हो गयी जबकि पूर्व में इसके 2.17 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया था. देश में जीएसटी एक जुलाई से लागू किया गया.
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